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Sunday, 17 November, 2024
होमदेशChandrayaan-3 के रोवर प्रज्ञान के बाद लैंडर विक्रम भी 'स्लीप मोड' में, 22 सितंबर से होगा दोबारा एक्टिव

Chandrayaan-3 के रोवर प्रज्ञान के बाद लैंडर विक्रम भी ‘स्लीप मोड’ में, 22 सितंबर से होगा दोबारा एक्टिव

भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था.

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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को घोषणा की कि चंद्रयान-3 मिशन का ‘विक्रम’ लैंडर सुप्तावस्था (स्लीप मोड) में चला गया है.

इससे पहले रोवर ‘प्रज्ञान’ शनिवार को सुप्तावस्था या निष्क्रय अवस्था में चला गया था.

इसरो ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘विक्रम लैंडर भारतीय समयानुसार सुबह करीब आठ बजे सुप्तावस्था में चला गया. इससे पहले चास्ते, रंभा-एलपी और इलसा पेलोड द्वारा नये स्थान पर यथावत प्रयोग किये गये. जो आंकड़े संग्रहित किये गये, उन्हें पृथ्वी पर भेजा गया.’’

पेलोड को बंद कर दिया गया और लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है.

इसरो ने कहा था, ‘‘सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी से भी ऊर्जा मिलना बंद हो जाने पर विक्रम, प्रज्ञान के पास ही निष्क्रिय अवस्था में चला जाएगा. उनके 22 सितंबर, 2023 के आसपास सक्रिय होने की उम्मीद है.’’

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने पहले कहा था कि चंद्र मिशन के रोवर और लैंडर चंद्रमा की रात में निष्क्रिय हो जाएंगे.

विक्रम लैंडर ने एक बार फिर की सॉफ्ट लैंडिंग

वहीं सोमवार सुबह इसरो ने एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी थी कि, ‘विक्रम’ लैंडर ने एक बार फिर चांद के सतह पर सफलतापूर्वक एक बार फिर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की.

इसरो ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर बताया कि कमांड मिलने पर ‘विक्रम’ (लैंडर) ने इंजनों को ‘फायर’ किया, अनुमान के मुताबिक करीब 40 सेंटीमीटर तक खुद को ऊपर उठाया और आगे 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर सुरक्षित लैंड किया.

इसरो ने पोस्ट में कहा, ‘‘विक्रम’ ने एक बार फिर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की. ‘विक्रम’ लैंडर अपने उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में और आगे बढ़ा. यह उम्मीद भरे एक प्रयोग से सफलतापूर्वक गुजरा. कमांड मिलने पर इसने इंजनों को ‘फायर’ किया, अनुमान के मुताबिक करीब 40 सेंटीमीटर तक खुद को ऊपर उठाया और आगे करीब 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर सुरक्षित लैंड किया.’’

भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था.

भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है.


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