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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशअंतिम संस्कार के दौरान एक पुजारी के शक से कैसे पिता की ‘हत्या’ के लिए बेटा हुआ गिरफ्तार

अंतिम संस्कार के दौरान एक पुजारी के शक से कैसे पिता की ‘हत्या’ के लिए बेटा हुआ गिरफ्तार

एक व्यक्ति ने कथित तौर पर गुस्से में अपने पिता की हत्या कर दी और गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार करने के लिए ले गया, लेकिन पुजारी ने शरीर पर चोट के निशान देखे और पुलिस को सूचित किया.

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नई दिल्ली: एक स्थानीय पुजारी के शक के कारण गुरुवार को पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग में पिता की कथित तौर पर गुस्से में हत्या करने के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार करने की बेटे की कोशिश विफल हो गई.

26-वर्षीय रिंकू यादव को गुरुवार दोपहर दिल्ली के पश्चिम पुरी श्मशान से गिरफ्तार किया गया, जहां वह अपने पिता 60-वर्षीय संजीव यादव के शव को अंतिम संस्कार के लिए लाया था.

पुलिस के मुताबिक, पुजारी संजय चौहान ने अंतिम संस्कार करते समय शव की गर्दन और बांह पर घाव देखे. जब उन्होंने यादव से इनके बारे में पूछा, तो उसने कथित तौर पर असंतोषजनक जवाब दिया और सवालों से बचने की कोशिश की. इसके बाद चौहान को शक हुआ और उन्होंने पुलिस को सतर्क कर दिया.

पुलिस की एक टीम दोपहर करीब दो बजे मौके पर पहुंची और यादव को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने कहा कि यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूतों को गायब करना और गलत जानकारी देना) के तहत मामला दर्ज किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

पंजाबी बाग के एसएचओ मंजीत सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “आरोपी ने गुरुवार सुबह गुस्से में अपने पिता की हत्या कर दी. वह पिता की शराब पीने की समस्या से तंग आ गया था और उसने ब्लेड से उनका गला काट दिया और बाद में शव को अंतिम संस्कार के लिए ले आया.”

पुलिस के अनुसार, पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग, मादीपुर का निवासी यादव पहले नागरिक सुरक्षा सेवाओं में कार्यरत था, लेकिन वर्तमान में बेरोज़गार है. 2013 में अपनी मां की मृत्यु के बाद उसने अपने भाई-बहनों की देखभाल की और कथित तौर पर पारिवारिक जिम्मेदारियों पर ध्यान न देने के कारण अपने पिता से निराश था. पुलिस ने कहा कि पिता ड्राइवर थे और निर्माण व्यवसाय से जुड़े थे.

सिंह ने कहा कि यादव अपने पिता के कथित हिंसक व्यवहार से भी तंग आ गया था. सिंह ने बताया कि यादव ने पुलिस को बताया कि उसके पिता ने एक बार नशे में उसकी बहन पर हमला किया और वह अक्सर सड़कों पर हंगामा करते थे.

पुलिस के अनुसार, पड़ोसियों ने संजीव यादव द्वारा सार्वजनिक रूप से हंगामा करने की बात की पुष्टि की और कहा कि वह हर तीन या चार दिनों में केवल एक बार परिवार से मिलने आते थे.

पुलिस ने कहा कि उन्होंने यादव के छोटे भाई-बहनों के भी बयान दर्ज किए हैं, जो घटना के समय मौजूद नहीं थे.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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