श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के बरारी पोरा की 11 साल की जासिया अख्तर जब भी लड़कों के झुंड को अपने घर के पास के ग्राउंड से गुजरते हुए देखती तो उनके दिल में भी ख्याल आता था कि एक दिन वो भी इस खेल और ग्रुप का हिस्सा बनेंगी. साल 2002 की एक गर्मी में जासिया ने क्रिकेट खेलने वाले लड़कों के एक झुंड का पीछा करने की सोचा. उस वक्त वे लड़के खेल शुरू करने वाले थे. उन्होंने दूर खड़ी जासिया को देखा. वो उनकी तरफ हिचकिचाते हुए आगे बढ़ी.
दिप्रिंट से हुई बातचीत में जासिया बताती हैं, ‘मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं क्रिकेट खेल सकती हूं. वे मुस्कुराएं और उन्होंने बल्ला मुझे पकड़ा दिया. ‘उनके जीवन में ये पहली दफा था जब उन्होंने क्रिकेट का बल्ला अपने हाथ में पकड़ा था. 6 मई से शुरू होने वाले महिला आईपीएल खेलने वाली 28 साल की जासिया पहली कश्मीरी खिलाड़ी बन गई हैं.
सचिन को अपना आदर्श मानने वालीं जासिया कहती हैं, ‘बचपन से ही मैंने अपने लिए लक्ष्य निर्धारित कर लिए थे. पहले मैं स्कूल के लिए खेलना चाहती थी, उसके बाद कॉलेज फिर यूनिवर्सिटी और फिर अपने राज्य जम्मू और कश्मीर के लिए. जब मैंने ये सब हासिल कर लिया फिर मैंने महिला आईपीएल खेलने का सोचा. मेरा अगला सपना भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलना है. ‘
राजस्थान में होने वाले इस मैच को खेलने के लिए जासिया 2 मई को पहुंच रही हैं. इस टूर्नामेंट में खेलने वाली तीन टीमों में से एक ट्रेल ब्लाजर्स के लिए वो खेलेंगी.
यह भी पढ़ें: एलओसी ट्रेड पर बैन विनाशकारी परिणाम के साथ लगभग 50,000 परिवारों को प्रभावित करेगा
उनका संघर्ष
जासिया का संघर्ष इतनी आसानी से मुकाम तक नहीं पहुंचा है और आईपीएल में खेलना उनका आखिरी सपना नहीं है.
जब से जासिया ने लड़कों की टीम में क्रिकेट खेलना शुरू किया है तब से उनके जिले की लड़कियों ने इस खेल में रुचि लेना शुरू कर दिया है. जासिया इसके बाद से 2003 से 2006 के बीच अपने राज्य के लिए अंडर-13, अंडर-14, अंडर-15 और अंडर-16 खेल चुकी हैं.
इस दौरान जासिया ने अंदर-बाहर खेल की गहराईयों को सीखा और बहुत जल्द ही इस खेल में भली-भांति परिचित हो गईं. वे अपना पहला टूर्नामेंट खेलने भोपाल भी गई थीं लेकिन जब वापस लौंटी तो चीज़ें रुक गईं.
2007-2011 तक नहीं खेल पाईं
जासिया के पिता गुल मोहम्मद वानी शोपियां में सेव का एक छोटा सा बगीचा है. और वो पूरे टाइम खेती किसानी करते हैं. जब जासिया ने प्रोफेशनल क्रिकेट में कदम रखा था तो उनके पिता अपनी बेटी के सपनो को पूरा करने में सक्षम नहीं थे. पिता ने बेटी की उम्मीदों को नई उड़ान देने के लिए पैसों का प्रबंध कर ही रहे थे कि जासिया की छोटी बहन की बीमारी ने उसके सपनों को महंगा कर दिया.
जासिया ने कहा, ‘मेरे पिता ने मुझे कभी यह महसूस नहीं कराया लेकिन मुझे पता था ये उनके लिए ज्यादा है. इसलिए मैंने 2007 से 2011 में क्रिकेट छोड़ने का फैसला किया. फिर एक दिन मेरे टीचर खालिद हुसैन मेरे घर आएं और उन्होंने कहा कि वे जानते है कि मैं क्रिकेट खेलती हूं. उन्होंने मुझे दोबारा खेलने के लिए काफी प्रोत्साहित किया. उन्होंने मुझे पैसों की चिंता न करके खेल पर ध्यान देने को कहा. जोकि मैंने किया.’
यह भी पढ़ें: पीडीपी कार्यकर्ताओं का बंदूक लहराने वाला विडियो, कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीतिक तस्वीर दिखाता है
पंजाब क्रिकेट एसोशिएशन के लिए खेला
पांच साल के गैप के बाद जासिया ने अपना पहला मैच 2012 में जम्मू क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) के लिए खेला. हिमाचल प्रदेश के खिलाफ खेलते हुए इस मैच में उनहोंने 65 रन बनाए. जासिया ने जेकेसीए के लिए लगभग एक साल तक खेला, लेकिन लचर संसाधन और पैसे की कमीं ने उनहें अमृतसर जाने के लिए मजबूर कर दिया जहां उन्होंने पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के लिए खेलना शुरू किया. पंजाब के लिए खेलते हुए पहले मैच में जासिया ने 56 रन बनाए. उनको बड़ा ब्रेक पिछले साल हुए महिला टी-20 टूर्नामेंट से मिला. जहां 8 टीमों ने इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था और जासिया 355 रनों के साथ इसमें तीसरी सबसे श्रेष्ठ खिलाड़ी बनकर उभरी थीं.
वे बताती हैं, ‘कश्मीर में और खासकर शोपियां में लंबे समय से हालात ठीक नहीं है. लेकिन सारी विषमताओं के बीच मेरे गांव और शोपियां के लोगों ने हमेशा मुझे आगे बढ़ाया. कुछ ने यहा भी कहा था कि कश्मीरी होने के नाते मुझे मौका नहीं मिलेगा, लेकिन उन्होंने भी मेरी सफलता की कामना की थी.’
‘जब मेरे पिता ने मेरे आईपीएल में खेलने की खबर सुनी, तो वो अपने आसूंओं को रोक नहीं पाएं. मेरे भी आंखों में आसूं आ गए थे, लेकिन दिल से मैं बहुत खुश थी. मेरे गांव में हर कोई मुझपर गर्व महसूस कर रहा है.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)