नई दिल्ली: 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान योग गुरु रामदेव मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे मुखर समर्थकों में से एक थे और विशेष रूप से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए खुलकर बात करते थे.
हालांकि, इस लोकसभा चुनाव में उनके द्वारा भाजपा और मोदी को वोट देने को लेकर मिश्रित संकेत मिले हैं और प्रचार अभियान के दौरान वह काफी हद तक सुर्खियों से दूर रहे हैं.
उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद का कहना है कि किसानों, आयुर्वेद और स्वास्थ्य सेवा के लिए काम करने का वादा करने वाली सरकार सत्ता में फिर से वापसी करेगी.
पतंजलि आयुर्वेद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आचार्य बालकृष्ण ने दिप्रिंट से कहा कि ‘कोई भी पार्टी आ जाए, हमें तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. जो भी पार्टी राष्ट्र हित और जनहित में काम करे, वहीं नयी सरकार बनाये.’
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बालकृष्ण वास्तविक सम्पति 4.8 बिलियन डॉलर और कुल सम्पति लगभग 5 बिलियन डॉलर है के साथ 2018 में भारत के 15वें सबसे अमीर आदमी थे.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि भाजपा ने किसानों के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है.
उन्होंने कहा ‘वर्तमान सरकार ने जो कुछ भी किया है वह भारतीय किसानों के लिए पर्याप्त नहीं है. किसानों को बहुत अधिक करने की जरूरत है. जो भी सत्ता में आता है, उसकी पहली प्राथमिकता हमारे किसान होने चाहिए. बड़ी कंपनियों और उद्यमियों को सब्सिडी देने के बजाय किसानों को सब्सिडी दी जानी चाहिए.
बालकृष्ण ने यह भी कहा कि वे दुनिया भर में योग को लोकप्रिय बनाने के भाजपा के प्रयासों से खुश हैं. लेकिन आयुर्वेद को बढ़ावा देने में सरकार की अक्षमता के बारे में उतना ही नाखुश.
उन्होंने कहा ‘कुछ प्रयास किए गए हैं, लेकिन वे बहुत कम हैं. हम आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में पिछड़ रहे हैं. आयुर्वेद में अनुसंधान एवं विकास नई सरकार के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए.
रामदेव का फ्लिप फ्लॉप
इस लोकसभा में चुनाव प्रचार के दौरान बाबा रामदेव काफी हद तक चुप रहे और साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र से किनारा कर लिया है.
पिछले महीने जब राज्यवर्धन सिंह राठौर जयपुर (ग्रामीण) निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल कर रहे थे. तब रामदेव ने उनके साथ मोदी का समर्थन किया था.
रामदेव ने कहा, ‘अगले 20-25 वर्षों में भारत को विश्व आर्थिक और राजनीतिक महाशक्ति बनाने के लिए हमें मोदी को और मजबूत बनाना होगा. उनके हाथों में, देश सुरक्षित है, हमारे जवानों का भविष्य सुरक्षित है, महिलाओं का सम्मान है और किसानों का खेत सुरक्षित है.’
लेकिन यह बयान उसके पूरी तरह उलट था जो उन्होंने पिछले साल दिया था.
2018 में 53 साल के रामदेव ने एनडीटीवी को बताया था कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने से चुनावों में मोदी को नुकसान उठाना पड़ेगा. उन्होंने चैनल से यह भी कहा कि वह लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार नहीं करेंगे.
मैंने राजनीतिक रूप से खुद को अलग कर लिया है. रामदेव ने उस वक़्त कहा था कि मैं सभी दलों के साथ हूं और बिना किसी दल के साथ हूं. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग गाय को धार्मिक पशु बना रहे हैं वे गलत हैं. गाय का कोई धर्म नहीं है.
2013 में मोदी का समर्थन किया था
जनवरी 2014 में मोदी यात्रा से पहले रामदेव ने 2013 में भविष्यवाणी की थी कि 2014 के चुनावों में मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे. रामदेव ने तब कहा था कि ‘हमें मोदी के लिए वोट देने का संदेश फैलाने की जरूरत है.’ यह यात्रा एक भ्रष्ट शासन और आर्थिक न्याय की स्वतंत्रता के लिए होगी’.
दोनों का एक दूसरे के लिए सम्मान अच्छी तरह से दिखाई दिया है.
कई मौकों पर मोदी और रामदेव ने मंच साझा किया जहां वे दोनों एक-दूसरे के ‘विज़न और कॉमन गोल’ की प्रशंसा करते थे. मार्च 2014 में ऐसी ही एक बैठक में मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक सभा में कहा था कि रामदेव और उन्होंने विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को भारत वापस लाने का एक साझा लक्ष्य रखा है.
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कांग्रेस के साथ यू-टर्न
मोदी के कार्यकाल के दौरान रामदेव ने विपक्षी कांग्रेस के साथ रिश्ते सुधारने का प्रयास किया. 2014 में रामदेव कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के सबसे कठोर आलोचकों में से एक थे.
हालांकि, पिछले साल उन्होंने एक समाचार चैनल से कहा था कि उनके कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ‘मित्रतापूर्ण रिश्ते हैं.’ रामदेव ने कहा राहुल और सोनिया गांधी नियमित रूप से योगाभ्यास करते हैं.
मई 2015 में रामदेव ने राहुल गांधी की भी प्रशंसा की और उन्हें कमजोर कांग्रेस को फिर से जीवित करने का श्रेय दिया.
हालांकि, बिज़नेसवर्ल्ड को दिए एक साक्षात्कार में उनके सहयोगी बालकृष्ण ने 2017 में अपने व्यापारिक साम्राज्य पतंजलि के विकास में बाधा पैदा करने के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया था. कहा था कि कांग्रेस ने हमारी छवि खराब करने की कोशिश की और जो कुछ भी हमने करने की कोशिश की उसमें रुकावटें पैदा की. हमने बीजेपी सरकार से कोई पक्ष या फायदा नहीं लिया और न ही हम पक्षपात में विश्वास करते हैं.
यह सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में विश्वास करती है. अब नागरिक समझ गए हैं कि हम यूपीए सरकार द्वारा फंसाये गए थे और इसलिए वे हमारे उत्पादों पर प्यार और विश्वास की बारिश लगातार कर रहे हैं.
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