भारत की जी20 अध्यक्षता के महत्व के बारे में सवाल का जवाब देते हुए लेखक से विशेष बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत की G20 की अध्यक्षता विशेष रूप से महत्वपूर्ण समय पर होती है. उत्तर-दक्षिण विभाजन बढ़ गया है, जो कोविड, कॉन्फ्लिक्ट, जलवायु घटनाओं और मुद्रास्फीति के प्रभाव से और बढ़ गया है. वैश्विक निर्णय लेने में पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण भी एक प्रमुख कारक रहा है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण है कि भारतीय राष्ट्रपति पद इस संबंध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए.”
भारत की अध्यक्षता में सबसे शक्तिशाली देशों की सबसे शक्तिशाली सभाओं में से एक की मेजबानी के लिए नई दिल्ली पूरी तरह तैयार है.
पहले ही कई राष्ट्राध्यक्ष आ चुके हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन शुक्रवार को भारत पहुंच रहे हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल न होने के बड़े फैसले पर नई दिल्ली और दुनिया भर में काफी बहस हुई है.
उनकी अनुपस्थिति कई अटकलों का केंद्र बन गई है.
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6 सितंबर को एएनआई से बात करते हुए जयशंकर ने रूस और चीन के राष्ट्रपतियों के जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल न होने के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है और इसका बहुपक्षीय सभा सम्मेलन के अंतिम नतीजे पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. जयशंकर ने बताया कि वो “इसे इस तरह से कहेंगे, मुद्दे तो हैं (रूस-यूक्रेन युद्ध). ये ऐसे मुद्दे नहीं हैं जिन्हें आज सुबह उठाया जा रहा है. मेरा मतलब है कि आठ-नौ महीने की पूरी अवधि है, जहां विभिन्न स्तरों पर मंत्रियों या अधिकारियों ने इस मुद्दे पर प्रगति करने की कोशिश की है. वास्तव में लगभग 16-18 प्रक्रियाएं हैं जो एक साथ मिलकर एक शिखर सम्मेलन का निर्माण कर रही हैं.”
ऐसा लगता है कि भारत कुछ मामलों में जी20 से आगे की सोच रहा है क्योंकि पिछले एक साल में उसने जी20 की छत्रछाया में अपने लिए नए रास्ते खोले हैं. भारतीय प्रतिष्ठान अपने प्रमुख एजेंडे पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जिस पर वह पिछले साल इंडोनेशिया से जी20 की अध्यक्षता हासिल करने के बाद से काम कर रहा था.
G20 का नेतृत्व संभालने के बाद से भारत ने ग्लोबल साउथ से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए बड़े प्रयास किए हैं और जनवरी 2023 में मेगा शिखर सम्मेलन आयोजित किया है.
जयशंकर, जो उत्तर और दक्षिण तथा विकसित और विकासशील देशों के बीच पुल बनाने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं, ने दिप्रिंट को उन प्राथमिकताओं के बारे में बताया जिन पर भारत शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते समय अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है.
ग्लोबल साउथ से संबंधित मुद्दों के महत्व पर टिप्पणी करते हुए, विदेश मंत्री ने कहा, “इसके अलावा, ग्लोबल साउथ की तत्काल आवश्यकताएं मुख्य एजेंडा होनी चाहिए. इसीलिए पीएम मोदी ने वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट बुलाई और अफ्रीकी संघ की सदस्यता का प्रस्ताव देने की पहल की. भारत बड़ी सोच और बड़े दिल वाला देश है. हम सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से वैश्विक भलाई को बढ़ावा देना चाहते हैं.G20 का उद्देश्य यही है.”
2023 का G20 शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में तब हो रहा है जब रूस-यूक्रेन सीमाओं पर युद्ध चल रहा है और कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है. यह भारत की चुनौतियों को बढ़ाता है.
कई भारतीय विश्लेषकों ने टिप्पणी की है कि इस बात का विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि अन्य G20 देश चीन और रूस के राष्ट्रपतियों की अनुपस्थिति का विश्लेषण कैसे कर रहे हैं. यहां शामिल गतिशीलता की सीमा को देखते हुए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जी20 शिखर सम्मेलन में कई चुनौतियां थीं.
जी20 शिखर सम्मेलन में शी जिनपिंग की अनुपस्थिति पर पहले ही अमेरिका और पश्चिमी देशों से कई आवाजें आ चुकी हैं. वे संतुलन बनाए रखने और भावना बनाए रखने के भारत के प्रयासों की सराहना कर रहे हैं.
संयुक्त वक्तव्य या उसकी अनुपस्थिति या अध्यक्ष का सारांश महत्वपूर्ण होगा क्योंकि भारत को बात पर चलना होगा.
इससे भी अधिक, जब राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग अनुपस्थित हैं, तो जी20 को आशा के साथ भविष्य की ओर देखने की ज़रूरत है.
भारत जब विभाजित विश्व के बीच संतुलन बनाने, पुल बनने की भूमिका निभाएगा तो उस पर पैनी नज़र रहेगी.
अब चलते हैं पीएम मोदी के पास.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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