बिहार जाति जनगणना के नतीजे आश्चर्यजनक नहीं हैं. वे पिछड़े वर्ग की जनसंख्या अनुमान के अनुरूप हैं. यह भारतीय राजनीति के लिए विघटनकारी है, जिससे मोदी सरकार पर जनगणना में जाति की गणना करने का दबाव बढ़ गया है. इससे कोटा पुनर्वितरण के लिए ओबीसी के उप-वर्गीकरण पर रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग बढ़ेगी, साथ ही मंडल बनाम कमंडल की राजनीति नए सिरे से शुरू हो गई है.