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Sunday, 24 November, 2024
होममत-विमत60 के बाद अपनी स्किन को नजरअंदाज न करें, भूरे धब्बे, स्किन कैंसर, मस्सों पर उचित ध्यान देने की जरूरत है

60 के बाद अपनी स्किन को नजरअंदाज न करें, भूरे धब्बे, स्किन कैंसर, मस्सों पर उचित ध्यान देने की जरूरत है

बुजुर्गों में स्किन संबंधी समस्या का कारण दवाओं की साइड इफेक्ट, उम्र से जुड़ी दिक्कतें और खराब जीवनशैली आदि है. वृद्धावस्था संबंधी समस्याओं के लिए किसी अच्छे त्वचा विशेषज्ञ से जरूर मिलें.

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जबकि अधिकांश स्किन से जुड़े प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी युवा कंस्टमर्स को ध्यान में रखकर अपनी पूंजी लगाती है, वृद्ध व्यक्तियों को भी अपनी स्किन संबधित समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए. बुजुर्गों को होने वाली स्किन संबंधित कई समस्याओं को समय पर देखभाल और ध्यान देने से रोका जा सकता या कम किया जा सकता है. भारत में दुनिया के कई हिस्सों की तरह वयस्क व्यक्तियों को जलवायु, जीवनशैली, आनुवंशिकी और पर्यावरण जैसे कारकों से प्रभावित कई प्रकार की स्किन संबंधी समस्याओं का अनुभव होता है. ये सभी कारक बुजुर्ग व्यक्तियों की स्किन पर और अधिक प्रभाव डालते हैं.

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 104 मिलियन बुजुर्ग व्यक्ति (60 वर्ष या उससे अधिक आयु) हैं, जिनमें से 71 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में और बाकी शहरी क्षेत्रों में रहते हैं. स्टडी से पता चलता है कि 90 प्रतिशत से अधिक वरिष्ठ नागरिक सेबोरहाइक केराटोज़ (भूरे रंग के धब्बे), स्किन कैंसर, मस्से और टैग जैसे स्किन संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं.

मैंने कई अनगिनत बुजुर्ग रोगियों का इलाज किया है, जो स्किन सबंधित समस्याओं से जूझ रहे थे. बुजुर्गों में स्किन संबंधित बीमारियों के कारणों में दवाओं का साइड इफेक्ट, उम्र से संबंधित स्थितियां जैसे पोषण संबंधी कमी, रक्त रोग और यकृत की समस्याएं या खराब जीवनशैली और आहार जैसे अन्य कारण शामिल हैं. इसीलिए वृद्ध व्यक्तियों को एक अच्छे और योग्य स्किन स्पेशलिस्ट से जरूर मिलना चाहिए.

बुजुर्गों को परेशान करने वाली स्किन संबंधी समस्याएं अधिकतर सामान्य और कम खतरनाक होती है. 40 से 50 वर्ष की आयु से शुरू होकर, स्किन की लोच में गिरावट, स्किन और मांसपेशियों के बीच वसा की कमी, तनाव और मोटापे के कारण ‘हंसी की रेखाएं’ और ‘चिंता की रेखाएं’ आदि पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है. स्किन झुर्रीदार, ढीली या धब्बेदार हो सकती है. उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्किन पर जो धब्बे होते हैं, वो धीरे-धीरे हाथ और पैरों में भी दिखाई देने लगते हैं. हालांकि, ये पैच स्किन की स्थिति के अनुसार अलग-अलग होते हैं.

यूवी किरणों के संपर्क में आने से होने वाला स्किन कैंसर और कैंसर की शुरुआती समस्या आज बुजुर्गों में आम है. 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को भी शुष्क या खुजली वाली स्किन की शिकायत होती है, जो तब होता है जब तेल ग्रंथियां सूख जाती हैं.

मधुमेह, कैंसर से पीड़ित लोगों या जिनकी सर्जरी हुई है, उन्हें घाव ठीक से न भरने और संक्रमण जैसी जटिलताओं को रोकने के लिए अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.


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वृद्ध लोगों को अधिक देखभाल की आवश्यकता क्यों है?

जब स्किन की देखभाल की बात आती है तो बुजुर्ग व्यक्तियों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है. बुजुर्गों की इसलिए भी ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इससे संबधित समस्याओं के चलते उन्हें अन्य चिकित्सीय जटिलताओं का भी सामना करना पड़ सकता है. 

मधुमेह के रोगियों और लंबे समय से अस्वस्थ या बिस्तर पर पड़े व्यक्तियों में खराब रक्त परिसंचरण के कारण दबाव अल्सर, घाव या सुन्नता विकसित हो सकती है. ऐसे कारक वृद्धावस्था में स्किन की देखभाल को जटिल बनाते हैं. चोटों के मामले में, बुजुर्ग रोगियों को उचित जांच, दवा की आवश्यकता होती है. पोटेशियम परमैंगनेट सोख एक सामान्य प्राथमिक चिकित्सा उपाय है जिसे मामूली चोटों और घावों को साफ करने के लिए घर पर तैयार किया जा सकता है. पोटेशियम परमैंगनेट के दो से तीन क्रिस्टल को एक मग गुनगुने पानी में घोलकर हल्का गुलाबी घोल बनाया जा सकता है, जिसमें आप रुई के गोले डुबो सकते हैं और फिर उन्हें चोट वाली जगह पर लगा सकते हैं. पांच मिनट बाद इसे साफ पानी से धो लें और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा लगाएं.

मधुमेह के मरीज भी अक्सर ड्राई स्किन की समस्या की शिकायत करते हैं. ऐसे व्यक्तियों को झूठे विज्ञापनों का शिकार होने के बजाय अपने आहार में सुधार पर ध्यान देना चाहिए. ओमेगा फैटी एसिड से भरपूर आहार लें. अलसी के बीज इसमें बड़े काम आते हैं. आप पारदर्शी साबुन का भी उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि इसमें पारदर्शी या रंगीन साबुन की तुलना में अधिक ग्लिसरीन होता है. फटे पैरों और हाथों के लिए, मैं पीसे हुए कपूर के साथ ग्लिसरीन के मिश्रण का एक सरल लेकिन बेहद प्रभावी समाधान सुझाती हूं. 200 मिलीलीटर ग्लिसरीन में दो बड़े चम्मच कुचला हुआ कपूर मिलाएं और इस मिश्रण को दिन में दो बार लगाएं. बॉडी स्प्रे या परफ्यूम का इस्तेमाल करते समय उन्हें सीधे स्किन पर नहीं बल्कि कपड़ों पर लगाएं.


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ठीक करने के उपाय

वृद्धावस्था में स्किन की देखभाल के लिए, सरल दिनचर्या पर ध्यान केंद्रित करें जो स्किन के स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है और उम्र से संबंधित सामान्य चिंताओं को कम करती है.

नियमित रूप से सफाई करें: स्किन का प्राकृतिक तेल छीने बिना उसे धीरे से साफ करने के लिए हल्के, खुशबू रहित क्लींजर का उपयोग करें. गर्म पानी से नहाने से बचें. अत्यधिक शुष्कता से बचने के लिए नहाने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करें.

मॉइस्चराइज़र: नमी बनाए रखने और स्किन को कोमल बनाए रखने के लिए नहाने के तुरंत बाद एक समृद्ध, हाइड्रेटिंग मॉइस्चराइज़र लगाएं. ऐसा मॉइस्चराइज़र चुनें जिसमें हयालूरोनिक एसिड या ग्लिसरीन जैसे चीजें हों.

धूप से सुरक्षा: अपनी स्किन को सूरज की हानिकारक यूवी किरणों से बचाने के लिए 30 या अधिक SPF वाले ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का उपयोग करें. शरीर को सुरक्षा प्रदान करने वाले कपड़े और चौड़ी किनारी वाली टोपी पहने. बाहर जाने पर हमेशा छाया में रहने का प्रयास करें. बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण अधिक मरीज़ स्किन एलर्जी की शिकायत कर रहे हैं. स्किन विशेषज्ञों ने भी सूरज के संपर्क में आने से होने वाली संचयी स्किन क्षति के कारण स्किन कैंसर के मामलों में वृद्धि दर्ज की है.

एक्सफोलिएट: मृत स्किन कोशिकाओं को हटाने और नए स्किन के लिए सप्ताह में एक या दो बार एक्सफोलिएंट का उपयोग करें. संवेदनशील स्किन के लिए हल्के एक्सफ़ोलीएटिंग स्क्रब या कैमिकल एक्सफ़ोलिएंट का इस्तेमाल करें.

कठोर उत्पादों से बचें: कठोर साबुन, अल्कोहल-आधारित उत्पादों या तेज़ सुगंध से दूर रहें जो उम्र बढ़ने वाली स्किन को परेशान कर सकते हैं.

पर्याप्त हाइड्रेटेड बनाए रखें: स्किन को अंदर से हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी पिएं. नमी के स्तर को बनाए रखने के लिए, खासकर शुष्क जलवायु में, घर के अंदर ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने की कोशिश करें.

स्वस्थ आहार का सेवन करें: स्किन को आवश्यक पोषक तत्वों से पोषण देने के लिए फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करें. मुक्त कणों से लड़ने और स्किन के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें.

नियमित व्यायाम करें: रक्त परिसंचरण में सुधार के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें, जिससे स्किन को अधिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है. व्यक्तिगत क्षमताओं और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर व्यायाम की सिफारिशों के लिए किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श लें.

नियमित जांच: स्किन में होने वाले परिवर्तनों की निगरानी करने, संभावित समस्याओं का शीघ्र पता लगाने और उचित सलाह प्राप्त करने के लिए स्किन विशेषज्ञ से नियमित स्किन जांच कराएं.

घाव की उचित देखभाल सुनिश्चित करें: संक्रमण से बचने के लिए कट, खरोंच या घाव का यथाशीघ्र इलाज करें. घाव को अच्छी तरह धोएं और उसकी ड्रेसिंग करें.

अच्छी नींद लें: पर्याप्त नींद रात भर में स्किन को फिर से जीवंत और मरम्मत करने में मदद करती है. आरामदायक बिस्तर का उपयोग करें और सोने के समय की दिनचर्या बनाए रखें.

तनाव कम लें: स्किन पर तनाव के प्रभाव को कम करने के लिए गहरी सांस लेना, ध्यान या सौम्य योग जैसी तकनीकों का अभ्यास करें. इन स्किन देखभाल जरूरतों को व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप बनाएं. व्यक्तिगत सलाह के लिए किसी डॉक्टर या स्किन विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित है. 

डॉक्टर से मिलें: किसी भी वृद्ध में स्किन संबंधित समस्या के लिए मैं आधी-अधूरी धारणाओं के आधार पर व्यक्तिगत उपचार का सहारा लिए बिना किसी योग्य डॉक्टर या स्किन विशेषज्ञ से मिलने की सलाह देती हूं. जितनी जल्दी इलाज होगा, उतनी ही तेजी से रिकवरी होगी.

वृद्धावस्था की स्किन संबंधी समस्याओं को कभी भी नज़रअंदाज या हल्के में नहीं लेना चाहिए. यह आवश्यक है कि आप उचित उपचार के लिए स्किन विशेषज्ञ से मिलें. स्किन की देखभाल और धूप से सुरक्षा स्किन के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, खासकर भारत की चिलचिलाती जलवायु में.

(डॉ दीपाली भारद्वाज एक त्वचा विशेषज्ञ, एंटी-एलर्जी विशेषज्ञ, लेजर सर्जन और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित एस्थेटीशियन हैं. उनका एक्स हैंडल @dermatdoc है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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