नूंह/हरियाणा: 31 जुलाई को हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद कर्फ्यू और मोबाइल इंटरनेट बंद के बीच नूंह धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौट रहा है. हालांकि, वहां के लोगों के बीच यह डर बना हुआ है कि ‘अतिक्रमण विरोधी अभियान’ के तहत और भी मुस्लिम संपत्तियों को नष्ट कर दिया जाएगा. लोगों के बीच यह डर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा नूंह और पड़ोसी गुरुग्राम में सरकार द्वारा चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान पर रोक लगाने के बावजूद बना हुआ है.
स्थानीय लोगों ने कहा कि तोड़फोड़ अभियान, जो पिछले गुरुवार को ब्रज मंडल यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा के बाद शुरू हुआ था, अवैध अतिक्रमण को लेकर नहीं बल्कि हिंसा प्रभावित जिले में मुसलमानों को सबक सिखाने के लिए किया गया. ब्रज मंडल यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई और 15 से अधिक अन्य घायल हो गए थे.
नूंह निवासी सुफियान अहमद नल्हड़, नूंह स्थित शहीद हसन खान मेवाती सरकारी मेडिकल कॉलेज के पास अपने भाई के मेडिकल स्टोर से जो कुछ भी हो सकता था उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं. तोड़फोड़ अभियान के दौरान उनकी दुकान को तहस-नहस कर दिया गया. दिप्रिंट कई अन्य दूसरे लोगों की तरह, अहमद से बात की. अहमद ने बातचीत में दावा किया कि ने उन्हें इसके लिए कभी कोई नोटिस नहीं दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ मुस्लिम संपत्तियों को टारगेट कर रही है.
अहमद ने कहा, “हमें 10-15 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. हमें कोई नोटिस नहीं मिला. हम एक दशक से यह दुकान चला रहे हैं. वे अब पिछली तारीख के नोटिस दिखा सकते हैं और अपना दुकान न हटाने के लिए हमें दोषी ठहराने की कोशिश कर सकते हैं. लेकिन हमारे पास यह साबित करने के लिए सभी डॉक्यूमेंट हैं कि दुकान अवैध नहीं थी.”
पिछले हफ्ते ही, मीडिया रिपोर्ट्स में राज्य के गृह मंत्री अनिल विज के हवाले से कहा गया था कि “इन चीजों को रोकने का इलाज बुलडोजर है.”
पंजाब और हरियाणा HC ने सोमवार को राज्य सरकार से पूछा कि क्या किसी “विशेष समुदाय” की संपत्तियों को “कानून और व्यवस्था की आड़ में” निशाना बनाया जा रहा है और क्या “जातीय सफाए की कवायद” की जा रही है.
नूंह के डिप्टी कमिश्नर धीरेंद्र खडगटा ने दिप्रिंट के साथ तोड़ी गई संपत्तियों का विवरण शेयर करने से इनकार कर दिया. खडगटा ने दिप्रिंट से कहा, “हम अदालत को बताएंगे. ऐसा नहीं है कि हम मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं. वो तो मीडिया दिखा रहा है. इनमें से कुछ संपत्तियां हिंदुओं द्वारा भी किराए पर ली गई थीं. उन्हें पहले ही सूचित किया गया था और उन्हें अपना सामान हटाने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था. उन्हें नोटिस भी दिए गए.” हालांकि, खडगटा ने नूंह में ध्वस्त की गई संरचनाओं के आधिकारिक आंकड़े देने से इनकार कर दिया.
उन्होंने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि क्या “अवैध” संरचनाएं पंचायत भूमि, वन भूमि, नगरपालिका भूमि या सार्वजनिक भूमि पर थी.
हालांकि, पुलिस के सूत्रों ने कहा कि ध्वस्त किए गए होटल, रेस्तरां, दुकानें या घर सीसीटीवी फुटेज में देखे गए थे, जिनका इस्तेमाल “संदिग्धों द्वारा छिपने और ब्रज मंडल यात्रा के तीर्थयात्रियों पर पथराव करने” के लिए किया जा रहा था.
अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश से पहले नूंह में 37 स्थानों पर 57.5 एकड़ भूमि पर 162 से अधिक स्थायी और 591 झुग्गियों (अस्थायी संरचनाओं) को ध्वस्त कर दिया गया था. इनमें मेडिकल स्टोर, परीक्षण और अल्ट्रासाउंड लैब, होटल, वाणिज्यिक भवन, झुग्गियां और घर शामिल हैं.
‘सज़ा’ का एक पैटर्न
हालांकि, डीसी खडगटा ने इस तोड़फोड़ अभियान को “नियमित” अभियान बताया. लेकिन ‘सजा’ का एक समान पैटर्न अन्य राज्यों में भी सांप्रदायिक झड़प के बाद देखा गया है, जिसमें कथित अधिकतम दंगे वाले क्षेत्रों को लक्षित किया गया है.
नूंह में विध्वंस की शुरुआत टौरू में एक झुग्गी बस्ती (लगभग 150 झोपड़ियां) से हुई, जहां प्रवासी श्रमिक सालों से रहते थे.
झड़पों के पीछे के लोगों के बारे में बात करते हुए, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विशेष कर्तव्य अधिकारी, जवाहर यादव को रविवार को मीडिया में यह कहते हुए सुना गया, “उन्होंने शांति और सद्भाव को बाधित किया है और उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी. उन्होंने जानबूझकर और योजना बनाकर हिंदू यात्रा पर हमला किया है जिसमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे.”
कानूनी विशेषज्ञों ने बार-बार सांप्रदायिक हिंसा के बाद विध्वंस अभियानों को “सजा” के रूप में इस्तेमाल करने पर सवाल उठाया है और कहा है कि यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है जो जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है.
टूटे हुए सपने और कुछ गारंटी
नलहर में, शहीद हसन खान मेवाती सरकारी मेडिकल कॉलेज के सामने, अजीमिया मस्जिद के बगल में, सड़क के पार ध्वस्त मेडिकल स्टोर्स, लैब और ढाबों के अवशेष पड़े हुए हैं.
मस्जिद के मौलाना खालिद ने बाहर झुके हुए बिजली के खंभे की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, “जब वे मुसलमानों की दुकानें तोड़ रहे थे तो बुलडोजर मस्जिद के गेट तक पहुंच गया. वह बिजली के खंभे से जा टकराया. वे केवल तभी रुके जब मैं बाहर निकला अन्यथा उन्होंने मस्जिद का गेट भी तोड़ दिया होता. तब से मस्जिद में बिजली नहीं है. हम अंधेरे में रह रहे हैं.”
उन्होंने इलाके में किसी भी तरह की पत्थरबाजी की बात से इनकार करते हुए कहा, “यह पूरी तरह से झूठ है कि लोगों ने यहां छिपकर पथराव किया.”
गिराए गए एक लैब को पलवल निवासी लोकेश सोरौत चलाते थे. दिप्रिंट से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि उन्होंने लगभग तीन महीने पहले मोहम्मद आरिफ से “सभी दस्तावेजों के सत्यापन” के बाद संपत्ति किराए पर ली थी.
उन्होंने कहा, “मैं दस्तावेजों को सत्यापित किए बिना पांच साल के पट्टे पर हस्ताक्षर क्यों करूंगा? कोई नोटिस नहीं दिया गया. मेरे पास पीएनडीटी (प्रसवपूर्व निदान प्रक्रिया) प्रमाणपत्र भी है. हमें किसी ने नहीं बताया कि दुकान तोड़ी जा रही है. मैंने 30 लाख रुपये की मशीनरी खो दी है. मैं इसके लिए सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रहा हूं. इस प्रयोगशाला में हमारे पांच लोगों के परिवार का भरण-पोषण किया. मेरे पिता और भाई दोनों किसान हैं. सरकार ने हमारे सारे सपने तोड़ दिये हैं.”
मालिक मोहम्मद आरिफ़ से उनके संपर्क नंबरों पर बात नहीं हो पाई.
ताउरू का रहने वाला सुरेश कुमार मस्जिद के पास हाफिज शरीफ की एक संपत्ति में डॉ. लाल पैथ लैब चलाते थे. उन्होंने भी कहा कि उन्हें कभी कोई नोटिस नहीं दिया गया.
कुमार ने कहा, “मैं तीन साल से पैथ लैब चला रहा हूं. मैंने लाल पैथ लैब्स के लिए दस्तावेज़ भी जमा किए थे. जब वे विध्वंस के लिए आए तो मैं मौके पर था. जब मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि वे मंदिर के पास की संपत्तियों को भी तोड़ देंगे. मुझे कुछ भी हटाने का समय नहीं मिला. मुझे 3.5 लाख रुपये का नुकसान हुआ. मैं नौ लोगों के परिवार का एकमात्र कमाने वाला हूं.”
दिप्रिंट से बात करते हुए, हाफ़िज़ शरीफ़ ने कहा, “उन्होंने मेरे द्वारा किराए पर दी गई नौ दुकानों को ध्वस्त कर दिया, जिनमें भारद्वाज होटल, लाल पथ लैब और एक कोचिंग सेंटर शामिल थे. ये संपत्तियां और ज़मीनें मेरी हैं. मोहन भारद्वाज होटल चलाता था. सुरेश लाल पैथ लैब चलाता था. इस विध्वंस में मुझे करोड़ों का नुकसान हुआ. उन्होंने कभी कोई नोटिस नहीं दिया. मैंने भारद्वाज होटल में 7 लाख रुपये का निवेश भी किया था.”
शरीफ ने कहा कि उन्होंने 2014 में इनका निर्माण किया था. उन्होंने कहा, “मेरे पास पूरी जमीन की रजिस्ट्री है. मैंने सुरेश से पूछा था कि क्या सुबह-सुबह हमारी दुकानों पर कोई नोटिस लगाया गया था. उसने मुझे बताया कि वहां कोई नहीं था, क्योंकि वह टेस्ट के लिए सैंपल इकट्ठा करने के लिए वहां गया था. वे बाद में आए और सब कुछ तहस-नहस कर दिया.”
कुछ किलोमीटर दूर, होटल सहारा को भी ध्वस्त कर दिया गया. सूत्रों ने कहा कि होटल की छत का इस्तेमाल “संदिग्धों” द्वारा तीर्थयात्रियों पर पत्थर फेंकने के लिए किया गया था.
मस्जिद के पास मलबे की ओर इशारा करते हुए मौलाना खालिद ने कहा, “हिंदुओं द्वारा चलाई जाने वाली दुकानें संपार्श्विक क्षति हैं. उनकी एकमात्र चिंता यह थी कि संपत्ति मुसलमानों की थी.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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