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Friday, 22 November, 2024
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जलवायु परिवर्तन के चलते आर्द्रता में वृद्धि से दिल्ली में बिजली की मांग में बढ़ोतरी: सीएसई रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा) जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के स्वरूप में बदलाव के चलते दिल्ली की सापेक्ष आर्द्रता में वृद्धि हुई है, जिससे असहजता बढ़ रही है, हालांकि 2011 के बाद से महानगर के परिवेशी तापमान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है। यह बात एक नए विश्लेषण से सामने आयी है।

स्वतंत्र विचार मंच ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ (सीएसई) के विश्लेषण से पता चलता है कि दिल्ली की सापेक्ष आर्द्रता में वृद्धि के कारण ताप सूचकांक में वृद्धि से शहर में बिजली की मांग बढ़ रही है।

ताप सूचकांक, इसका माप होता है कि जब सापेक्षिक आर्द्रता को हवा के वास्तविक तापमान के साथ जोड़ा जाता है तो मानव शरीर को कितनी गर्मी महसूस होती है। उच्च गर्मी और आर्द्रता का संयोजन मानव शरीर के मुख्य शीतलन तंत्र – पसीने – को प्रभावित कर सकता है।

त्वचा से पसीने का वाष्पीकरण हमारे शरीर को ठंडा करता है। हालांकि, उच्च आर्द्रता का स्तर इस प्राकृतिक शीतलन तंत्र को सीमित करता है। परिणामस्वरूप, लोग ताप तनाव और बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं और बहुत कम परिवेशी तापमान पर भी इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। 41 डिग्री सेल्सियस का ताप सूचकांक मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है।

सीएसई शोधकर्ताओं का कहना है कि ये स्थानीय रुझान प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों के वैश्विक निकाय ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आईपीसीसी) द्वारा की गई टिप्पणियों के अनुरूप हैं।

आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट (एआर6 डब्लूजी-आई रिपोर्ट) में कहा गया है कि शहरी केंद्रों में लू बढ़ गई है, जहां हवा का तापमान आसपास के क्षेत्रों की तुलना में कई डिग्री अधिक गर्म हो रहा है, खासकर रात के दौरान।

आईपीसीसी ने चेतावनी दी है कि शहरी ताप प्रभाव स्थानीय तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि कर सकता है, जिससे शहरों की अनुकूली क्षमता कम हो सकती है और जोखिम बढ़ सकते हैं।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान और पक्षसमर्थन) अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन शहर को इतना गर्म और आर्द्र बना रहा है कि यह रातों के दौरान भी पर्याप्त रूप से ठंडा नहीं हो रहा, जिससे गंभीर तापीय बेचैनी बढ़ रही है। इसके परिणामस्वरूप, यांत्रिक शीतलन के व्यापक उपयोग के चलते बिजली की मांग बढ़ रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘2018 में दिल्ली में वास्तविक समय लोड निगरानी शुरू होने के बाद से 2023 में, मॉनसून अवधि में औसत दैनिक अधिकतम बिजली की मांग सबसे अधिक थी।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली 10 गर्मियों में परिवेशी औसत तापमान 2001-10 के दशक के औसत तापमान से थोड़ा कम है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दिल्ली ठंडी हो रही है।

इसमें कहा गया है कि बारिश के स्वरूप में बदलाव, विशेष रूप से प्री-मानसून अवधि में बेमौसम बारिश के कारण सापेक्षिक आर्द्रता में वृद्धि हुई है, जिससे महानगर का मौसम उमस भरा और अधिक असुविधाजनक हो गया है, हालांकि परिवेशी तापमान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है।

2023 में प्री-मानसून मौसम के दौरान, औसत सापेक्ष आर्द्रता 49.1 प्रतिशत थी, जो 2001-10 के औसत से लगभग 21 प्रतिशत अधिक है।

सीएसई विश्लेषण से पता चलता है कि मॉनसून के मौसम (जून से सितंबर) के दौरान, औसत सापेक्ष आर्द्रता 73.2 प्रतिशत थी, जो 2001-10 के औसत से 14 प्रतिशत अधिक है।

भाषा अमित नरेश पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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