नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में केंद्र द्वारा अपने विधायी कार्यों को आगे बढ़ाने पर, विपक्षी पार्टियों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि बिलों को पास कर सरकार संसदीय परंपराएं ‘तोड़ रही’ है, जबकि अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में स्वीकार किया जा चुका है.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पूर्व केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा का जिक्र करते हुए कहा, “जब भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो तो विधायी प्रस्ताव नहीं लाए जाने चाहिए.”
तिवारी ने एक ट्वीट किया, “26 जुलाई, 1966 को, मिस्टर सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने, जो कि संसदीय मामलों के मंत्री थे, अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लोकसभा में एक महत्वपूर्ण बयान दिया था: ‘मेरा मानना है कि जब भी कोई अविश्वास प्रस्ताव आता है, तो कोई ठोस प्रस्ताव नहीं लाया जाना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “इन संसदीय परंपराओं को एक के बाद एक बिल लाकर तोड़ा जा रहा है जब एक अविश्वास प्रस्ताव पहले ही पेश किया गया है.”
असम से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने केंद्र सरकार के खिलाफ बुधवार को इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (I.N.D.I.A.) की तरफ से इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश किया है. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया है और कहा था कि इस पर बहस का समय बाद में तय किया जाएगा.
लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग की. उन्होंने कहा, “नियम 198 के तहत, हमने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. इस नियम के मुताबिक, चर्चा तत्काल कराई जानी चाहिए.”
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने दोनों सदनों में बिलों को लाने और पास करने पर आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि, “लोकसभा अध्यक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद कोई भी बिल संसद में पेश नहीं किया जाना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “लेकिन हम देख रहे हैं कि संसद में कई सारे बिल पेश किए गए और पास किए गए हैं.”
चड्ढा ने स्पीकर से अपील की कि जब तक अविश्वास प्रस्ताव पर बहस नहीं हो जाती तब तक लोकसभा में कोई विधायी कार्य नहीं होना चाहिए.
जैसा कि ज्वाइंट कमेटी ने रिपोर्ट दी है कि जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023, को विपक्ष द्वारा मणिपुर मुद्दे पर नारेबाजी के बाद स्थगित सदन की कार्यवाही जब 3 बजे दोबारा शुरू हुई तो बृहस्पतिवार को लोकसभा में इसे पास कर दिया गया.
राज्यसभा में बृहस्पतिवार को, जब मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष के सदन से वॉकआउट करने के बाद दोबारा 2 बजे शुरू होने पर सिनोमैटोग्राफ (संशोधन) बिल 2023 को पास कर दिया गया.
मानसून सत्र के शुरू हुए 7 दिन हो गए हैं, कई सारे विपक्षी नेताओं ने मणिपुर मुद्दे पर बहस की मांग करते हुए लोकसभा और राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया है.
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