रीवा (मध्य प्रदेश) : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी महिलाओं को 20 फीसदी टिकट देगी.
यादव ने मध्य प्रदेश के रीवा जिले में बुधवार को राज्य के दो दिन के चुनावी दौरे पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए यह बात कही.
उन्होंने कहा, “हम महिलाओं से कहना चाहते हैं कि अगर कोई महिला या संगठन की कोई महिला पदाधिकारी जो भी इस फील्ड में काम किया हो, समाजवादी पार्टी उसे 20 फीसदी टिकट देकर उन्हें मौका देना चाहती है.”
बीजेपी पर हमला बोलते हुए एसपी प्रमुख ने कहा, बीजेपी की मंशा कभी साफ नहीं रही है और वह आरक्षण को लेकर झूठा प्रोपेगेंडा फैला रही है.
उन्होंने कहा, “बीजेपी महिला शक्ति वंदन आरक्षण का प्रचार कर रही है. मैं बीजेपी से पूछना चाहता हूं, मध्य प्रदेश चुनाव के लिए कितना फीसदी महिलाओं को उसने टिकट दिया है.” उन्होंने आगे सवाल करते हुए कहा, “क्या 33 फीसदी महिलाओं को टिकट दिए हैं? बीजेपी क्यों विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश या किसी और राज्य में 33 फीसदी महिलाओं को टिकट नहीं दे रही है?”
एसपी प्रमुख ने लोगों से अपील की कि वे आने वाले विधानसभा को महत्वपूर्ण समझें. उन्होंने कहा, “इस विधानसभा चुनाव को देश के चुनाव के रूप में लें. आपका वोट आने वालों चुनावों के लिए एक संदेश होगा.”
उन्होंने आगे बीजेपी पर भारी प्रहार करते हुए कहा, “ये लोग झूठे हैं, वे जो वादा करते हैं उसे पूरा नहीं करते. इन्होंने कहा था कि किसानों की आय दोगुनी होगी, लेकिन महंगाई दोगुनी हो गई.”
उत्तर प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि एसपी के नेता महिला विरोधी रहे हैं.
उन्होंने कहा, “वह (अखिलेश यादव) महिला विरोधी हैं. कांग्रेस ने सदन में कहा था कि वे राज्यसभा में बिल पास किए थे. जबकि लोकसभा में बिल नहीं पास हुआ था, लोगों ने पूछा कि वे क्यों नहीं पास कर रहे हैं, तब उनके (कांग्रेस) अध्यक्ष ने कहा था कि उनकी सहयोगी समाजवाद पार्टी और आरएलडी ने सपोर्ट नहीं किया, इसलिए वे इसे पास नहीं कर पाए थे. वे (कांग्रेस) महिला आरक्षण बिल नहीं पास किए.”
उन्होंने कहा कि बीजेपी न केवल महिलाओं के उत्थान के लिए काम किया है, बल्कि कोई भी देख सकता है कि महिला सांसदों, महिला विधायकों, महिला एमएलसी यहां तक कि महिला राष्ट्रपति बीजेपी की हैं. बीजेपी देश की पहली ऐसी पार्टी है, जिसने महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया है और उन्हें पदाधिकारी बनाया है.”
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