नई दिल्ली: देश की राजधानी के एक बड़े हॉस्पिटल में हड़ताल चल रही है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम का सबसे बड़ा हॉस्पिटल बताया जाने वाला बाड़ा हिंदू राव के रेज़िडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. सोमवार सुबह 9 बजे से शुरू हुई ये हड़ताल अनिश्चितकाल तक चलेगी. हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की शिकायत है कि 2015 से उनकी सैलरी कभी समय पर नहीं आती. उनका आरोप है कि कभी तीन महीने बीतने पर दो महीने की तो कभी दो महीने बीतने पर एक महीने की सैलरी मिलती है.
बुनियादी मांग का हवाला दे रहे डॉक्टरों का आरोप है कि देर से सैलरी मिलना तो एक समस्या है ही, ये लोग पीने के पानी तक के लिए मुहाल हैं. दिप्रिंट से बातचीत में हड़ताल में जुटे डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि 12 घंटे की ड्यूटी में पीने के पानी पर उनके दो से तीन सौ रुपए ख़र्च हो जाते हैं. अन्य आरोपों और मांगों के बारे में बताते हुए इन्होंने कहा कि इस बार तीन महीने की सैलरी बाकी है और अभी तक 7वें वेतन आयोग का एरियर भी नहीं मिला.
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आरोप ये भी है कि डॉक्टरों के लिए पर्याप्त सुरक्षा के अभाव से लेकर काम का भार तक बहुत ज़्यादा है. वहीं, इन लोगों को न तो ढंग की लाइब्रेरी ही मयस्सर है और न ही आपातकालीन यानी इमरजेंसी विभाग में ढंग के उपकरण और दवाइयां ही मौजूद हैं. इन सबकी वजह से ये लोग मरीज़ों को ढंग से इलाज मुहैया नहीं करा पा रहे. आरोप ये भी है कि इन सब मांगों को लेकर हॉस्पिटल के आला अधिकारियों से लेकर नगर निगम के अधिकारियों तक से कई मुलाकातें हुईं लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.
हड़ताली डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने मरीजों का इलाज प्रभावित नहीं होने दिया और खुले में ओपीडी चलाते हुए सुबह करीब 500 मरीज़ों का इलाज किया. हालांकि, वो आरोप लगाते हुए कहते हैं कि हॉस्पिटल प्रशासन ने पुलिस का प्रयोग करते हुए बाहर चल रही ओपीडी को बंद करा दिया. इस पर जब हमने बाड़ा हिंदू राव के आला अधिकारियों से बात की तो उन्होंने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘बाहर चल रही ओपीडी नियम के ख़िलाफ़ है और वहां हॉस्पिटल के ही साधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसकी वजह से उसे बंद कर दिया गया.’ ये भी बताया गया कि हड़ताल की वजह से मरीज प्रभावित नहीं है क्योंकि रेज़िडेंट डॉक्टरों की जहग सीनियर डॉक्टरों को ड्यूटी पर लगाया गया है.
इस बात को सत्यापित करने के लिए एक अधिकारी ने सीनियर डॉक्टरों का रोटा दिखाते हुए बताया कि सारे लोग काम पर मौजूद हैं और इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक सुचारू रूप से चल रहे हैं. अधिकारियों की बात इसलिए भी सही लगी कि दिप्रिंट को हॉस्पिटल में कोई मरीज़ इंतज़ार करते या परेशानी की स्थिति में नहीं दिखा. वहीं, वरिष्ठ अधिकारियों ने ये भी बताया कि रेज़िडेंट डॉक्टरों की मांगे जायज़ है और उनकी सैलरी एक-दो दिनों में दे दी जाएगी. इसके लिए पुरज़ोर प्रयास किए जा रहे हैं.
हिंदू राव हॉस्पिटल के आला अधिकारियों ने ये भी बताया कि पैसे हर तीन महीने पर आते हैं. इन्होंने कहा, ‘हमारी टीम आला अधिकारियों से मिली है और उम्मीद है कि सैलरी जल्द से जल्द आ जाएगी.’ ये बताया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम कमिश्नर वर्षा जोशी भी मामले में प्रयास कर रही हैं. लेकिन अचरज की बात ये है कि जोशी ने ख़ुद ट्वीट करके जानकारी दी है कि उनकी ख़ुद की सैलरी नहीं आई. एक ट्वीट में वर्षा जोशी लिखती हैं, ‘सही है. नॉर्थ एमसीडी के अधिकारियों को परवाह नहीं है और ड्रग टुडे आज कैसे दिल्ली सरकार से बकाया जारी करवाने में हमारी मदद करेगा? अगर ऐसा होता है तो मैं जीवन भर के लिए (ड्रग टुडे) की सदस्य बन जाऊंगी.’
Yeah right. North MCD ke officials ko parvah hi nahi hai ?♀️ and how will Drug Today help us get the release pending in Del Gov? If it helps I will become a lifetime subscriber ?? https://t.co/f9Zpq4g9lR
— Varsha Joshi (@suraiya95) May 18, 2019
Also, I have no income source other than salary and havent got mine either ever since you havent. I will ensure payment as per increasing order of pay grade and priority to contract workers when I get the money, as always. And we have been diligently following up in Del Gov.
— Varsha Joshi (@suraiya95) May 18, 2019
एक और ट्वीट में वर्षा लिखती हैं कि उनके पास भी सैलरी के अलावा को आमदनी नहीं है और उन्हें भी उनकी सैलरी नहीं मिली है. उन्होंने लिखा है कि पैसे मिलते ही हमेशा की तरह वो बढ़ते हुए क्रम वाले पे ग्रेड के हिसाब से प्राथमिकता देते हुए कॉन्ट्रेक्ट पर काम कर रहे लोगों को पहले पैसे जारी करेंगी. 18 मई को किए गए इसी ट्वीट में उन्होंने दिल्ली सरकार के साथ लगातार इस मामले पर बने रहने का भरोसा भी दिया था. लेकिन पैसे नहीं मिलने से परेशान रेज़िडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इस ट्वीट के थ्रेड में हड़तालियों और जोशी के बीच तीखी नोंक-झोक भी हुई है.
हड़तालियों ने फाइनेंस का काम देखने वाले एडिश्नल कमिश्नर जयराम नायक के बारे में भी यही कहा कि उनकी ख़ुद की सैलरी नहीं आई. नायक ने यही कहते हुए उलटे रेज़िडेंट डॉक्टरों से ही पूछा लिया कि वो इन लोगों की सैलरी कहां से दें. हड़ताली कहते हैं कि वर्षा जोशी दिल्ली सरकार पर फंड नहीं रिलीज़ करने का आरोप लगाती हैं. लेकिन दिल्ली सरकार कहती है कि फंड रिलीज़ कर दिया है. रेज़िडेंट डॉक्टर सवाल उठाते हैं कि जब सरकार फंड रिलीज़ करने का दावा कर रही है तो ये फंड जा कहां जा रहा है. डॉक्टर ये भी कहते हैं कि 2015 में अरविंद केजरीवाल की सरकार बनने के बाद से ये समस्या लगातार बनी हुई है.
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हड़तालियों ने इससे जुड़ी एक जनहित याचिका भी दायर की है. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने कोई आरटीआई लगाकर ये पता करने की कोशिश की कि फंड कहां अटका है तो उन्होंने कहा उन्हें नहीं पता और न ही उनके पास इसका समय है. वो चाहते हैं कि उनकी समस्या मेडिकल सुप्रीटेंडेट हल करें क्योंकि वही उनसे काम करवाते हैं. हालांकि, मेडिकल सुप्रीटेंडेट ने मीडिया से बात करने से मना कर दिया. इस मामले में जब दिप्रिंट ने दिल्ली सरकार और विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता से बात करने की कोशिश की तो दोनों ही व्यस्त होने की वजह से इस मामले पर बात नहीं कर पाए. उनसे बात होने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा.
सबसे अहम जानकारी ये है कि रेज़िडेंट डॉक्टरों की परेशानी और उनके हड़ताल के बावजूद मरीज़ों को कोई परेशानी नहीं हो रही. दिप्रिंट ने पाया कि इमरजेंसी से ओपीडी तक सुचारू रूप से काम कर रहा है और कोई मरीज़ किसी तरह की परेशानी में नज़र नहीं आया. इन सबके बीच रेज़िडेंट डॉक्टरों की ये हड़ताल जारी है और आने वाले दिनों में वो समय से सैलरी की मांग के लिए कटोरा लेकर प्रदर्शन करने वाले हैं.