नई दिल्ली: गुजरात बीजेपी के सबसे ताकतवर महासचिवों में से एक माने जाने वाले प्रदीप सिंह वाघेला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि वाघेला ने पिछले सप्ताह अपना इस्तीफा दे दिया था.
राज्य नेतृत्व वाघेला के इस्तीफे के पीछे के कारण के बारे में चुप्पी साधे हुए है. बीजेपी की राज्य महासचिव रजनी पटेल ने शनिवार को गांधीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया जहां उन्होंने उनके इस्तीफे की पुष्टि की.
बाद में दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे हाल ही में वाघेला के इस्तीफा देने की इच्छा के बारे में पता चला. जहां तक मुझे पता है, वह इस्तीफा देना चाहते थे और पार्टी ने उनके फैसले को स्वीकार कर लिया है.”
पार्टी सूत्रों ने कहा कि वाघेला ने कथित भूमि घोटाले में अपना नाम आने के बाद ऐसा किया. यह बीजेपी की राज्य इकाई के प्रमुख सी.आर. पाटिल के खिलाफ कथित मानहानि अभियान के बीच आया है.
पार्टी के राज्य मुख्यालय के प्रभारी वाघेला ने अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए शनिवार को अहमदाबाद में स्थानीय मीडिया से कहा कि वह इस विवाद से बेदाग बाहर निकलेंगे.
पार्टी के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, “कुछ दिन पहले, सी.आर. पाटिल ने वाघेला को भूमि घोटाले में शामिल होने के आरोपों पर इस्तीफा देने के लिए कहा था. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भी इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया. यह अभी तक कंफर्म नहीं है कि वाघेला भी पाटिल के खिलाफ कथित विद्रोह का हिस्सा थे या नहीं. लेकिन चूंकि वह एक शक्तिशाली पद पर थे और मुख्यालय के प्रभारी भी थे, इसलिए पार्टी कार्यालय की पवित्रता बनाए रखना महत्वपूर्ण था.”
दिप्रिंट ने वाघेला और पाटिल से फोन पर टिप्पणी के लिए संपर्क किया लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. उनका जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
पिछले चार महीनों में यह दूसरी बार है जब राज्य में किसी बीजेपी पदाधिकारी को अपना पद गंवाना पड़ा है. अप्रैल में, राज्य इकाई के प्रमुख सी.आर. पाटिल ने राज्य महासचिव भार्गव भट्ट को उनके पद से हटा दिया था. वाघेला, विनोद चावड़ा और रजनी पटेल गुजरात बीजेपी में अन्य तीन महासचिव थे.
भट्ट ने बाद में दिप्रिंट को बताया कि “उन्हें इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया गया. एक बार जब पार्टी ने मुझसे इस्तीफा देने के लिए कहा, तो मैंने बिना कारण पूछे इस्तीफा दे दिया.”
इस बीच, बीजेपी उन लोगों पर कार्रवाई कर रही है जो कथित तौर पर पाटिल की छवि खराब करने में शामिल हैं. गुजरात इकाई के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, “लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं. आम चुनाव के इतने करीब पीठ में छुरा घोंपना और अंदरूनी कलह पार्टी के लिए अच्छा नहीं है. यहां पार्टी के खिलाफ कोई भी अभियान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कुछ नेताओं पर प्रेस को जानकारी लीक करने का संदेह है, लेकिन आंतरिक जांच से समस्या का समाधान हो जाएगा.”
मानहानि अभियान?
इस सप्ताह की शुरुआत में, सूरत अपराध शाखा ने चोरयासी निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी विधायक संदीप देसाई की एफआईआर पर तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि वे पाटिल को बदनाम कर रहे थे. तीनों ने कथित तौर पर पार्टी फंड के दुरुपयोग के लिए पाटिल को दोषी ठहराते हुए पर्चे बांटे थे.
पिछले महीने इसी तरह के एक मामले में, जिनेंद्र शाह नामक व्यक्ति को सूरत क्राइम ब्रांच ने पाटिल की छवि खराब करने और बदनाम करने के मामले में गिरफ्तार किया था.
पिछले महीने ही एक स्थानीय बीजेपी नेता अल्पेश लिंबाचिया के परिवार के सदस्यों को पार्टी नेतृत्व को एक गुमनाम पत्र भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें वडोदरा के मेयर नीलेश राठौड़ पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था. इसके तुरंत बाद, लिंबाचिया ने वडोदरा नगर निगम में पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया.
(संपादन: ऋषभ राज)
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