गुरुग्राम: हरियाणा के नूंह जिले में एक धार्मिक जुलूस के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के दस दिन बाद पुलिस के सामने एक नई चुनौती खड़ी है- हिंसा से संबंधित अफवाहों को रोकना.
31 जुलाई को, हिंदुत्व समूह विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और इसकी महिला शाखा मातृ शक्ति दुर्गा वाहिनी द्वारा आयोजित एक धार्मिक जुलूस के बाद नूंह में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव फैल गया था. नूंह हरियाणा के मेवात क्षेत्र का एक मुस्लिम बहुल जिला है.
इसके बाद पथराव और आगजनी हुई और अंततः हिंसा पड़ोसी शहर नगीना और फिरोजपुर झिरका से लेकर गुरुग्राम तक फैल गई. दो दिनों में हुई आईं हिंसा की विभिन्न घटनाओं में दो होम गार्ड और एक मस्जिद के इमाम समेत छह लोग मारे गए हैं.
उसके बाद राज्य पुलिस ने लोगों को शांति बनाए रखने और हिंसा की जांच करने पर जोर दिया है. लेकिन इसके अलावा एक और काम पुलिस कर रही है वह है- अफवाह को रोकना और लोगों तक तथ्यपूर्ण बाते पहुंचाना.
उदाहरण के लिए, दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि 31 जुलाई को एक भीड़ ने नूंह के अलवर अस्पताल में तोड़फोड़ की और वहां “हिंदुओं पर हमला” किया. दिप्रिंट मंगलवार को जब अस्पताल पहुंचा तो वहां हमले के प्रत्यक्ष सबूत थे, लेकिन प्रत्यक्षदर्शी घटना की बारीकियों के बारे में स्पष्ट नहीं थे. वह न तो हिंदुओं पर कथित लक्षित हमले की बात कर रहे थे और न ही इससे इनकार कर रहे थे.
नूंह सिटी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि अलवर अस्पताल पर कथित हमले के बारे में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी.
लीडिंग भारत टीवी नामक चैनल की दूसरी रिपोर्ट में दावा किया गया कि हिंसा शुरू होने पर नूंह के नल्हड़ शिव मंदिर में फंसी कुछ महिलाओं को दंगाइयों ने पास के खेत में खींच लिया और उनके साथ बलात्कार किया.
इस रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर अफवाह बताया गया. 5 अगस्त को एक ट्वीट में वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने हरियाणा पुलिस और नूंह पुलिस अधीक्षक से मामले में कार्रवाई करने को कहा.
Will @police_haryana and Nuh SP act against this fake news? Official version denying this has already been given. Now what action will be taken to stop this deliberate and very dangerous attempt to incite people ? Will the ‘newly minted’ twitter act?? Here is the official denial:… https://t.co/uoHZdBw1e9
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 5, 2023
हरियाणा की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी, कानून एवं व्यवस्था) ममता सिंह और वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने भी नल्हड़ शिव मंदिर में फंसी महिलाओं के साथ बलात्कार के आरोपों का खंडन किया है, जहां से उस दिन वीएचपी की ‘ब्रज मंडल यात्रा’ शुरू हुई थी. .
सिंह, जो सबसे पहले मंदिर पहुंचने वालों में से थीं, जब 3,000 से अधिक श्रद्धालुओं के वहां फंसे होने की खबर आई, उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी.
बुधवार को जारी एक बयान में, नूंह के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) धीरेंद्र खडगटा ने जनता से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की. डीसी ने यह भी कहा कि पुलिस ने हिंसा से संबंधित अफवाहें फैलाने के आरोप में 11 एफआईआर दर्ज की हैं.
दोनों समाचार संगठनों ने दिप्रिंट को अलग-अलग बयानों में बताया है कि वे अपनी रिपोर्ट पर कायम हैं.
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रिपोर्ट और उसका खंडन
4 अगस्त की अपनी रिपोर्ट में, दैनिक जागरण ने दावा किया कि एक भीड़ ने नूंह के अलवर अस्पताल पर हमला किया था. इस दौरान एक डॉक्टर और एक गर्भवती महिला सहित अस्पताल के हिंदू कर्मचारियों और मरीजों की पिटाई की थी.
रिपोर्ट में दावा किया गया कि पूरी घटना अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिसमें कहा गया कि नासिर और अंजुम (रिपोर्ट में केवल एकल नामों से पहचाने गए) के रूप में पहचाने गए दो लोगों को हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
समाचार की एक क्लिपिंग 4 अगस्त को माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘एक्स’- जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था- पर बाला नाम के एक यूजर द्वारा ट्वीट किया गया था और जिसका हैंडल @erbmjh है. इस ट्विटर अकाउंट के 182000 फॉलोअर हैं जिसमें वह दावा करता है कि पीएम मोदी भी उसे फॉलो करते हैं. उसके द्वारा किए गए ट्वीट पर 2,841 रीट्वीट और 4,452 लाइक आए, लेकिन बाद में उस ट्वीट को डिलिट कर दिया गया. दिप्रिंट के पास इसका स्क्रीनशॉट है.
जब दिप्रिंट ने इस सप्ताह अस्पताल का दौरा किया, तो वहां हमले के स्पष्ट निशान थे- जैसे कि टूटे हुए शीशे. कथित तौर पर भीड़ द्वारा तोड़े गए सीसीटीवी कैमरों की जगह नए सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं. हालांकि, अस्पताल के मरीजों के बीच डर का माहौल साफ नजर आ रहा था.
अस्पताल की एक कर्मचारी ने दावा किया कि उसने एक भीड़ को अस्पताल की गैलरी में घुसते और खिड़कियां तोड़ते देखा. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “लेकिन मैंने बहुत कुछ नहीं देखा. मैं बहुत डर गई थी इसलिए मैं अंदर भाग गई.”
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने भीड़ को किसी मरीज़ को परेशान करते देखा है, उन्होंने कहा: “मुझे ऐसा नहीं लगता. क्योंकि, मैं डर से एक कमरे में छुप गई तो मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया.”
उन्होंने आगे कहा, “मरीज अब यहां नहीं आना चाहते.”
जब दिप्रिंट ने इसके बारे में अस्पताल के प्रभारी अजय कुमार से संपर्क करने की कोशिश की तो वह इस मामले को टालमटोल करते दिखे, यहां तक कि नाराज भी दिखे.
उन्होंने कॉल काटने से पहले अचानक कहा, “मीडिया जो भी बकवास छापना चाहता है वह छाप सकता है.”
लेकिन नूंह सिटी पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) इंस्पेक्टर हुकम सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि कथित हमले के बारे में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी.
उन्होंने बुधवार को दिप्रिंट को बताया, “हमें न तो अस्पताल मालिकों से कोई शिकायत मिली है, न ही हमने आपके द्वारा बताए गए अस्पताल पर किसी हमले के संबंध में कोई एफआईआर दर्ज की है. अब, चूंकि आपने यह बात हमारे संज्ञान में ला दी है, हम यह पता लगाने के लिए अपने लोगों को वहां भेजेंगे कि 31 जुलाई को वहां वास्तव में क्या हुआ था.”
दूसरी रिपोर्ट, जिसे 5 अगस्त को उसी हैंडल @erbmjh द्वारा ट्वीट किया गया था, में कथित तौर पर नल्हड़ मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर कपड़े पड़े हुए दिखाए गए थे. रिपोर्ट में गवाहों के हवाले से दावा किया गया है कि भीड़ ने कुछ महिलाओं को बलात्कार करने के लिए पास के खेतों में खींच लिया और कुछ लापता हैं.
Our sad guesses appear to be right. Many Hindu individuals are still missing and now near the hills close to temple, torn clothes of women have been discovered.
Several women have spoken on camera about how jihadis abducted young girls.
What have they done to innocent girls? pic.twitter.com/KitN0sRNwB
— BALA (@erbmjha) August 5, 2023
दोनों समाचार संगठनों ने अपने बयानों में कहा कि वे अपनी रिपोर्ट पर कायम हैं.
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक प्रदीप शुक्ला ने कहा कि रिपोर्ट “अस्पताल का दौरा करने, मरीजों, अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टर से बात करने” के बाद छापी गई थी.
उन्होंने कहा, ”इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि 31 जुलाई को नूंह में हुई हिंसा के दौरान अस्पताल पर हमला किया गया था. अब, अगर डॉक्टर ने पुलिस को मामले की रिपोर्ट न करने का फैसला किया है, या पुलिस ने घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज नहीं की है, तो हम कुछ नहीं कर सकते.”
हालांकि, जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है, उन्होंने हिंदुओं पर कथित लक्षित हमलों पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन रिपोर्ट लिखने वाले रिपोर्टर सत्येन्द्र सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने अस्पताल के कर्मचारियों से कथित लक्षित हमलों के बारे में सुना था.
इसी तरह, लीडिंग भारत टीवी के निदेशक और अध्यक्ष अनुराग चड्ढा ने कहा कि उनके चैनल ने “जमीन पर घटित सच को दिखाया है”.
उन्होंने कहा, “हमने अपने चैनल पर जो कुछ भी दिखाया है वह हमारे पत्रकारों की ग्राउंड रिपोर्ट है. उन्होंने जो कुछ भी देखा वही सच दिखाया गया है. हमने उन लोगों के मूल बाइट्स दिखाए हैं जिनसे हमारी टीम ग्राउंड पर मिली थी.”
जब उनसे पूछा गया कि एडीजीपी सिंह ने मंदिर में फंसी महिलाओं के साथ बलात्कार या छेड़छाड़ के आरोपों को “अफवाह” बताया है, तो चड्ढा ने कहा कि पुलिस जो चाहे कह सकती है, लेकिन उनके चैनल ने दिखाया है कि इलाके के लोगों ने कैमरे पर क्या कहा.
एडीजीपी सिंह ने चैनल के दावों को “क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का प्रयास” कहकर खारिज कर दिया है.
Reports of rape of women in #NuhViolence #HaryanaMewatViolence #Haryanaviolence #NuhStonePelting are fake please don't believe and spread rumors. ADGP @police_haryana Mamta Singh and @DGPHaryana deny such incident. Please remove fake videos. Let's not make #Haryana #MANIPUR pic.twitter.com/49za65NcMQ
— Sumedha Sharma (@sumedhasharma86) August 5, 2023
उन्होंने रविवार के एएनआई से बातचीत के दौरान कहा, “आज सोशल मीडिया पर एक कहानी जोर पकड़ रही है कि जब नल्हड़ शिव मंदिर में भक्तों को फंसाया गया, तो कुछ महिला भक्तों के साथ बलात्कार किया गया. अपनी बात को साबित करने के लिए सोशल मीडिया पर कुछ कपड़े दिखाए जा रहे हैं. मैं आपको बताना चाहती हूं कि ये सभी कहानियां गलत और अफवाहें हैं. मैं यह बात अधिकार के साथ इसलिए कह पा रही हूं क्योंकि हिंसा वाले दिन मैं शिव मंदिर में थी. ऐसी कोई घटना वहां नहीं हुई.”
वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन, जिन्होंने 31 जुलाई को नल्हड़ शिव मंदिर से धार्मिक जुलूस को हरी झंडी दिखाई थी, ने भी बलात्कार के दावों को खारिज कर दिया.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “ये सभी खबरें बिल्कुल झूठी हैं. हमने अपने लोगों को हर उस घर में भेजा, जहां से श्रद्धालु 31 जुलाई को यात्रा के लिए नूंह आए थे. प्रारंभ में, चार लोगों के लापता होने की सूचना दी गई थी. हालांकि, वे भी घर पहुंच गए, क्योंकि वे कहीं फंस गए थे. कोई भी महिला लापता नहीं है क्योंकि यात्रा के लिए आए सभी लोग सुरक्षित घर पहुंच गए हैं.”
(संपादन: ऋषभ राज)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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