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Sunday, 24 November, 2024
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पीएम को टक्कर देने उतरा बीएसएफ का बर्खास्त जवान तेज बहादुर, सपा ने दिया टिकट

तेज बहादुर बीएसएफ के वही बर्खास्त जवान हैं जिन्होंने खाने पीने को लेकर जवानों को हो रही दिक्कत पर सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट डाली थी जो बाद में वायरल हो गई.

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नई दिल्ली: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र होने की वजह से वाराणसी का चुनाव तो पहले से ही एकतरफा माना जा रहा था. लेकिन अब यह चुनाव थोड़ा रोमांचक हो सकता है क्योंकि पीएम के खिलाफ बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव मैदान में उतर गए हैं. तेज बहादुर पर समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने अपना हाथ रख दिया है. अभी तक सपा की शालिनी यादव मैदान में थी लेकिन तेज बहादुर को टिकट दिए जाने के बाद शालिनी जल्द ही अपना नाम वापस ले लेंगीं.

पीएम ने रोड शो कर दिखाई ताकत

पिछले 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने वहां से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया उससे पहले 25 अप्रैल को 7 किलोमीटर लंबे रोड शो में मोदी की लोकप्रियता और शक्ति का रेला देखने को मिला. वाराणसी में चार घंटे के पीएम के रोड शो में लोगों का जनसैलाब सड़क पर उतर आया था. प्रधानमंत्री की इस सीट को देखते हुए कांग्रेस और बसपा- सपा गठबंधन ने लगभग हथियार ही डाल दिया.

कांग्रेस पार्टी ने जहां अपने पुराने प्रत्याशी अजय राय को मोदी के मुकाबले खड़ा किया. जबकि सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से सपा के टिकट पर शालिनी यादव मैदान में थीं लेकिन अब तेज बहादुर यादव के आने के बाद यहां का समीकरण जो भी हो लेकिन चुनाव थोड़ा रोमांचक हो जाएगा. एक समय कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन अजय राय की उम्मीदवारी घोषित होने के साथ इस चर्चा पर विराम लग गया था.

ये वही अजय राय हैं, जो 2014 में मोदी के खिलाफ अपनी जमानत जब्त करा चुके हैं. वह तीसरे स्थान पर रहे थे. उसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी वह पिंडरा सीट पर तीसरे स्थान पर रहे थे. लगातार दो चुनाव हार चुके राय को भी कांग्रेस मजबूत उम्मीदवार बता रही है.

सपा ने पासा पलटा, शालिनी को हटा फौजी तेज को दिया टिकट

वहीं सपा ने शालिनी यादव  को मैदान में उतारा, लेकिन अब सपा ने पासा पलट दिया है. शालिनी कांग्रेस के दिवंगत नेता और राज्यसभा के पूर्व उपसभापति श्यामलाल यादव की पुत्रवधू हैं. बनारस में मेयर के चुनाव में उन्हें मात्र 1. 13 लाख वोट मिले थे, और वह चुनाव हार गई थीं. सपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि वाराणसी संसदीय सीट से पार्टी शालिनी यादव का नाम वापस लेकर बीएसएफ से निकाले गए जवान तेज बहादुर यादव को टिकट दे दिया है.

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तेज बहादुर यादव को सपा ने दिया टिकट, ट्विटर हैंडल पर दी जानकारी

कौन हैं तेज बहादुर यादव

तेज बहादुर बीएसएफ के वही बर्खास्त जवान हैं जिन्होंने खाने- पीने को लेकर जवानों को हो रही दिक्कत पर सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट डाली थी जो बाद में वायरल हो गई. पोस्ट के वायरल होते ही बीएसएफ में जवानों की दुर्गती को लेकर बातें भी उठीं थीं. तेज बहादुर ने बताया था कि अफसरों से शिकायत करने पर भी कोई सुनने वाला नहीं है यहां तक कि गृहमंत्रालय को भी चिट्ठी लिखी लेकिन कुछ नहीं हुआ.

तेज बहादुर के उस वीडियो के बाद राजनीतिक गलियारों में कुछ दिन तक हलचल मच गई थी. बीएसएफ ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे, बाद में तेज बहादुर को बीएसएफ से निकाल दिया गया था. तेज बहादुर ने जली रोटी और पतली दाल दिखा कर देश में सनसनी फैला दी थी. यहां तक की उन्होंने गृहमंत्रालय को भी चिट्ठी लिखी लेकिन कुछ नहीं है. अब जब सपा ने तेज बहादुर को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है तो देखना रोचक होगा कि पीएम के खिलाफ खड़े होने वाले तेज बहादुर पीएम को कितनी बड़ी टक्कर दे पाते हैं.

तेज प्रताप हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले हैं. इनके गांव का नाम राता है. राता में इनकी कुछ जोत की जमीन है जिसपर फसल उगाकर ही इनका गुजारा चल रहा है. फिलहाल रेवाड़ी में ही वह अपनी पत्नी के साथ किराए के कमरे में रह रहे हैं. पिछले दिनों उनके बेटे ने तेज के ही बंदूक से खुद को गोली मार ली थी.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता उमाशंकर पाण्डेय कहते हैं, ‘हम पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. हमारे प्रत्याशी अजय राय पांच बार के विधायक हैं. वह बनारस की मिट्टी में जन्मे हैं. वह जनता के पसंदीदा उम्मीदवार हैं. इस बार का चुनाव 2014 जैसा नहीं है. मोदी जी ने पांच सालों में बनारस के लिए कुछ काम नहीं किया है. जनता उन्हें नकार देगी. परिणाम चौंकाने वाले होंगे.’

दिप्रिंट से बात करते हुए तेज बहादुर ने बताया, ‘मेरे लिए यह सांकेतिक लड़ाई है. बात जीत या हार की नहीं होती.’

उन्होंने आगे कहा ‘जो वादे नरेंद्र मोदी 2014 में  किए थे, उनमें से उन्होंने कितने पूरे किए हैं, वह सेना के नाम पर वोट मांगते हैं, मैं तो खुद सैनिक हूं मेरे साथ क्या किया गया. मुझे पागल घोषित कर बिना एक पैसा दिए निकाला गया.’

कहते हैं कि हर सफल आदमी के पीछे एक महिला का हाथ होता है वैसे ही हमने जब तेज बहादुर से पूछा कि क्या अपनी दूसरी इनिंग की शुरुआत में अपनी पत्नी को साथ चुनावी प्रचार में शामिल करेंगे? तो उन्होंने बड़े ही मजेदार अंदाज में कहा कि वो तो घर पर ही रहेंगी, मेरे यार दोस्त ही काफी हैं मेरे प्रचार में..देश की जनता का साथ ही मुझे चुनाव जिताने में मदद करेगा.

क्या कहता है 2014 का आंकड़ा

2014 में मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल चुनाव हार जरूर गए थे, लेकिन उन्होंने कड़ी चुनौती पेश की थी. केजरीवाल के कारण देश-दुनिया की नजर 2014 में वाराणसी सीट पर आ टिकी थी. हालांकि केजरीवाल को दो लाख से कुछ अधिक वोटों से ही संतोष करना पड़ा था, और नरेंद्र मोदी 5 लाख 81 हजार वोट पाकर विजयी हुए थे. कांग्रेस के अजय राय को लगभग 76 हजार वोट मिले थे. सपा के कैलाश चौरसिया को 45,291 और बसपा के विजय प्रकाश जायसवाल को 60,579 वोट हासिल हुए थे.

नरेंद्र मोदी 2014 के चुनाव में एक रणनीति के तहत वाराणसी गए थे, और वह अपने मकसद में सफल भी हुए थे. इस बार भी उनका मकसद पुराना ही है. ऐसा समझा जा रहा था कि विपक्ष मोदी को घेरने के लिए कोई साझा और मजबूत उम्मीदवार उतारेगा. वाराणसी से विपक्षी उम्मीदवारों की घोषणा में देरी से भी इस संभावना को बल मिला था. प्रियंका की उम्मीदवारी की चर्चा चल पड़ी थी. लोगों में उत्सुकता बढ़ी थी.

वाराणसी में अंतिम चरण के तहत 19 मई को मतदान होगा, और मतगणना 23 मई को होगी.

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