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Friday, 22 November, 2024
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‘कुछ भी पर्सनल नहीं’, राजस्थान के दांता रामगढ़ में होगा पत्नी बनाम MLA पति

वीरेंद्र सिंह के खिलाफ जेजेपी उम्मीदवार के रूप में खड़ी रीता सिंह चौधरी का कहना है कि उन्होंने 'लोगों और उनके मुद्दों के लिए एक स्टैंड लिया है.' करीबी सहयोगी का कहना है कि ससुराल वालों ने उन्हें राजनीति में आने से रोका था.

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सीकर: राजस्थान के सीकर में दांता रामगढ़ सीट में चुनाव एक अलग अंदाज में देखने को मिलेगा. क्योंकि यहां पति- पत्नि आमने सामने हैं. पत्नी डॉ. रीता सिंह चौधरी जननायक जनता पार्टी की उम्मीदवार हैं और पति वर्तमान में कांग्रेस पार्टी से विधायक हैं जिन्हें हराने के लिए रीता सिंह प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर के पास एक गेस्टहाउस में रात में रुकी हुई हैं.

रीता सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि यह “व्यक्तिगत नहीं” है. उनके एक करीबी सहयोगी ने कहा कि उन्हें लगता है कि उनके पति के परिवारवालों ने उन्हें राजनीति में पीछे रखा है, हालांकि कांग्रेस उन्हें मौका देने के लिए तैयार थी.

एक समय कांग्रेस की सदस्य रहीं, अब वह राजस्थान में हरियाणा-केंद्रित जेजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष हैं. जेजेपी ने राजस्थान चुनाव में कदम रखते हुए कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जहां उसकी हरियाणा सहयोगी भारतीय जनता पार्टी भी चुनाव लड़ रही है.

अपनी उम्मीदवारी के बारे में बात करते हुए रीता सिंह ने कहा, “यह किसी के खिलाफ खड़ा होना नहीं है. जिला प्रमुख (सीकर के) के रूप में, मैंने बहुत काम किया है. पिछली बार कांग्रेस ने उन्हें (दांता रामगढ से) पार्टी का उम्मीदवार बनाया था और मैं जनता के बीच रही. लेकिन समय किसी का इंतजार नहीं करता. आपको एक न एक बार स्टैंड लेना होता है. अपने लिए भी और जनता के लिए भी. अब मैंने अपने लोगों और उनके मुद्दों के लिए स्टैंड लिया है.

उनके एक करीबी सहयोगी के अनुसार, “रीता सिंह एक पूर्व जिला प्रमुख हैं जिन्होंने सीकर के लोगों के लिए काम किया है. एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार होने के कारण उनके ससुराल वालों ने उन्हें राजनीति में पीछे की तरफ धकेल दिया, भले ही पार्टी (कांग्रेस) उन्हें आगे ले जाने के लिए तैयार थी. समाज में महिलाओं के लिए आगे बढ़ना हमेशा कठिन होता है.”

Rita Singh Chaudhary, the JJP candidate for Rajasthan's Danta Ramgarh seat | Photo: Amogh Rohmetra | ThePrint
राजस्थान की दांता रामगढ सीट से जेजेपी उम्मीदवार रीता सिंह चौधरी/फोटो: अमोघ रोहमेत्रा/दिप्रिंट

रीता सिंह और उनके पति अलग-अलग रहते हैं, हालांकि वे अभी भी कानूनी रूप से शादीशुदा हैं.

जब दिप्रिंट ने वीरेंद्र सिंह से उनकी पत्नी की राजनीतिक पारी के बारे में पूछने के लिए संपर्क किया, तो उन्होंने यह कहकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उनकी उम्मीदवारी से उनके वोटों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

सिंह को राजनीतिक वंशावली अपने पिता नारायण सिंह से विरासत में मिली है, जो एक कद्दावर कांग्रेस नेता और राजस्थान में पार्टी के पूर्व प्रमुख थे. 1980 के बाद से दांता रामगढ़ में नौ चुनावों में से सात में कांग्रेस ने जीत हासिल की है. नारायण सिंह ने इन सातों में से छह बार और 1972 में भी सीट जीती.

राजस्थान में शनिवार को मतदान होगा और नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे.

2013 और 2018 में मामूली अंतर

दांता रामगढ़ मुकाबले को दिलचस्प बनाने वाली बात यह है कि 2018 के राजस्थान चुनाव में वीरेंद्र सिंह ने सिर्फ 920 वोटों के अंतर से सीट जीती थी. यह 2013 में उनके पिता के आखिरी चुनाव (575 वोट) में जीत के अंतर से थोड़ा ही अधिक था.

दोनों चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार उपविजेता रहे, हालांकि पार्टी ने कभी भी सीट नहीं जीती.

संभावना है कि अगर रीता सिंह कुछ हजार वोट खींचने में कामयाब रहीं तो चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं.

Danta Ramgarh MLA Virendra Singh attending an event in his constituency | Photo: X/@MLA_Virendra
दांतारामगढ़ विधायक वीरेंद्र सिंह अपने विधानसभा क्षेत्र में एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए/X/@MLA_Virendra

रीता सिंह ने कहा कि उन्होंने 2013 में अपने ससुर और 2018 में अपने पति की जीत के लिए कड़ी मेहनत की. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने 2018 में अपने लिए कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन उनकी जगह उनके पति को चुन लिया गया.

जेजेपी जाट वोट बैंक पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह दांता रामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. रीता सिंह खास तौर पर महिलाओं और जाट वोटरों पर भरोसा कर रही हैं.


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‘कम बातचीत के कारण हुआ ऐसा’

पति के साथ अपने ख़राब रिश्ते के बारे में बात करते हुए, रीता सिंह ने मौजूदा स्थिति के लिए ” कम बात चीत” को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा, “बातचीत एक मजबूत माध्यम होता है. बड़े-बड़े युद्ध भी बातचीत से ही सुलझते हैं. संभवतः (हमारे बीच) बात-चीत नहीं हो पाती थी इसमें लंबा अंतर होता था जिसके परिणामस्वरूप आज ये हाल हो गया है. अब वह कांग्रेस में हैं और मैं जेजेपी में हूं.”

लेकिन वीरेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी और उनके चुनाव लड़ने के फैसले के बारे में बात नहीं करने का फैसला किया.

सोमवार सुबह-सुबह दिप्रिंट से बात करते हुए, जब पार्टी कार्यकर्ता उनसे मिलने के लिए कतार में खड़े थे, उन्होंने अपनी जीत के बारे में विश्वास व्यक्त किया.

उन्होंने कहा, “मैंने बहुत काम किया है. दांता रामगढ विधानसभा क्षेत्र में मेरे पिता के कार्यकाल में बहुत विकास हुआ और बाकी काम मैंने अपने कार्यकाल में किये हैं. केवल पानी का मुद्दा बचा है और हम इस बार उसे हल करने का प्रयास करेंगे.”

हालांकि रीता सिंह के लिए चुनाव प्रचार में पानी ही मुख्य मुद्दा है.

जब सिंह से उनकी पत्नी की संभावनाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”इससे मेरे वोट पर कोई असर नहीं पड़ेगा. भाजपा, कम्युनिस्ट पार्टी, निर्दलीय और अन्य वोट के लिए लड़ रहे हैं. कांग्रेस के वोट बरकरार हैं.”

2018 के विधानसभा चुनाव में सीकर जिले से बीजेपी का सफाया हो गया था.

जिले की आठ विधानसभा सीटों में से सात पर कांग्रेस ने जीत हासिल की, जबकि एक (खंडेला) पर निर्दलीय उम्मीदवार महादेव सिंह ने जीत हासिल की.


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