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Sunday, 3 November, 2024
होमदेश'समलैंगिकों को शादी की मान्यता देना संसद का अधिकार' CJI बोले- एकसाथ मिलकर ले सकते हैं बच्चा गोद

‘समलैंगिकों को शादी की मान्यता देना संसद का अधिकार’ CJI बोले- एकसाथ मिलकर ले सकते हैं बच्चा गोद

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी विपरीत लिंग के संबंधों में ट्रांसजेंडर्स को मौजूदा कानून के तहत विवाह का अधिकार है.

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नई दिल्ली: समलैंगिकों की शादी को मान्यता देना सरकार का अधिकार है लेकिन उनके प्रति किसी तरह का भेदभाव न किया जाए यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा कि समलैंगिकों के साथ में आने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है.

यही नहीं सीजेआई ने यह भी कहा कि किसी विपरीत लिंग के संबंधों में ट्रांसजेंडर्स को मौजूदा कानून के तहत विवाह का अधिकार है. इसके अलावा अविवाहित जोड़े, यहां तक कि समलैंगिक भी साझा तौर पर बच्चे को गोद ले सकते हैं.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह अदालत कानून नहीं बना सकती, वह केवल उसकी व्याख्या कर सकती है और उसे प्रभावी बना सकती है. उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘समलैंगिकता केवल शहरी अवधारणा नहीं है या समाज की हाई सोसाइटी तक ही सीमित नहीं है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय संसद को करना है.’’

सीजेआई ने कहा, ‘‘यह कल्पना करना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में मौजूद है, उन्हें मिटाने जैसा होगा. किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति समलैंगिक हो सकता है.’’

सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 10 दिनों की सुनवाई के बाद 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

मंगलवार 17 अक्टूबर को इसपर फैसला सुनाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “चार फैसले हैं, फैसलों में कुछ हद तक सहमति और कुछ हद तक असहमति होती है. अदालत कानून नहीं बना सकती बल्कि केवल उसकी व्याख्या कर सकती है और उसे प्रभावी बना सकती है.”

सीजेआई ने कहा, “समलैंगिकों के साथ में आने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लग सकता.”

उन्होंने कहा, “किसी विपरीत लिंग के संबंधों में ट्रांसजेंडर्स को मौजूदा कानून के तहत विवाह का अधिकार है. इसके अलावा अविवाहित जोड़े, यहां तक कि समलैंगिक भी साझा तौर पर बच्चे को गोद ले सकते हैं.

फैसला सुनाने वाली पांच जजों वाली इस संविधान पीठ में प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा शामिल हैं.

सीजेआई के अलावा न्यायमूर्ति कौल, न्यायमूर्ति भट और न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने अलग-अलग फैसले लिखे हैं.

सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा, “समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता विवाह समानता की दिशा में एक कदम है. हालांकि, शादी अंत नहीं है. आइए हम स्वायत्तता बनाए रखें क्योंकि इससे दूसरों के अधिकारों का हनन नहीं होता है.”

सीजेआई ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के लिए वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच में कोई भेदभाव न हो और सरकार को समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करने का निर्देश दिया.


यह भी पढ़ें: विवाह मौलिक अधिकार नहीं, समान सेक्स मैरिज पर फैसला अदालत के कमरे में नहीं, संसद में हो


हॉटलाइन और गरिमा गृह बनाई जाए

सरकार समलैंगिक समुदाय के लिए हॉटलाइन बनाएगी, हिंसा का सामना करने वाले समलैंगिक जोड़ों के लिए सुरक्षित घर ‘गरिमा गृह’ बनाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि अंतर-लिंग वाले बच्चों को ऑपरेशन के लिए मजबूर न किया जाए.

सीजेआई ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक लोगों के साथ उनके यौन रुझान के आधार पर भेदभाव न किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश समलैंगिक समुदाय के संघ में प्रवेश के अधिकार के खिलाफ भेदभाव नहीं करेंगे.

सीजेआई ने निर्देश दिया कि, “केंद्र सरकार समलैंगिक संघों में व्यक्तियों के अधिकारों और हकों को तय करने के लिए एक समिति का गठन करे.”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि “यह समिति समलैंगिक जोड़ों को राशन कार्डों में ‘परिवार’ के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खातों के लिए नामांकन करने में सक्षम बनाने, पेंशन से मिलने वाले अधिकारों पर विचार करेगी. ग्रेच्युटी आदि. समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा.”

जनता को जागरूक करें

सीजेआई ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के लिए वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच में कोई भेदभाव न हो और सरकार को समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करने का निर्देश दिया.

विवाह समानता मामले पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि पुलिस को समलैंगिक जोड़े के खिलाफ उनके रिश्ते को लेकर एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करनी चाहिए.


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