इस सप्ताह दिप्रिंट द्वारा विश्लेषण किया गया डेटा मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के “सूट-बूट” के आरोपों को खारिज करता है. कर प्रोत्साहनों को कंपनियों से हटाकर फिर से लोगों की ओर किया गया है. बीजेपी भी यूपीए पर कॉरपोरेट समर्थक होने का आरोप लगाती रहती थी. यह केवल कंपटीटिव पाखंड है. तथ्य यह है कि भारत को अभी भी वास्तव में एक कॉर्पोरेट समर्थक सरकार देखने बाकी है और इसकी जरूरत है.