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Wednesday, 20 November, 2024
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2024 नजदीक है और पार्टियां लाडली बहना और गृह लक्ष्मी को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं

गैस की कीमतों में कटौती मोदी सरकार के लिए एक असामान्य कदम है, जो अब तक अपनी सब्सिडी को प्रभावी ढंग से लक्षित करने पर गर्व करती रही है.

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यदि यह बात सही है कि पुरुष के दिल का रास्ता उसके पेट से हो के जाता है, तो राजनीतिक दल तेजी से यह महसूस कर रहे हैं कि एक महिला के वोट का रास्ता उसके बटुए से हो के जाता है. देश भर की पार्टियां अंततः भारतीय राजनीति के एक बुनियादी तथ्य से सहमत हो रही हैं – महिलाएं एक शक्तिशाली समूह का प्रतिनिधित्व करती हैं, और उनके वोटों को अपनी तरफ करना चुनाव जीतने की कुंजी है. पिछले हफ्ते मोदी सरकार की एलपीजी सब्सिडी की घोषणा केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा महिला केंद्रित घोषणाओं की सीरीज़ सबसे नई है.

अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में और भी घोषणाएं होने की संभावना है. और यही कारण है कि एलपीजी सब्सिडी और अन्य महिला-केंद्रित योजनाएं दिप्रिंट न्यूज़मेकर ऑफ द वीक हैं.

महिलाएं, वोट बैंक

मध्य प्रदेश की महिलाओं के लिए इस साल रक्षाबंधन थोड़ा जल्दी आ गया. पिछले रविवार को, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार की लाडली बहना योजना के तहत लाभ बढ़ाने की कई घोषणाएं कीं. अब, इस योजना के तहत, मध्य प्रदेश में महिलाओं को पिछले 1,000 रुपये से बढ़कर 1,250 रुपये का मासिक वजीफा मिलेगा. अन्य घोषणाओं में ‘सावन’ के महीने (4 जुलाई से 31 अगस्त) के दौरान एलपीजी की कीमत 450 रुपये प्रति सिलेंडर तक कम करना, पुलिस विभागों में महिलाओं के लिए आरक्षण की सीमा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करना शामिल था. महिलाओं के लिए शैक्षणिक संस्थानों में 50 प्रतिशत आरक्षण लागू करना और राज्य विभागों में महिलाओं की प्राथमिकता से साथ नियुक्ति सुनिश्चित करना.

राज्य सरकारे आगे न निकल पाएं इसके लिए, मोदी सरकार ने मंगलवार को अपनी ही परंपरा को तोड़ दिया और अपनी एलपीजी सब्सिडी को गैर-उज्ज्वला योजना वाले परिवारों तक भी बढ़ा दिया – जाहिर तौर पर यह देश की महिलाओं को प्रधानमंत्री का खुद का राखी उपहार था.

योजना के तहत, एलपीजी सिलेंडर खरीदने वाले सभी परिवारों को 200 रुपये प्रति सिलेंडर सब्सिडी मिलेगी. जिन लोगों को पीएम उज्ज्वला योजना के तहत पहले से ही 200 रुपये प्रति सिलेंडर सब्सिडी मिल रही है, उनकी सब्सिडी राशि बढ़कर 400 रुपये प्रति सिलेंडर हो जाएगी.

यह मोदी सरकार के लिए एक असामान्य कदम है, जो अब तक केवल उन लोगों को सब्सिडी देने के लिए जानी जाती थी जिनको इसकी ज़रूरत थी. गैर-उज्ज्वला परिवारों के लिए सब्सिडी को बढ़ाकर, सरकार प्रभावी रूप से न केवल गरीब घरों की महिलाओं, बल्कि सभी घरों की महिलाओं को खुश करने का लक्ष्य रख रही है.

कई केंद्रीय मंत्रियों ने तुरंत प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे ‘स्नेह उपहार’ (प्यार का उपहार) भी कहा.

निस्संदेह, विपक्ष ने इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश की. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया कि अभी तक इंडिया गठबंधन की पिछले दो महीनों में सिर्फ दो बार ही बैठक हुई है – हालांकि, डींगें हांकना अजीब लगता है, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो – पर इसका असर यह रहा कि सरकार को एलपीजी सिलिंडॉर का दाम कम करना पड़ा.

उन्होंने हिंदी में कहा, “ये है इंडिया का दम.”

इस सारी अतिशयोक्ति में, कोई नहीं चाहता कि आप इस बात पर ध्यान दें कि महिलाओं के उत्सव के इस सप्ताह में केंद्र या विपक्ष द्वारा मणिपुर और वहां होने वाली महिलाओं के खिलाफ हिंसा का कोई उल्लेख नहीं किया गया. स्नेह उपहार, लाडली बहना और विपक्षी दम आख़िरकार उन महिलाओं के लिए आरक्षित है जहां चुनाव है.

जैसे-जैसे सप्ताह का एक-एक दिन आगे बढ़ता गया, राखी को एक अच्छे राजनीतिक अवसर के रूप में देखा जाने लगा जिसे गंवाया नहीं जा सकता. कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने राज्य में सत्ता में अपने 100वें दिन का जश्न मनाते हुए बुधवार को अपनी गृह लक्ष्मी योजना शुरू की, जो कि एक चुनावी वादा था. योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के साथ-साथ गरीबी रेखा से ऊपर और अंत्योदय राशन कार्ड वाले परिवारों की प्रत्येक महिला मुखिया के खाते में 2,000 रुपये जमा किए जाएंगे.

यह कांग्रेस द्वारा चुनाव पूर्व किए गए पांच वादों में से एक था. गृह लक्ष्मी के अलावा, एक स्कीम जिसके बारे में वादा किया गया था, वह थी – शक्ति. जो सीधे महिलाओं से संबंधित थी. शक्ति स्कीम के तहत, महिलाएं पूरे कर्नाटक में राज्य के सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की हकदार होंगी.


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पिछली सफलता

यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कर्नाटक कांग्रेस का एक और चुनावी वादा, गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के प्रत्येक सदस्य को हर महीने 10 किलो चावल वितरित करने का भी उद्देश्य महिलाओं को साधना ही था.

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इतनी सारी सरकारें – और ये घोषणाएं उनमें से सबसे हालिया हैं – महिलाओं के वोटों को लुभाने के लिए अपने रास्ते से हट रही हैं. यह पहले भी काम कर चुका है, जैसा कि भाजपा ने 2022 के उत्तर प्रदेश चुनावों में देखा. चुनाव के बाद के सर्वेक्षणों से पता चला कि मोदी सरकार द्वारा गरीबों के लिए मुफ्त भोजन और महामारी के दौरान महिलाओं के लिए नकद हस्तांतरण के प्रावधान के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं ने योगी आदित्यनाथ सरकार को वोट दिया.

जाति और धर्म के आधार पर, भारत की लगभग आधी आबादी में महिलाएं एक बेहद आकर्षक वोटिंग ब्लॉक हैं. इसलिए आने वाले समय में और भी अधिक महिला-केंद्रित स्कीम की घोषणी की उम्मीद की जा सकती है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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