नयी दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सिक्किम में आई बाढ़ का हवाला देते हुए बुधवार को कहा कि इस तरह की आपदाओं को रोकने के लिए स्थानीय पारिस्थिति के प्रति संवेदनशीलता दिखाने के साथ कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं।
उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील पर बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई, जिससे पांच लोगों की मौत हो गई और सेना के 23 जवान लापता हो गए। अधिकारियों ने बताया कि अचानक बाढ़ आने और चुंगथांग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण स्थिति और बिगड़ गई। बाढ़ मंगलवार देर रात करीब डेढ़ बजे आई।
इस आपदा को लेकर पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘सिक्किम में तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ ने सेना के जवानों सहित कई लोगों की जान ले ली, जो अत्यंत दुखद है। देश इस त्रासदी पर दुखी है। यह फिर से इसका स्मरण कराता है कि हमें विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं की योजना बनाते और क्रियान्वित करते समय स्थानीय पारिस्थितिकी के प्रति अधिक संवेदनशील होने के बारे में कैसे सीखना चाहिए।”
उनका कहना था, ‘‘मैं इस दर्दनाक क्षण में बहुत कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन मंत्री रहते हुए मैंने बांधों के निर्माण से पहले व्यापक और विश्वसनीय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन पर जोर दिया था। यह एक कठिन निर्णय है लेकिन ऐसी आपदाओं से बचने के लिए कभी-कभी कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं। लेकिन लगता है कि हम कभी नहीं सीखते।’’
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