नए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा बहुत अच्छी है लेकिन इसे लागू करना एक बुरे सपने जैसा है. वर्ष में दो बार बोर्ड रखना और नए कोर्सेज को शुरू करना एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया और बहस का हिस्सा होना चाहिए. भारत में सभी स्कूल इतनी तेजी से होने वाले बदलावों के लिए तैयार नहीं है.
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