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Friday, 15 November, 2024
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मोदी-योगी के साथ फोटो, OSD और गनर के साथ तस्वीरें – कैसे ‘रेल पैनल के सदस्य ने जनता से करोड़ों की ठगी की’

अनूप चौधरी ने एक ओएसडी नियुक्त किया और गाजियाबाद पुलिस से एक गनर पाने में में कामयाब रहे. उनके खिलाफ यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान में 9 मुकदमे दर्ज हैं. साथ ही उन्होंने बीजेपी सदस्य होने का भी दावा किया.

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लखनऊ: जनता से करोड़ों रुपये ठगने के आरोप में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने ज़ोनल रेलवे उपयोगकर्ता सलाहकार समिति के सदस्य अनूप चौधरी को दिल्ली में गिरफ्तार किया है. उन पर सरकार से संबंधित मामलों में मदद करने के बहाने लोगों को धोखा देने के लिए आधिकारिक विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है. उन्हें सोमवार रात को गिरफ्तार किया गया है.

चौधरी अयोध्या के रहने वाले हैं और भाजपा का सदस्य होने का दावा करते हैं. वह भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की सलाहकार समिति का सदस्य होने का भी दावा करते हैं, लेकिन दिप्रिंट स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं कर सका.

एसटीएफ के एक बयान के अनुसार, चौधरी ने अपने लिए एक ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) नियुक्त किया था और यहां तक कि ग़ाज़ियाबाद पुलिस से एक गनर पाने में कामयाब रहे. ये रणनीति कथित तौर पर इसलिए अपनाई गई थी ताकि वह एक उच्च पदस्थ अधिकारी के रूप में दिखें.

चौधरी के यूट्यूब चैनल में एक कोलाज है जो कि सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान के पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेताओं के साथ का है. राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा सांसद साक्षी महाराज के साथ उनकी वन-टू-वन मुलाकात की तस्वीरें भी हैं.

यूपी एसटीएफ के बयान में कहा गया है कि उसे “लंबे समय से” एक “गैंग” के बारे में जानकारी मिल रही थी जो “आदरणीय प्रधानमंत्री के कार्यों को जनता के बीच ले जाने के नाम पर” संगठित अपराध में संलग्न था.

बयान में कहा गया है: “सूचना एकत्र करने के दौरान, यह पाया गया कि अनूप चौधरी केंद्रीय रेल मंत्रालय का सदस्य होने का दावा करके जनता के साथ धोखाधड़ी कर रहे थे और अब तक धोखाधड़ी से करोड़ों रुपये एकत्र कर चुके हैं, जिससे आम जनता के बीच सरकार की छवि को नुकसान हो रहा है.”

एसटीएफ ने चौधरी और उनके ड्राइवर फ़िरोज़ आलम के खिलाफ अयोध्या के कैंट पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की है, जिसे भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (किसी और का रूप बनाकर धोखाधड़ी करना), 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा को लेकर जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (धोखाधड़ी से किसी जाली दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक के रूप में उपयोग करना) और 120-बी (आपराधिक साजिश).

उनके खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने भी एफआईआर दर्ज की है. बुधवार को एक वीडियो बयान में, गाजियाबाद के अतिरिक्त एसपी निपुण अग्रवाल ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि चौधरी फर्जी लेटरहेड पर गाजियाबाद एसएसपी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को मेल भेज रहा है और 2020 से अस्थायी आधार पर एक गनर रखता है. अग्रवाल ने कहा कि गनर को निलंबित कर दिया गया है क्योंकि “उसने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सूचित किए बिना जिला छोड़ दिया.”

एसटीएफ सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि चौधरी के खिलाफ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में कुल नौ मामले दर्ज हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जयपुर इकाई ने भी धोखाधड़ी के एक मामले में उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है.

इस बीच, भाजपा ने चौधरी से दूरी बनाने की कोशिश की है.

यूपी बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने दिप्रिंट से कहा कि उन्हें चौधरी के बारे में नहीं पता. उन्होंने यह भी कहा कि यह संभव है कि वह रेलवे समिति के साथ-साथ एफसीआई का सदस्य होने के बारे में गलत दावे कर रहा हो.

हालांकि, उत्तर रेलवे के अधीक्षक बीर सिंह ने दिप्रिंट से पुष्टि की कि अनूप चौधरी समिति के सदस्य थे. सिंह ने यह भी कहा कि चौधरी का नाम रेलवे बोर्ड ने सुझाया था.

दिप्रिंट ने एफसीआई, लखनऊ के एजीएम (को-ऑर्डिनेशन) चरण नारायण जयभाये से संपर्क किया, जिन्होंने कहा कि वह चौधरी के विवरण की जांच करने के बाद ही संगठन के साथ उनके जुड़ाव की पुष्टि कर सकते हैं.

कौन हैं अनूप चौधरी?

अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स में, अनूप चौधरी खुद को कई लोगों से संबंध रखने वाले वाले भाजपा पदाधिकारी के रूप में पेश करते हैं.

उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, चौधरी का एक पुराना साक्षात्कार वायरल हो गया.

यूट्यूब चैनल लल्लनटॉप पर मार्च 2023 के एक वीडियो में, चौधरी ने दावा किया कि भाजपा में शामिल होने के बाद लोगों ने ट्रांसफर, पोस्टिंग और टेंडर मंजूरी जैसे मामलों में सहायता के लिए उनसे संपर्क किया. हालांकि, उन्होंने दावा किया कि बीजेपी में ऐसी चीजें नहीं होतीं.

उन्होंने इस साक्षात्कार में यह भी कहा कि वह 2017 तक समाजवादी पार्टी का हिस्सा थे और इसकी युवा शाखा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे. उनके मुताबिक, वह उस साल अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुए थे.

उन्होंने दावा किया कि उनकी एक खाद्य प्रसंस्करण कंपनी है, जिसके प्लांट अयोध्या और लखीमपुर में हैं.

एक एसटीएफ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि वे चौधरी की दावा की गई स्थिति को सत्यापित करने के लिए उत्तर रेलवे और एफसीआई, लखनऊ को लिखेंगे.


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कैसे होता है काम?

एसटीएफ के बयान के मुताबिक, चौधरी ने इसके लिए एक विस्तृत योजना तैयार की. उन्होंने एक ओएसडी नियुक्त किया जो कथित तौर पर मंत्रियों को मिलने वाले सरकारी प्रोटोकॉल लाभों को लेने के लिए जिला पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को उनकी ओर से जाली पत्र भेज करता था.

बयान में कहा गया है कि विभिन्न स्थानों की अपनी यात्राओं के दौरान, चौधरी आम जनता से जुड़े रहे और उन्हें “प्रोटोकॉल मिलने का दिखावा” करके प्रभावित किया. फिर वह कथित तौर पर सरकार से संबंधित कार्यों को सुविधाजनक बनाने की आड़ में उनसे “एडवॉन्स में पैसे” वसूल करता था.

एक गुप्त सूचना मिलने पर कि चौधरी सोमवार को धार्मिक यात्रा के लिए अयोध्या पहुंचेंगे, एसटीएफ की एक टीम ने सर्किट हाउस से सटे सड़क के पास उनके वाहन को रोक लिया.

रात करीब 10:35 बजे, जब वाहन रुका, तो कथित तौर पर गाजियाबाद पुलिस का एक हेड कांस्टेबल उतरा और खुद को चौधरी का ‘आधिकारिक गनर’ बताया.

एसटीएफ के बयान में कहा गया है कि चौधरी के साथ आए एक अन्य व्यक्ति ने अपना परिचय सत्येन्द्र वर्मा के रूप में दिया.

बयान में कहा गया है, “(वर्मा) ने बताया कि अनूप ने एक हवाई अड्डे पर उनसे दोस्ती की थी और उनसे धार्मिक स्थानों के दर्शन के लिए हेलिकॉप्टर सेवाएं प्रदान करने के लिए एक कंपनी बनाने में मदद करने का अनुरोध किया था.”

चौधरी की अयोध्या यात्रा के लिए, उनके ‘ओएसडी’ श्रीनिवास नराला ने कथित तौर पर जिले के डीएम, एसएसपी और चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखकर सर्किट हाउस में रहने और स्थानीय पुलिस सुरक्षा का अनुरोध किया था.

बयान में कहा गया है, “अनूप चौधरी ने (एसटीएफ अधिकारियों को) सूचित किया कि वह जोनल रेलवे उपयोगकर्ता सलाहकार समिति, उत्तर रेलवे और एफसीआई, लखनऊ के सदस्य हैं… उसने नराला को अपना निजी ओएसडी नियुक्त किया, जिसके माध्यम से वह नकली लेटर पैड पर तैयार जाली पत्र जारी यूपी और अन्य राज्यों के सरकारी अधिकारियों को ईमेल के माध्यम से पत्र भेज करके सरकारी प्रोटोकॉल का लाभ उठाया.”

इसमें आगे कहा गया है कि चौधरी ने हाल ही में चेन्नई की यात्रा के साथ-साथ इस महीने प्रस्तावित इटावा यात्रा से पहले आधिकारिक लाभ लेने के लिए जाली पत्रों का भी इस्तेमाल किया था.

राज्यों में मामले

एसटीएफ के बयान में कहा गया है कि चौधरी ने कुछ सहयोगियों के साथ एक निजी कंपनी खोली थी, लेकिन इसके बंद होने के बाद कई पीड़ित व्यक्तियों ने उनके खिलाफ मामले दर्ज कराए.

उन पर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी, आपराधिक धमकी, हमला या आपराधिक बल का उपयोग करने और स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के नौ मामले हैं.

जबकि पांच मामले यूपी के विभिन्न जिलों में दर्ज हैं, दो उत्तराखंड में लंबित हैं और शेष दो क्रमशः जयपुर पुलिस और सीबीआई की जयपुर इकाई द्वारा दर्ज किए गए हैं.

यूपी एसटीएफ के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “जयपुर सीबीआई ने आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत एक मामले में 22 दिसंबर, 2020 को उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.”

साथ ही, उत्तराखंड पुलिस ने खटीमा और हलद्वानी में दर्ज धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक विश्वासघात के दो मामलों में चौधरी के बारे में कोई भी जानकारी देने वाले को 15,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की.

(संपादनः शिव पाण्डेय)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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