नई दिल्ली: इसरो ने सोमवार जो जानकारी देते हुए कहा कि सूर्य का अध्ययन करने वाली भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित मिशन, Aditya L1, 2 सितंबर को 11.50 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा.
आदित्य L1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा. अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के Lagrangian point 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है.
L1 मिशन से वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा. अंतरिक्ष यान विद्युत चुम्बकीय, कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाता है.
बता दें कि ISRO ने एक्स पर पोस्ट कर एक रजिस्ट्रेशन लिंक भी जारी किया जिसमें रजिस्ट्रेशन करने के बाद श्रीहरिकोटा में दो सितंबर को लॉन्चिंग व्यू देखने के लिए जा सकते हैं.
🚀PSLV-C57/🛰️Aditya-L1 Mission:
The launch of Aditya-L1,
the first space-based Indian observatory to study the Sun ☀️, is scheduled for
🗓️September 2, 2023, at
🕛11:50 Hrs. IST from Sriharikota.Citizens are invited to witness the launch from the Launch View Gallery at… pic.twitter.com/bjhM5mZNrx
— ISRO (@isro) August 28, 2023
बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) “विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ” पेलोड के विकास का नेतृत्व कर रहा है.
एल1 का उपयोग करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य को देखते हैं और शेष तीन पेलोड लैग्रेंज बिंदु L1 पर कणों और क्षेत्रों का इन-सीटू अध्ययन करते हैं, इस प्रकार अंतरग्रहीय माध्यम में सौर गतिशीलता के प्रसार प्रभाव का महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन प्रदान करते हैं.
Aditya L1 पेलोड के सूट कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार आदि की समस्या को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा.
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