नई दिल्लीः कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ शिकायतों पर कथित निष्क्रियता बरतने को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया. कांग्रेस ने दावा किया कि दोनों नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान सैन्य अभियानों का प्रचार के रूप में इस्तेमाल किया है, लेकिन चुनाव आयोग ने विभिन्न शिकायतों के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की.
#UPDATE: Supreme Court to hear tomorrow the petition filed by Congress MP Sushmita Dev, seeking urgent & necessary directions to the Election Commission to take a decision on the complaints filed against PM Modi & BJP President Amit Shah over alleged violations of electoral laws. https://t.co/1gGkJrMIne
— ANI (@ANI) April 29, 2019
वहीं कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है. मोदी और अमित शाह पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है. यह याचिका कांग्रेस की महिला अध्यक्ष और सांसद सुष्मिता देव ने दायर किया है. देव की तरफ से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को मामले पर सुनवाई करेगा.
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वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वाैरिफिएबल पेपर ऑडिट (वीवीपैट) को लेकर भी चुनाव आयोग को फटकार लगा चुका है. कोर्ट ने पर्चियों के मिलान के लिए नमूना मशीनों की संख्या बढ़ाने की जरूरत को नकारने पर आयोग को फटकारा था. आयोग ने कहा था कि ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों के मिलान की जहां जहां व्यवस्था है वह पर्याप्त है. इसकी संख्या बढ़ाने की जरूरत नहीं है तब शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी संस्थान बेहतरी के लिए सलाह से खुद को दूर नहीं कर सकता
इससे पहले तेदेपा के चीफ चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी पार्टियां ईवीएम के मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग पहुंची थीं. पार्टियां चुनाव आयोग पर भेदभाव करने और मोदी सरकार के पक्ष में काम करने का आरोप लगा चुकी हैं.
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बसपा चीफ ने भी सहारनपुर रैली को लेकर चुनाव आयोग पर भेदभाव करने का आरोप मढ़ा था. बसपा चीफ ने यह बयान तब दिया था जब आयोग ने मायावती पर 72 घंटे रैली करने पर रोक लगा दी थी.
मोदी सरकार में अब तक चुनावों में ईवीएम से छेड़छाड़ को लेकर हजारों मामले दर्ज हो चुके हैं. शिकायत के बाद सुप्रीम कोर्ट को बार दखल देनी पड़ी है. राजनीतिक दलों सहित तमाम संगठन देश ईवीएम को हटाने की मांग कर चुके हैं.