मुंबई, 25 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के इरशालवाडी में भूस्खलन में अपने माता-पिता को खोने वाले 22 बच्चों के लिए जल्द ही एक प्राथमिक विद्यालय और एक ‘आंगनवाड़ी’ शुरू की जाएगी। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि राज्य महिला एवं बाल कल्याण विभाग के साथ जिला प्रशासन इन बच्चों के पुनर्वास के लिए कदम उठा रहा है।
लोकसभा सदस्य श्रीकांत शिंदे की ‘श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन’ ने इन बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी ली है। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के दो अधिकारियों ने मंगलवार को कंटेनर से बने अस्थायी घरों में रह रहे पीड़ितों से मुलाकात की थी।
अधिकारी ने बताया कि तीन से छह साल के बच्चों के लिए आंगनवाड़ी शुरू की जाएगी।
अनाथ हुए कई बच्चे ‘आश्रम’ स्कूलों (आदिवासी बच्चों के लिए सरकार द्वारा संचालित या सरकार द्वारा वित्त पोषित आवासीय विद्यालय) में पढ़ रहे थे और इसलिए जब 19 जुलाई को घटना हुई तो वे घर पर नहीं थे।
अधिकारी ने कहा कि इन बच्चों को जो तकलीफ हुई है उसके मद्देनजर उन्हें परामर्श की भी जरूरत होगी और सरकार उन्हें ऐसे परामर्शदाता उपलब्ध कराएगी जो आदिवासी ठाकर समुदाय की संस्कृति से अवगत हों, जिससे ये बच्चे संबंधित हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का नगर एवं औद्योगिक विकास निगम (सीआईडीसीओ) जमीन मिलने के 100 दिनों के भीतर प्रभावित लोगों के लिए स्थायी घर बनाएगा।
इरशालवाडी गांव में स्थित 48 में से कम से कम 17 घर भूस्खलन की वजह से पूरी तरह से या आंशिक रूप से मलबे में दब गए।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ने मलबे से 27 शव बरामद करने के बाद खोज और बचाव अभियान बंद कर दिया।
भाषा नोमान प्रशांत
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