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Thursday, 19 December, 2024
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अडानी-हिंडनबर्ग मामले में SC में नई याचिका दायर, विशेषज्ञ जांच कमेटी में शामिल लोगों पर उठाया सवाल

आवेदन विशेष रूप से विशेषज्ञ समिति के सदस्य और भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष ओपी भट्ट के शामिल होने पर सवाल उठाता है, जो वर्तमान में एक नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी ग्रीनको के अध्यक्ष हैं.

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नई दिल्ली : अडानी-हिंडनबर्ग मामलें में विशेषज्ञ जांच समिति में शामिल लोगों को लेकर दखल देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को एक नई याचिका दायर की गई है. याचिका में एक नई विशेषज्ञ समिति के गठन का अनुरोध किया गया है, जिसमें बेदाग, ईमानदार लोग शामिल हों और हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित मामले में हितों का कोई टकराव न हो.

याचिकाकर्ताओं में से एक अनामिका जयसवाल ने अपने वकील रमेश कुमार मिश्रा के जरिए कोर्ट में आवेदन फाइल किया है.

यह आवेदन, मौजूदा समितियों के कुछ सदस्यों के बारे में चिंताओं को उजागर करता है, हितों के टकराव की बात करता है. मार्च 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने और नियामक की संभावित विफलताओं की जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता वाली समिति में सदस्य ओपी भट्ट, न्यायमूर्ति जेपी देवधर, केवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं.

आवेदन विशेष रूप से विशेषज्ञ समिति के सदस्य और भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष ओपी भट्ट के शामिल होने पर सवाल उठाता है, जो वर्तमान में एक नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी ग्रीनको के अध्यक्ष हैं.

इसमें कहा गया है कि भारत में अडानी की कंपनी को ऊर्जा प्रदान करने के लिए ग्रीनको और अडानी समूह की मार्च 2022 से घनिष्ठ साझेदारी हैं.

समिति के एक अन्य सदस्य केवी कामथ 1996 से 2009 तक आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष थे और आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले से संबंधित सीबीआई की एफआईआर में उनके नाम का जिक्र था.

यह मामला चंदा कोचर के इर्द-गिर्द घूमता है, जिन्होंने 2009 से 2018 तक आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ के रूप में कार्य किया है. सीबीआई ने आरोप लगाया कि वह और उनके परिवार को वीडियोकॉन समूह को प्रदान किए गए ऋणों के बदले में रिश्वत मिली, उनके कार्यकाल के दौरान जिनमें से कई एनपीए (गैर-निष्पादित) घोषित कर दिए गए थे.

जब ये लोन अनुमोदित हुआ तो उस समय कामथ बैंक के गैर कार्यकारी प्रमुख थे और उस समिति के सदस्य भी थे, जिसने उनको अनुमोदित किया था.

याचिकाकर्ता ने पहले सेबी बोर्ड समेत विभिन्न मंचों के समक्ष अडानी के प्रतिनिधित्व का हवाला देते हुए समिति के एक अन्य सदस्य सोमशेखर सुंदरेसन को लेकर चिंता जाहिर की थी.

हाल के घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिपोर्ट की 24 जांचों में से 22 पर निष्कर्ष पर पहुंचा जा चुका है, जबकि दो अभी भी अंतरिम प्रकृति की हैं.

सेबी ने कहा कि उसने बाहरी एजेंसियों/संस्थाओं से जानकारी मांगी है और अंतरिम जांच रिपोर्ट के संबंध में इसका मूल्यांकन करेगी.

सेबी ने आश्वासन दिया कि जांच के नतीजे के आधार पर कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने मई में हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच के लिए सेबी को 3 महीने का अतिरिक्त समय दिया था.

कोर्ट ने इस साल 2 मार्च को सेबी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद अडानी समूह द्वारा प्रतिभूति कानूनों के संभावित उल्लंघन की जांच करने का निर्देश दिया था, जिसके कारण समूह के बाजार मूल्य में उल्लेखनीय गिरावट आई थी.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित विभिन्न याचिकाएं, जिनमें निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में, नियामक तंत्र को लेकर याचिकाएं भी शामिल हैं.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित विभिन्न याचिकाएं, जिनमें निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियामक तंत्र को लेकर याचिकाएं भी शामिल हैं, सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं.

24 जनवरी की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में समूह द्वारा स्टॉक में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था, दावे को अडानी समूह ने जोरदार तरीके से खारिज कर दिया था, शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट को झूठ करार दिया था.


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