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Thursday, 21 November, 2024
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मतदान के पहले और बाद में- कांग्रेस, BJP को लेकर असमंजस में हैं मध्य प्रदेश की महिला वोटर्स

चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य की 2.72 करोड़ महिला मतदाताओं में से 76% ने मतदान किया. भाजपा अधिक मतदान का श्रेय अपनी योजनाओं को देती है, कांग्रेस इस बात को रेखांकित कर है कि पुरुषों का मतदान अभी भी अधिक है.

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भोपाल : मध्य प्रदेश में महिलाओं का वोट किसी चुनाव अभियान को बना या बिगाड़ सकता है, इसे भाजपा और कांग्रेस दोनों ने विधानसभा चुनावों से पहले महसूस किया था.

लेकिन महिला मतदाताओं के मतदान में 2 प्रतिशत की वृद्धि ने अब सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है, दोनों प्रमुख दावेदार इस बात पर विचार कर रहे हैं कि यह अंतिम परिणाम को कैसे प्रभावित कर सकता है.

राज्य चुनाव आयोग द्वारा शनिवार शाम जारी आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को 77.15 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है, जो अब तक का सबसे अधिक मतदान है. आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि राज्य के 2.88 करोड़ पंजीकृत पुरुष मतदाताओं में से 78.21 प्रतिशत और 2.72 करोड़ महिला मतदाताओं में से 76.03 प्रतिशत ने मतदान किया.

2018 की तुलना में महिलाओं के मतदान प्रतिशत में 2 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है, जब राज्य की 2.41 करोड़ महिला मतदाताओं में से 74.03 प्रतिशत वोट देने के लिए निकलीं. कुल संख्या में पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार 18.30 लाख ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया.

उज्जैन में मध्य प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के निदेशक और प्रोफेसर यतींद्र सिंह सिसौदिया ने कहा, महिला मतदाताओं के बीच बढ़े मतदान को “स्वाभाविक प्रगति” माना जा सकता है और यह किसी एक पार्टी के लिए फायदे का संकेत नहीं है.

सिसौदिया ने दिप्रिंट को बताया, “यदि महिला मतदाताओं का प्रतिशत पुरुष मतदाताओं से अधिक हो गया होता या उनका वोट शेयर 80 प्रतिशत के करीब पहुंच गया होता, तो यह एक विशेष कल्याणकारी योजना या पार्टी को अपना समर्थन देने के लिए बड़ी संख्या में महिलाओं के सामने आने का एक निश्चित रूप से ट्रेंड था, लेकिन 2 प्रतिशत अंक वृद्धि स्वाभाविक प्रगति है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के चुनाव आयोग के प्रयासों का परिणाम है.”

चुनाव आयोग (ईसी) ने पिछले महीने मध्य प्रदेश में बेहतर हुए चुनावी लिंग अनुपात पर प्रकाश डाला था, जो 2018 में प्रति 1,000 पुरुषों पर 917 महिलाओं से बढ़कर 2023 में प्रति 1,000 पुरुषों पर 945 महिलाएं हो गया है. इस बार लगभग 31 लाख नई महिला मतदाता जुड़ी हैं. मध्य प्रदेश में मतदाता सूची में राज्य में महिला मतदाताओं की कुल संख्या 2.72 करोड़ या राज्य के 5.6 करोड़ मतदाताओं में से 48 प्रतिशत हो गई है.


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‘भाजपा लाडली बहना योजना पूरा करने में विफल रही’

भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने चुनावी मैदान में महिला मतदाताओं पर बहुत जोर दिया. भाजपा ने ‘लाडली बहना योजना‘ पर भरोसा करते हुए पुलिस भर्ती में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत और टीचिंग जॉब में 50 प्रतिशत तक कोटा की घोषणा की.

दूसरी ओर, कांग्रेस ने सत्ता में आने पर राज्य में महिलाओं को हर महीने वित्तीय सहायता के तौर पर 1,500 रुपये देने का वादा किया है. अपनी ओर से, कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने में विफल रहने का आरोप लगाया.

शुक्रवार को मतदान संपन्न होने के कुछ देर बाद ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने दावा किया कि महिला मतदाता बड़ी संख्या में पार्टी के समर्थन में सामने आई हैं.

उनके अनुसार, यह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान, उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन और लाडली बहना योजना के तहत मासिक वित्तीय सहायता और अन्य लाभों के रूप में भाजपा की प्रतिबद्धता का परिणाम था.

शर्मा ने भोपाल में मीडियाकर्मियों से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ पहल ने भी इस बार विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कहा, “महिलाओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया है, जबकि अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं ने भी तीन तलाक पर भाजपा के रुख पर उसका समर्थन किया है.”

हालांकि राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के दिप्रिंट के एक विश्लेषण के अनुसार, राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 29 में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है, लेकिन इस बार 34 सीटों पर उनका मतदान पुरुष मतदाताओं से अधिक रहा. विश्लेषण से यह भी पता चला कि इन 34 सीटों में से 25 पर भाजपा के विधायक और बाकी 9 पर कांग्रेस के विधायक थे.

इसकी तुलना में, जबकि 10 विधानसभा सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी, 2018 में 51 सीटों पर उनका मतदान पुरुषों की तुलना में अधिक था.

भाजपा द्वारा महिला मतदाताओं के अधिक मतदान के लिए अपनी महिला-केंद्रित योजनाओं को श्रेय देने के साथ, कांग्रेस नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि मतदान करने वाली महिलाओं का प्रतिशत अभी भी पुरुष मतदाताओं की तुलना में कम है.

राज्य कांग्रेस प्रमुख कमल नाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने दिप्रिंट को बताया, “विधानसभा चुनाव के अंतिम आंकड़े बताते हैं कि हर बार की तरह इस बार भी महिलाओं ने न केवल पुरुषों की तुलना में कम मतदान किया है, बल्कि उनकी भागीदारी 2018 की तुलना में कम रही है. 2018 में महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 1.95 प्रतिशत कम था, जबकि 2023 में उनका मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 2.18 प्रतिशत कम है.”

इसके अलावा, राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई के अनुसार, भाजपा मध्य प्रदेश में प्रत्येक घर तक लाडली बहना योजना का लाभ पहुंचाने में विफल रही.

किदवई ने कहा, “यह शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार की एक पहल थी लेकिन पार्टी इसका लाभ लेने में विफल रही. इसके अलावा, उच्च महिला प्रतिशत वाली इन सीटों में से ज्यादातर विंध्य और महाकौशल क्षेत्र में केंद्रित हैं, जहां पुरुषों के काम करने से दूर रहने के कारण महिलाएं बड़े पैमाने पर अपने घर वापस लौट रही हैं.”

उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि बीजेपी के अभियान पर उसका केंद्रीय नेतृत्व हावी था और अभियान अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे के इर्द-गिर्द केंद्रित था, लेकिन इससे बीजेपी को कोई रणनीतिक लाभ नहीं मिला क्योंकि कांग्रेस ने इसका कोई विरोध नहीं किया था.

किदवई ने कहा, “प्रधानमंत्री की कई रैलियों के बावजूद, यह नहीं दिखा कि भाजपा लाडली बहना पहल पर दावा जता रही हो और अभियान के अंतिम चरण के दौरान ही उन्होंने इसका उल्लेख करना शुरू किया था. किदवई ने कहा कि भाजपा अपने अभियान के लिए एक तीखा नजरिया अपनाने में विफल रही, जो काफी हद तक उभरते हालात पर एक त्वरित प्रतिक्रिया रही.”

(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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