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Monday, 16 December, 2024
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मियांवाली एयरबेस पर हमले की ज़िम्मेदारी लेने वाला आतंकवादी समूह कौन है — तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान

इस वर्ष गठित इस समूह के बारे में कहा जाता है कि यह पाकिस्तान की सेना पर कई हाई-प्रोफाइल हमलों के पीछे था, जिनमें 2 वो हमले हैं, जिनमें बलूचिस्तान में 12 और उत्तर-पश्चिम में 3 सैनिक मारे गए थे.

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नई दिल्ली: शनिवार सुबह तड़के, नौ भारी हथियारों से लैस इस्लामी आतंकवादियों ने पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) प्रशिक्षण एयर बेस मियांवाली पर हमला किया, जिसमें तीन नॉन-ऑपरेशनल विमान क्षतिग्रस्त हो गए. पीएएफ ने बताया कि वह सभी नौ आतंकवादियों को खत्म करने और एयरबेस पर किसी भी अन्य हमले को खत्म करने में सक्षम था.

पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री, अनवर उल हक काकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा,“पीएएफ को सलाम करते हुए “बहादुर” कहा और कहा कि इसने “कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले” को विफल करने में एक बार फिर “अपनी क्षमता साबित” की है.”

पीएएफ ने एक्स पर पोस्ट किया, “अल्हम्दुलिल्लाह, पीएएफ ट्रेनिंग एयरबेस मियांवाली में सर्चिंग और कॉम्बिंग अभियान समाप्त हो गया है और सभी नौ आतंकवादियों को नरक भेज दिया गया है.”

इसने आगे कहा, “पीएएफ की किसी भी कार्यात्मक परिचालन संपत्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ है, जबकि हमले के दौरान नॉन-ऐपरेशनल विमानों में से केवल तीन को कुछ नुकसान हुआ था.”

मियांवाली वायु सेना अड्डे को 2014 में एक समारोह में ‘पीएएफ बेस एमएम आलम’ नाम दिया गया था, जिसमें कथित तौर पर तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ और तत्कालीन वायु सेना प्रमुख ताहिर रफीक बट ने भाग लिया था.

बट द्वारा ‘लड़ाकू पायलटों का गढ़’ माने जाने वाले बेस का नाम बदल कर पाकिस्तानी एयर कमोडोर मुहम्मद महमूद आलम के नाम पर रखा गया था, जो एक वायु सेना के दिग्गज थे, जिन्होंने 1965 के युद्ध के दौरान एक मिनट के भीतर पांच भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों को मार गिराने का दावा किया था.

पीएएफ के उत्तरी वायु कमान को सौंपे गए बेस में कथित तौर पर चीन और पाकिस्तान द्वारा सह-विकसित काराकोरम 8-पी, एफ -7 और एफटी -7 पीजी (मिग -21 से विकसित) का एक स्क्वाड्रन और S319-B अलौएट III हल्के हेलीकॉप्टर के एक स्क्वाड्रन सहित प्रशिक्षण विमानों का एक स्क्वाड्रन शामिल है.

एक अल्पज्ञात आतंकवादी समूह, तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान (टीजेपी) ने कथित तौर पर अपने प्रवक्ता द्वारा पत्रकारों को भेजे गए एक बयान में हमले की जिम्मेदारी ली है.

टीजेपी एक नया समूह है जो इस साल की शुरुआत से सक्रिय है और इसने कई हाई-प्रोफाइल हमलों को अंजाम दिया है, जिसमें इस साल जुलाई में बलूचिस्तान प्रांत में कथित तौर पर 12 सैनिकों की हत्या, साथ ही उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में एक आत्मघाती हमला भी शामिल है जिसमें तीन सैनिकों की कथित तौर पर जान चली गई.

दिप्रिंट टीजेपी के इतिहास और इस साल पाकिस्तानी सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ “बढ़ रहे” हमलों पर नज़र डाल रहा है.


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तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान

टीजेपी की स्थापना कथित तौर पर इस साल फरवरी में हुई थी. वाशिंगटन डी.सी. स्थित थिंक टैंक, मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमईएमआरआई) की रिपोर्ट के अनुसार, 24 फरवरी को एक्स पर एक पोस्ट में टीजेपी ने अपनी स्थापना की घोषणा की, साथ ही मुल्ला मुहम्मद कासिम को अपना प्रवक्ता नियुक्त किया.

फरवरी में दिए गए बयान में कथित तौर पर इसके लक्ष्यों को भी रेखांकित किया गया था, जिसमें “शेख-उल-हिंद” को अपनी जिहादी विचारधारा के लिए प्रेरणा के रूप में उल्लेख किया गया था. शेख-उल-हिंद उत्तर प्रदेश के देवबंद में स्थित एक इस्लामी मदरसा दारुल उलूम देवबंद के तीसरे प्रिंसिपल महमूद हसन देवबंदी को संदर्भित करता है.

उर्दू में टीजेपी के बयान में कहा गया, जैसा कि एमईएमआरआई द्वारा अनुवादित है, “हम पाकिस्तान के धार्मिक हलकों को अच्छी खबर देना चाहते हैं कि इस्लामी विद्वानों के साथ लंबी चर्चा और ईमानदार लोगों के अनुरोध के बाद, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि शेख-उल-हिंद का आंदोलन जिस उद्देश्य से उभरा था वह पाकिस्तान की आज़ादी के बाद नष्ट हो गया है.”

MEMRI की रिपोर्ट के अनुसार, अमीर मौलाना अब्दुल्ला याघिस्तानी के तहत संगठन की स्थापना की घोषणा करते हुए टीजेपी के बयान में कहा गया, “हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सशस्त्र जिहाद के अलावा, पाकिस्तान में इस्लामी व्यवस्था को लागू करना संभव नहीं है.”

अपनी स्थापना के बाद से इसने मुख्य रूप से खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) और बलूचिस्तान प्रांतों में हमलों की जिम्मेदारी ली है. इसने 12 मई को बलूचिस्तान में पाकिस्तानी फ्रंटियर कोर के सैन्य शिविर पर हमले, अप्रैल में केपीके के लक्की मारवात जिले में एक निर्माणाधीन कॉलेज पर हमले और केपीके के कबाल शहर में एक और हमले की जिम्मेदारी ली है.

पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर बढ़ते हमले

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, शनिवार के हमले बलूचिस्तान और केपीके प्रांतों में अलग-अलग घटनाओं में 17 सैनिकों के मारे जाने के एक दिन बाद हुए हैं.

इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीआरएसएस) द्वारा सितंबर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के पहले नौ महीनों में पाकिस्तानी सुरक्षा कर्मियों का नुकसान आठ साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी और सितंबर 2023 के बीच पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने कम से कम 386 कर्मियों को खो दिया, जो कि सभी मौतों का लगभग 36 प्रतिशत है, जिसमें सीआरएसएस की रिपोर्ट के अनुसार, सेना के 137 जवान और 208 पुलिस कर्मी शामिल हैं.

2015 के बाद से चालू वर्ष सुरक्षा बलों की मृत्यु की संख्या में सबसे अधिक रहा है. सीआरएसएस की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में सुरक्षाकर्मियों की 415 मौतें हुईं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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