गोपेश्वर, 29 सितंबर (भाषा) हरित क्रांति के जनक और विख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर चिपको आंदोलन के नेता चंडी प्रसाद भट्ट समेत उत्तराखंड में वन संरक्षण से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया।
भट्ट ने स्वामीनाथन के निधन को अपनी ‘व्यक्तिगत क्षति’ बताते हुए कहा कि वह
जमीन से जुड़े सच्चे विज्ञानी थे। उनके साथ बिताए समय को याद करते हुए भट्ट ने कहा कि चिपको आंदोलन के दौर से ही उन्हें स्वामीनाथन का स्नेह मिलता रहा जो उनके जीवन के आखिरी दौर तक मिलता रहा।
भारत सरकार में कृषि सचिव के रूप में आठवें दशक में उनकी गोपेश्वर यात्रा का जिक्र करते हुए भट्ट ने कहा कि उस दौरान ग्रामीणों ने उनसे वन्यजीवों से खेती को हो रहे नुकसान की समस्या के निराकरण की मांग की थी।
उन्होंने बताया कि स्वामीनाथन ने पूरे इलाके में फसलों को बचाने के लिए पत्थर की दीवारें बनवा दी थीं। भट्ट ने कहा कि आज भी सुरक्षा दीवारें कई गांवों में खड़ी हैं।
उन्होंने कहा कि योजना आयोग के सदस्य के रूप में पहाड़ी इलाकों के विकास को दिशा देने में भी स्वामीनाथन ने अभूतपूर्व योगदान दिया।
स्वामीनाथन ने 28 सितंबर को चेन्नई स्थित अपने तेयनामपेट आवास पर अंतिम सांस ली थी। वह 98 साल के थे।
भाषा सं दीप्ति दीप्ति धीरज
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