ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में विरोध प्रदर्शनों की मानों लाइन लग गई है और विकास प्राधिकरण का कार्यालय घर खरीदने वालों, किसानों और सफाई कर्मचारियों का प्रदर्शनों का केंद्र बन गया है. ये सभी विविध समूह अपनी लंबे समय से लंबित शिकायतों के समाधान के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
जबकि यूपी सरकार की वैधानिक संस्था ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए) के खिलाफ जनता में लंबे समय से असंतोष बढ़ रहा है, इस महीने की शुरुआत में आईएएस अधिकारी रवि कुमार एनजी को इसके नए सीईओ के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद से विरोध बढ़ गया है.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि सत्ता परिवर्तन से अंततः उनकी समस्याओं का समाधान हो सकता है – घर खरीदने वालों से लेकर जो अपने नहीं बन पाए अपार्टमेंट का इंतजार कर रहे हैं, अपनी अधिग्रहीत भूमि के बदले में बेहतर मुआवजे और नौकरी की मांग करने वाले किसानों से लेकर उच्च वेतन की मांग करने वाले कॉन्ट्रैक्ट सफाई कर्मचारियों तक.
इन सभी समूहों के विशाल जीएनआईडीए कार्यालय के आसपास डेरा डालने के कारण, गेट अक्सर कसकर बंद कर दिए जाते हैं, और किसी भी अप्रिय गतिविधि को रोकने के लिए क्षेत्र में पर्याप्त पुलिस तैनात किए गए है.
इस बीच, नए सीईओ समाधान निकालने के लिए कुछ और समय देने की अपील कर रहे हैं.
रवि कुमार एनजी ने दिप्रिंट को बताया, “विरोध प्रदर्शन हर दिन हो रहे हैं. मैंने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की है और उनसे मुझे कुछ समय देने का अनुरोध किया है. जिन समस्याओं को मेरी ओर से हल किया जा सकता है, उन्हें जल्द से जल्द हल किया जाएगा, लेकिन जिन मुद्दों पर उत्तर प्रदेश सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता है, उनमें समय लगेगा.”
उन्होंने स्वीकार किया कि इनमें से कई मुद्दे 2000 के दशक के हैं और पर्याप्त वित्तीय निहितार्थ के साथ आते हैं.
उन्होंने आगे कहा, “हमें समय चाहिए. मैं इस वादे के साथ अनुरोध कर रहा हूं कि जल्द ही सब कुछ सुलझा लिया जाएगा.”
आलीशान ऊंची-ऊंची इमारतों का दावा करने और निवासियों द्वारा नोएडा और गुड़गांव की बराबरी करने के लिए इसे ‘ग्रेनो‘ के रूप में ब्रांड करने की इच्छा रखने के बावजूद, ग्रेटर नोएडा लंबे समय से विवादों और घोटालों में उलझा हुआ है. विवादास्पद भूमि अधिग्रहण से लेकर कानूनी झंझटों से लेकर बेईमान बिल्डरों तक, जिन्होंने घर खरीदारों और जीएनआईडीए को घाटे में छोड़ दिया है, यह क्षेत्र दशकों से इन चुनौतियों से जूझ रहा है, जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था.
यहां इस पर एक संक्षिप्त नजर डाली गई है कि विभिन्न समूह विरोध क्यों कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: नहीं चलेगा मोदी का करिश्मा, बघेल को हराने के लिए लोकल चेहरा चाहिए- छत्तीसगढ़ BJP का शाह को संदेश
सफाई कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
पिछले हफ्ते जब दिप्रिंट ने ग्रेटर नोएडा का दौरा किया था, तब सैकड़ों सफ़ाई कर्मचारी जीएनआईडीए कार्यालय के बाहर जमा हो गए थे, जिनमें से कुछ ज़मीन पर बिछाए गए कालीनों पर बैठे थे.
सफ़ाई कर्मचारी प्रदर्शन शुरू करने वाला नवीनतम समूह है. हाथों में तख्तियां लिए और नारे लगाते हुए, वे नए सीईओ से वेतन में बढ़ोतरी और नौकरी की सुरक्षा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
जबकि वे पिछले सप्ताह रवि कुमार एनजी से दो बार मिले थे, कर्मचारियों ने तब तक पीछे नहीं हटने का फैसला किया है जब तक उन्हें ठोस परिणाम नहीं मिल जाते.
30 वर्षीय कॉन्ट्रैक्ट पर सफाई कर्मचारी रोहित कुमार ने कहा, “हम गुजारा करने में सक्षम नहीं हैं. नए सीईओ ने हमें मदद का आश्वासन दिया है, लेकिन हम तब तक नहीं हटेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.”
उन्होंने दावा किया कि जनवरी में अधिकारियों ने कर्मचारियों से वादा किया था कि उनका मासिक वेतन बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है.
“मैं 2009 से काम कर रहा हूं और 13,800 रुपये कमाता हूं.”
रोहित कुमार जो दादरी में रहते हैं और काम के लिए हर दिन एक घंटे की यात्रा करके ग्रेटर नोएडा जाते हैं ने कहा, जनवरी में, हमें बताया गया था कि वेतन वृद्धि के सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार हमारा वेतन बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दिया गया है, लेकिन हमें वह कभी नहीं मिला.
उन्होंने कहा, “हमारी दूसरी मांग है कि कर्मचारियों को स्थायी किया जाए.” “हम वर्षों से कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं. हमारी नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं है.”
जबकि जीएनआईडीए के सीईओ ने सफाई कर्मचारियों के मुद्दे को देखने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है, रोहित कुमार ने कहा कि वे अपनी मांगें पूरी होने तक अपना विरोध जारी रखने की योजना बना रहे हैं.
उन्होंने कहा, “हमें और कोई आश्वासन नहीं चाहिए.”
मुआवजे का इंतजार
रवि कुमार एनजी के सीईओ पद संभालने के तुरंत बाद, 81 गांवों के सैकड़ों किसान प्राधिकरण कार्यालय के बाहर एकत्र हुए और वर्षों पहले शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन को फिर से शुरू किया.
जैसा कि दिप्रिंट ने पहले बताया था, किसान प्राधिकरण द्वारा विकास के लिए उनसे ली गई कुल भूमि के मुकाबले आवासीय भूमि का 10 प्रतिशत वापस करने पर जोर दे रहे हैं. हालांकि कुछ किसानों को धन और भूमि दोनों के रूप में मुआवजा मिला है, लेकिन अधिकांश अभी भी उचित मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं.
विरोध में सबसे आगे रहे किसान रूपेश कुमार ने कहा, “हमने तीन मांगें उठाई हैं – उन किसानों को नौकरी जिनकी जमीन ग्रेटर नोएडा के औद्योगिक विकास के लिए अधिग्रहित की गई थी, प्राधिकरण से बेहतर मुआवजा, और अधिग्रहित भूमि का 10 प्रतिशत वापस किया जाए.”
जून में, किसानों ने पूर्व जीएनआईडीए सीईओ रितु माहेश्वरी से मिलने से इनकार कर दिया, यह दावा करते हुए कि वह उनकी मांगों को स्वीकार नहीं कर रही थीं. अब उनकी उम्मीदें रवि कुमार एनजी पर टिकी हैं.
रूपेश कुमार ने कहा, “आईएएस कुमार हमसे दो बार मिल चुके हैं और हमें आश्वासन दिया है कि हमारी मांगें पूरी की जाएंगी. उन्होंने कुछ समय मांगा है लेकिन वह सुन रहे हैं. पिछले सीईओ माहेश्वरी से मिलना एक संघर्ष था. उनके कार्यकाल के दौरान एक भी मांग पूरी नहीं की गई.”
नाराज घर खरीदार
नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ओनर्स एंड मेंबर्स एसोसिएशन (एनईएफओएमए) द्वारा बनाए गए डेटाबेस के अनुसार, ग्रेटर नोएडा में एक लाख से अधिक घर खरीदार हैं जो या तो अपने फ्लैट के कब्जे या पंजीकरण का इंतजार कर रहे हैं.
17 जुलाई को इस एसोसिएशन के सदस्य बुक किए गए अपार्टमेंट के निर्माण और रजिस्ट्री प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग करने के लिए जीएनआईडीए कार्यालय पहुंचे.
घर खरीदार, जो विरोध शुरू करने की योजना बना रहे थे, ने कहा कि रवि कुमार एनजी उनकी मांगों को स्वीकार कर रहे हैं.
नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान ने कहा, “हम कुमार एनजी से मिले और उन्होंने एक घंटे तक हमारी शिकायतें सुनीं. उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी क्षमता से सब कुछ करेंगे कि हमारी मांगें पूरी हों. इसने हमारी आशाओं को पुनर्जीवित कर दिया है.”
प्रगति के संकेत पहले से ही प्रतीत हो रहे हैं. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा इस सप्ताह अपने फ्लैटों के पंजीकरण की अनुमति दिए जाने के बाद ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) में 1,100 से अधिक घर खरीदार स्वामित्व अधिकार प्राप्त करने के लिए तैयार हैं.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सीईओ कुमार एनजी ने तीन बिल्डरों – समृद्धि, कोको काउंटी और प्रॉस्पर – के प्रतिनिधियों को प्राधिकरण पत्र सौंपा और उन्हें घर खरीदारों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)
(संपादन: अलमिना खातून)
यह भी पढ़ें: ग्रेनो भारतीय मिडिल क्लास के सपनों का कब्रिस्तान है, घर खरीद तो सकते हैं, लेकिन अपना नहीं बना सकते