नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एएसआई ने साफ किया है कि पूरा सर्वेक्षण बिना किसी खुदाई और संरचना को कोई नुकसान पहुंचाए बिना पूरा किया जाएगा.
ज्ञानवापी में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “अदालत का आदेश है कि सर्वेक्षण जारी रहेगा. इमारत को कोई खुदाई या क्षति नहीं होगी. सर्वेक्षण अभ्यास इमारत को किसी भी नुकसान के बिना आयोजित किया जाएगा.”
बता दें कि मुस्लिम निकाय अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई के सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालना है और यह ‘अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा’.
मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की यह कवायद ‘इतिहास को कुरेदने’, पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करने और भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करने के लिए की जा रही है.
पीठ ने कहा, ‘आप एक ही आधार पर हर अंतरिम आदेश का विरोध नहीं कर सकते और आपकी आपत्तियों पर सुनवाई के दौरान फैसला किया जाएगा.’ पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं.
अहमदी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के सर्वेक्षण आदेश पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘एएसआई सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालकर यह जानने का है कि 500 साल पहले क्या हुआ था. यह अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा.’
अहमदी ने कहा कि सर्वेक्षण पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करता है, जो 1947 में मौजूद धार्मिक स्थानों के चरित्र में बदलाव को निषिद्ध करता है.
शीर्ष अदालत ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई कर रही है.
हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी समिति की ओर से दायर वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी.
जिला अदालत ने एएसआई को यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर पर बनाई गई थी.
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