मिर्जापुर: यूपी की मिर्जापुर लोकसभा सीट उन गिनी चुनी सीटों में है जहां त्रिकोणीय मुकाबला है. मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के खिलाफ कांग्रेस ने ललितेशपति त्रिपाठी व गठबंधन ने राम चरित्र निषाद को उतारा है. अनुप्रिया के पास क्षेत्र में पकड़ के अलावा मोदी फैक्टर का भी साथ है तो ललितेश यहां युवाओं में काफी पाॅपुलर हैं. वहीं गठबंधन के उम्मीदवार राम चरित्र निषाद को जातिगत समीकरणों पर पूरा यकीन है. मोदी, प्रियंका व अखिलेश-माया भी इस सीट के लिए पूरा दम लगा रहे हैं. ऐसे में इस सीट की जंग दिलचस्प हो गई है.
चुनाव प्रचार का तरीका
अनुप्रिया अपना दल (एस) के सिंबल कप-प्लेट पर चुनाव लड़ रही हैं और उन्हें बीजेपी का पूरा समर्थन है. उनके सामने चैलेंज ये भी है कि कमल के फूल के बजाए जनता के दिमाग में कप प्लेट की छवि छप जाए. ऐसे में वह अपने चुनाव प्रचार के दौरान ‘कप-प्लेट’ में ‘मोदी की चाय’ परोसने की बात कर रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके समर्थन में कहा है कि उन्होंने बचपन में कप-प्लेट बहुत धोए हैं अब कप प्लेट चमकाने की बारी है. अनुप्रिया ने भी इस लाइन को पकड़ लिया है.
वह अपनी जनसभाओं में कप प्लेट, चाय और चायवाले का जिक्र लगातार कर रही हैं और मोदी फैक्टर पर वोट मांग रही हैं. वहीं विपक्षी दल उनकी चाय में चीनी कम करने में जुटा हुआ है. कांग्रेस व गठबंधन प्रत्याशी अनुप्रिया से उनके 5 साल के कार्यकाल पर तंज कसते हुए हिसाब मांग रहे हैं.
आदरणीय मोदी जी को माँ विन्ध्यवासिनी जी की तस्वीर भेंटकर मिर्ज़ापुरवासियों की तरफ़ से अभिवादन किया। पूरे प्रदेश की जनता को मोदीजी के शक्तिशाली नेतृत्व पर विश्वास है, उनका उत्साह देखते ही बनता है।
प्रदेश ही नहीं, सारा देश उन्हें पुनः प्रधानमंत्री के रूप में पाने हेतु लालायित है। pic.twitter.com/GH7bQOOBWR— Anupriya Patel (@AnupriyaSPatel) May 16, 2019
दोहरा पाएंगी कामयाबी?
त्रिकोणीय मुकाबला अनुप्रिया के लिए चैलेंज बन गया है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी में 71 सीटें जीती थीं और अपना दल ने 2 सीटों पर कामयाबी पाई थी. 2016 में अनुप्रिया पटेल को मंत्रिमंडल में जगह दी गई. उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया. अब उनके मंत्री बन जाने की वजह से इस सीट का महत्व इस बार और ज्यादा बढ़ गया है. जानकारों का मानना है कि यूपी की राजनीति में 2014 के बाद अपना दल के प्रभाव में काफी इजाफा हुआ है. फिर मोदी सरकार में मंत्रिपद मिलने से राज्य की राजनीति में अनुप्रिया पटेल का भी कद बढ़ा है लेकिन उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज इस सीट को दोबारा जीतना है.
अपने ही बने मुसीबत
अनुप्रिया के लिए बड़ी मुसीबत उनके अपने भी हैं. मां कृष्णा पटेल व बहन पल्लवी पटेल अलग हो गई हैं और कांग्रेस के साथ समझौता कर लिया है. बता दें कि अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल ने लंबे समय तक यूपी में अपना दल के बैनर तले कुर्मी बिरादरी को एक करने की राजनीति की. हालांकि यूपी की राजनीति में कई दशक खर्च करने के बाद भी सोने लाल पटेल सीटों के लेवल पर कोई बड़ा परिवर्तन अपनी पार्टी के लिए नहीं ला सके लेकिन 2014 में जब देशभर में मोदी लहर चली तो अनुप्रिया पटेल ने बीजेपी से गठबंधन कर दो सीटों पर विजय हासिल की थी. अनुप्रिया पटेल की यह जीत पार्टी के संजीवनी की तरह बन गई.
क्या हैं सीट के समीकरण
मिर्ज़ापुर सीट पर लगभग 17 लाख वोटर्स हैं. इनमें सामान्य मतदाताओ की संख्या 23.48 प्रतिशत है. ओबीसी मतदाताओ का प्रतिशत सबसे अधिक 49.29 प्रतिशत है. कुर्मी 3 लाख 5 हजार, बिंद 1 लाख 45 हजार , ब्राह्मण 1 लाख 55 हजार, मौर्या 1 लाख 20 हजार ,क्षत्रिय 80 हजार, वैश्य 1 लाख 40 हजार , हरिजन 2 लाख 55 हजार ,यादव 85 हजार( लगभग) हैं. इसके अलावा पाल 50 हजार, सोनकर- 30 हजार और प्रजापति, नाई ,विश्वकर्मा, मुस्लिम मिलाकर करीब दो लाख की आबादी है.मिर्जापुऱ लोकसभा क्षेत्र में छानबे, मिर्जापुर, मंझावन, चुनार और मड़िहान विधानसभाएं हैं.
क्या है पब्लिक की राय
चुनाव में यहां के मतदाता अमितेश तिवारी बताते हैं कि अनुप्रिया मिर्जापुर में काफी लोकप्रिय हैं. अगर कुर्मी वोट नहीं बंटा तो वह सीट निकाल लेंगी. उनकी यहां अच्छी पकड़ है. वहीं कनक सराय गांव के राम अचल का कहना है कि कप प्लेट और मोदी की चाय का जिक्र भले ही अनुप्रिया कितना भी कर लें लेकिन फिर भी उनकी चाय में चीनी कम रह जाएगी. उन्होंने पब्लिक की उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं किया. अगर कांग्रेस ने बीजेपी के सर्वण वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी कर दी तो गठबंधन के चांस इस सीट पर बढ़ जाएंगे.