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Friday, 22 November, 2024
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ताजपुर पोर्ट को लेकर बंगाल सरकार असमंजस में? अडानी को आधिकारिक बयान का इंतजार, ममता ने किया नये टेंडर का ऐलान

अडानी समूह ने ताजपुर बंदरगाह के लिए सबसे ऊंची बोली जीती थी और एक साल पहले ही उसे इसके लिए लेटर दिया गया था. बंगाल के उद्योग मंत्री का कहना है कि सरकार जल्द ही बयान जारी करेगी.

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कोलकाता : अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एपीएसईज़ेड) को, ताजपुर डीप सी पोर्ट प्रोजेक्ट का क्या होगा, इसके बारे में पश्चिम बंगाल सरकार से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, जिसके लिए उसने बोली जीती थी. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है. यह तब हुआ है जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को घोषणा की कि परियोजना की निविदा फिर से बोली लगाने के लिए खुल गई है.

हालांकि, राज्य सरकार के उद्योग मंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही एक बयान जारी कर अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी.

सितंबर 2022 में, APSEZ ने ताजपुर परियोजना के लिए बोली जीती और उसे पश्चिम बंगाल सरकार से इसको लेकर आशय पत्र भी प्रदान किया गया. हालांकि, ऐसा लगता है कि बीच में कुछ गड़बड़ हो गई है, जो मंगलवार को बंगाल ग्लोबल बिजनेस शिखर सम्मेलन में सीएम की घोषणा से स्पष्ट है.

मंच पर उनके वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, मंत्री, सलाहकार, उद्योगपति और दुनिया भर के गणमान्य लोग बैठे थे. लेकिन अडानी ग्रुप की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं था.

एपीएसईज़ेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से नाम न बताने की शर्ता पर कहा, ”हम मीडिया रिपोर्टों से अवगत हैं लेकिन हमने अभी तक प्रेस को कोई बयान नहीं दिया है क्योंकि हमारी ताजपुर बंदरगाह के संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार से कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है.” अधिकारी ने कहा कि कंपनी को अभी भी लेटर ऑफ अवॉर्ड का इंतजार है ताकि वह प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर सके.

2011 में तृणमूल सरकार के सत्ता में आने के बाद से पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ी निवेश परियोजनाओं में से एक के रूप में प्रचारित, ताजपुर डीप सी पोर्ट को रोजगार पैदा करने, राज्य को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने के तौर बनाया जाना है और, अधिक महत्वपूर्ण बात कि राज्य सरकार को इस आरोप से बचाने की कोशिश है कि वह टाटा नैनो संकट के बाद से राज्य में कोई भी बड़ा उद्योग लाने में विफल रही है.

पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री डॉ. शशि पांजा ने शुक्रवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र से इतर दिप्रिंट को बताया, ”इस बिंदु पर अभी हम कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन हम जल्द ही सरकार की ओर से एक विस्तृत बयान जारी करेंगे.”


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बंगाल का पहला गहरा समुद्री बंदरगाह

तीन बार की सीएम ममता के लिए एक ड्रीम प्रोजेक्ट, ताजपुर लगभग आधी सदी में बंगाल का पहला गहरा समुद्री बंदरगाह और ग्रीनफील्ड बंदरगाह बनने को तैयार है. ग्रीनफील्ड परियोजना वह होती है, जिसमें निर्माण कार्य खाली पड़ी भूमि पर होता है, जहां मौजूदा संरचना को फिर से तैयार करने या ध्वस्त करने की कोई जरूरत नहीं होती.

राज्य सरकार ने परियोजना की लागत 25,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया है, जिसमें बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये का निवेश भी शामिल है.

19 फरवरी, 2021 को पश्चिम बंगाल मैरीटाइम बोर्ड द्वारा जारी एक्स्प्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (ईओआई) के अनुसार, राज्य सरकार को कार्गो हैंडलिंग की मांग में वृद्धि की उम्मीद थी और राज्य में कोलकाता व हल्दिया में मौजूदा बंदरगाहों की उनकी सीमा को देखते हुए, कोलकाता के पास पुरबा मेदिनीपुर जिले में एक नया डीप सी पोर्ट विकसित करना चाहती है, जो ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ के खनिज बेल्ट से जुड़ा हो.

उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग ने ‘डिजाइन, निर्माण, संचालन और परिवर्तन मॉडल’ पर ताजपुर बंदरगाह के विकास के लिए 18 अक्टूबर, 2021 को एक अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) जारी किया.

इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार 1,000 एकड़ बाधा रहित भूमि, नजदीकी राजमार्ग के साथ रोड कनेक्टिविटी, रेल लिंक और 99 साल का रियायती समय प्रदान करेगी.

अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने दिसंबर 2021 में कोलकाता में राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और अप्रैल 2022 के व्यापार शिखर सम्मेलन का हिस्सा बनने का निमंत्रण स्वीकार किया था. घंटे भर चली बैठक में ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी मौजूद थे.

19 सितंबर 2022 को आयोजित कैबिनेट बैठक में, राज्य सरकार ने सबसे अधिक बोली लगाने वाले (H-1) APSEZ को आशय पत्र (LOI) जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और इसे “ऐतिहासिक पल” कहा था.

अक्टूबर 2022 में, राज्य सरकार के ‘बिजॉय सम्मलानी’- दुर्गा पूजा के समापन का जश्न मनाने का एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसमें गौतम अडानी के बेटे और एपीएसईज़ेड सीईओ करण अडानी को एलओआई सौंपा गया था. यह आखिरी बार था जब अडानी को शहर में देखा गया था.

टीएमसी बनाम अडानी

जब राज्य सरकार अडानी समूह के साथ व्यापार कर रही थी, तब संसद में तृणमूल कांग्रेस ने, हिंडनबर्ग रिपोर्ट, जिसमें इस व्यापार समूह के खिलाफ स्टॉक में हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोप के मुद्दे को बढ़-चढ़कर उठाए थे.

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में न केवल केंद्र, बल्कि बाजार नियामक सेबी पर भी सवाल उठाए. मोइत्रा की कथित तौर से कैश-फॉर-क्वेरी घोटाले में वर्तमान में एक संसदीय पैनल द्वारा जांच की जा रही है. उन पर संसद में अडानी के खिलाफ सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने का आरोप है.

इसके बाद अडानी समूह ने 16 अक्टूबर को एक बयान जारी कर कहा, “कुछ समूह और व्यक्ति हमारे नाम, साख और बाजार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए ओवरटाइम काम कर रहे हैं.”

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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