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Sunday, 3 November, 2024
होमराजनीति'भले ही धर्म इजाजत देता हो पर बिना परमिशन के दूसरी शादी नहीं', असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा बोले

‘भले ही धर्म इजाजत देता हो पर बिना परमिशन के दूसरी शादी नहीं’, असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा बोले

असम सरकार ने एक हालिया आदेश में अपने कर्मचारियों को उनके जीवनसाथी के जीवित रहने की स्थिति में दूसरी शादी करने से प्रतिबंधित किया है और ऐसा करने पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है.

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गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार का कोई भी कर्मचारी सरकार की मंजूरी के बिना दूसरी शादी नहीं कर सकता है, भले ही उनका धर्म इसकी इजाजत क्यों न देता हो.

हिमंत बिस्वा ने कहा, “असम सरकार के कर्मचारी के रूप में, हमारे सेवा नियम के नजरिए से, वह दूसरी शादी करने का हकदार नहीं है. हालांकि, यदि कोई धर्म आपको ऐसा करने की अनुमति देता है, तो भी नियम के अनुसार, आपको राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी. सरकार आपको इजाजत दे भी सकती है और नहीं भी दे सकती है. कर्मचारी की मृत्यु के बाद, दो पत्नियां पेंशन के मुद्दों पर एक-दूसरे से लड़ती हैं और हमें उन्हें निपटने में बहुत मुश्किल होती है.”

असम सरकार ने एक हालिया आदेश में अपने कर्मचारियों को उनके जीवनसाथी के जीवित रहने की स्थिति में दूसरी शादी करने से प्रतिबंधित किया है और ऐसा करने में संलिप्त पाये जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी.

शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह एक पुराना परिपत्र है. असम सरकार का कोई कर्मचारी, हमारे सेवा नियमों के दृष्टिकोण से, दूसरी शादी करने का हकदार नहीं है.’’

शर्मा ने कहा, ‘‘हमें उन विवादों का हल करने में बहुत कठिनाई हुई है. कई विधवाएं परस्पर विरोधी दावों के कारण पेंशन से वंचित हो गई हैं. यह नियम पहले से था, हमने इसे लागू नहीं किया था. अब, हमने इसे लागू करने का निर्णय किया है.’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी व्यक्ति दूसरी शादी कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन एक सरकारी कर्मचारी को दूसरी शादी करने से पहले राज्य सरकार की अनुमति लेनी पड़ेगी, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान. इसे राज्य सरकार की जानकारी में देना होगा.’’

शर्मा ने जोर देते हुए कहा कि यह नियम भाजपा-नीत सरकार ने नहीं बनाया है, बल्कि इसे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने लाया था.

कार्मिक विभाग ने 20 अक्टूबर को एक कार्यालय ज्ञापन के जरिये कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि जीवनसाथी के जीवित रहने की स्थिति में दूसरी शादी करने से पहले उन्हें सरकार की अनुमति लेनी होगी.

अधिसूचना अतिरिक्त मुख्य सचिव (कार्मिक) नीरज वर्मा ने जारी की है, जो बृहस्पतिवार को उपलब्ध हुआ.

इसमें कहा गया है कि असम सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1965 के नियम 26 के प्रावधानों के अनुसार दिशानिर्देश जारी किये गए हैं.

आदेश में कहा गया है, ‘‘उपरोक्त प्रावधानों के संदर्भ में, अनुशासनात्मक प्राधिकार दंड के लिए अविलंब विभागीय कार्यवाही शुरू कर सकता है. इन दंडों में जबरन सेवानिवृत्ति भी शामिल है.’’

इसमें इस तरह के कृत्य को सरकारी सेवक का बड़ा कदाचार करार दिया गया है, क्योंकि समाज पर इसका काफी असर पड़ता है.

कार्यालय ज्ञापन में अधिकारियों से यह भी कहा है कि इस तरह के मामले सामने आने पर वे आवश्यक कानूनी कार्रवाई करें.

कार्मिक विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज वर्मा ने 20 अक्टूबर को जारी आदेश में सभी सरकारी कर्मचारियों को यह बात कही है.

राज्य विधानसभा में सरकार बहुविवाह के खिलाफ लाएगी कानून

यह टिप्पणी सितम्बर में राज्य विधानसभा में एक कानून लाने की सरकार की घोषणा की पृष्ठभूमि में आई है जो बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाएगी.

बहुविवाह एक से अधिक व्यक्तियों (एकाधिक पति/पत्नी) से विवाह करने की प्रथा है.

उस वक्त असम के सीएम ने कहा था कि सरकार ने बहुविवाह बिल पर 149 लोगों से सुझाव लिए थे और 146 लोगों ने इसका समर्थन किया है.

असम सरकार ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने और झूठी पहचान के आधार पर अंतर-धार्मिक विवाह, बाल विवाह आदि के मामले में काजियों की भूमिका जैसे अन्य संबंधित मुद्दों पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित कानून का मसौदा तैयार करने के लिए असम के महाधिवक्ता देवजीत लोन सैकिया की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है.

बाल विवाह के खिलाफ राज्यव्यापी कार्रवाई के दूसरे चरण में, असम पुलिस ने 3 अक्टूबर को 800 से अधिक आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है.

विवरण देते हुए, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर लिखा, “बाल विवाह के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई में, असम पुलिस ने एक विशेष अभियान में 800 से अधिक आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जो सुबह के शुरुआती घंटों में किया गया. गिरफ्तारियों की संख्या बढ़ने की संभावना है.”


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