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Wednesday, 20 November, 2024
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‘इस मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं कहा’, भारत-कनाडा विवाद पर चुप्पी को लेकर विपक्ष का CM मान पर निशाना

विपक्ष ने भारतीय सरकार को निज्जर की हत्या से जोड़ने के ट्रूडो के आरोप पर AAP की चुप्पी पर सवाल उठाया. आप पंजाब के प्रवक्ता ने 'गतिरोध के सौहार्दपूर्ण समाधान' का आह्वान किया.

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चंडीगढ़: जून में सरे में सिख चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या “भारत सरकार के एजेंटों” को जोड़ने के हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच चल रहे राजनयिक विवाद पर अपनी चुप्पी के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य विपक्ष के निशाने पर हैं. भारत ने आरोपों को ”बेतुका” बताया है.

हालांकि यह मुद्दा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बना है, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) इस पर चुप रहा है – चाहे वह सीएम मान हों या पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल. राज्य इकाई ने सोमवार को एक बयान जारी कर गतिरोध के समाधान का आह्वान किया.

एक्स पर एक पोस्ट में मान पर निशाना साधते हुए विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने मंगलवार को बताया कि आप ने इस मुद्दे पर “एक शब्द भी नहीं कहा”.

कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने भी सीएम की चुप्पी पर सवाल उठाया. उन्होंने पिछले शनिवार को फेसबुक पर एक वीडियो संदेश में कहा, “मान कहते हैं कि वह पंजाब के तीन करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं तो उन्होंने उस मुद्दे पर एक भी शब्द क्यों नहीं बोला जिसका कनाडा में रहने वाले लाखों पंजाबियों, विशेषकर युवाओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है? उन्होंने तब क्यों नहीं बोला जब पूरे देश में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सिखों को खालिस्तानियों के रूप में चित्रित करने की कोशिश कर रहा है?”

खैरा ने कहा, “…मैं खालिस्तान का समर्थक नहीं हूं, लेकिन सिखों को उस रंग में क्यों रंगा जा रहा है?…भगवंत मान हर तरह के खराब बयान देते हैं, विपक्षी नेताओं पर हमला करते हैं, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर उनकी ओर से एक भी शब्द नहीं आया है. यहां तक कि वीज़ा पर रोक के मुद्दे पर भी मान ने एक शब्द भी नहीं बोला है.”

आप के पंजाब प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि दोनों देशों को इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए ताकि दोनों देशों में पंजाबियों को परेशानी न हो. इस मुद्दे पर पार्टी की कथित चुप्पी पर दिप्रिंट को जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “हम इस मुद्दे पर चुप नहीं हैं… हम पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं. मेरा बयान व्यापक रूप से प्रकाशित हुआ है.”

खालसा कॉलेज, अमृतसर के इतिहास विभाग के प्रोफेसर हरजेश्वर सिंह ने दिप्रिंट से कहा कि AAP ने लगातार पंजाब-विशिष्ट और सिख-विशिष्ट मुद्दों पर कोई भी रुख अपनाने से इनकार कर दिया है.

प्रोफेसर सिंह ने कहा, “[आप] की एक अवसरवादी, गैर-वैचारिक पार्टी होने की प्रतिष्ठा है जो सोशल मीडिया की जनता की राय का पालन करती है और फिर किसी भी मौलिक सिद्धांतों का पालन करने के बजाय एक स्थिति लेती है…इसने शायद इस पर बोलने के फायदे और नुकसान को भी तौला है. अगर वह मोदी सरकार की आलोचना करती है, तो उसे पंजाब के बाहर उसके खिलाफ लोकप्रिय प्रतिक्रिया का डर है, जहां उसे विस्तार की उम्मीद है. और अगर यह सरकार के पक्ष में है, तो इसे एनआरआई और कट्टरपंथी सिखों के मुखर वर्गों से प्रतिक्रिया का डर है, जो सोशल मीडिया पर हावी हैं.”

चंडीगढ़ में एक शोध और शैक्षणिक संस्थान, इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशंस (आईडीसी) के प्रमुख डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा कि यह अजीब नहीं है कि आप नेताओं ने ऐसे विवादास्पद मुद्दे पर चुप रहने का सुरक्षित तरीका अपनाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, “आप के पास ऐसे मुद्दों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण है और उनका मानना है कि इस पर चुप रहना उनके उद्देश्य के अनुरूप होगा.”

हालांकि, उन्होंने कहा कि यह भी उतना ही अजीब है कि कोई भी पार्टी से उनके रुख के बारे में नहीं पूछ रहा है. डॉ. कुमार ने कहा, “यह या तो पार्टी के मीडिया पर नियंत्रण का नतीजा हो सकता है या कोई भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय मामलों पर कुछ भी कहने के लिए पर्याप्त महत्वपूर्ण नहीं मानता है.”

राज्य का विरोध

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भारत सरकार के रुख का समर्थन किया है. पिछले हफ्ते लोकसभा में बोलते हुए, लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि निज्जर एक आतंकवादी था और उन लोगों में शामिल था जिन्होंने उसके दादा की हत्या की थी. बिट्टू के दादा, पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की 1995 में हत्या कर दी गई थी.

खुफिया एजेंसियों ने कहा कि निज्जर ने आरोपियों में से एक जगतार सिंह तारा को उस समय रसद सहायता और धन मुहैया कराया था, जब वह भाग रहा था. बिट्टू ने संसद में कहा, “निज्जर और गुरपतवंत सिंह पन्नून जैसे लोग गुरुद्वारों में धन इकट्ठा करते हैं और इसे ट्रूडो और उनकी पार्टी के सहयोगियों को फंडिंग के रूप में देते हैं. निज्जर की हत्या एक अंतर-गिरोह मामला था लेकिन ट्रूडो इसके लिए भारत को दोषी ठहरा रहे हैं.”

प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अमरिन्दर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि पार्टी खालिस्तान के विचार का विरोध करती है और उन्होंने इसे कुछ ताकतों द्वारा पंजाबियों को कमजोर करने के लिए किया जा रहा ”प्रचार” करार देते हुए इसकी निंदा की. वॉरिंग ने 22 सितंबर को एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “हमारे युवाओं को कलंकित करने के दुर्भावनापूर्ण प्रयासों को खारिज किया जाना चाहिए.” उन्होंने आगे कहा, “हम पंजाबियों को अपने राष्ट्रवाद के बारे में कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है.”

पिछले हफ्ते संसद के बाहर मीडिया से बात करते हुए, शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष और सांसद सुखबीर सिंह बादल ने दोनों देशों के बीच उभरती समस्याओं के सौहार्दपूर्ण समाधान का आह्वान किया, जबकि उन्होंने इसे “सिखों को आतंकवादी के रूप में बदनाम करने” का कदम बताया.

बादल ने कहा, “आप कभी भी किसी सिख की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठा सकते. हम ऐसे राज्य में रह रहे हैं जो देश में किसी अन्य से पहले दुश्मनों का सामना करता है और सिखों ने देश के किसी भी अन्य समुदाय की तुलना में देश के लिए अधिक जीवन का बलिदान दिया है.”

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्य प्रमुख सुनील जाखड़ ने सोमवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ”मुझे लगता है कि ट्रूडो महज एक मोहरा हैं. वह अल्पमत सरकार में है और वह उन पार्टियों पर निर्भर है जो अलगाववाद के बारे में मुखर हैं और आतंकवादियों का खुलेआम समर्थन करते हैं.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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