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Wednesday, 18 December, 2024
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राजा मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के बाद शुरू हुए गुर्जर-राजपूत तनाव को खत्म करने में जुटी बीजेपी

बीजेपी डैमेज कंट्रोल मोड में है, राज्य इकाई प्रमुख ओपी धनखड़ का कहना है कि महापुरुषों की पहचान जाति से नहीं होती. मुद्दे को सुलझाने के लिए सीएम खट्टर जल्द ही दोनों समुदायों के नेताओं से मिलेंगे.

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चंडीगढ़: इस हफ्ते की शुरुआत में हरियाणा के कैथल में अनावरण की गई 9वीं सदी के राजा मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक प्रतिमा पर राजा को ‘गुर्जर’ बताने वाले शिलालेख के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 29 सदस्यों के पार्टी छोड़ने के बाद, मामले को सुलझाने के लिए सीएम मनोहर लाल खट्टर जल्द ही गुर्जर और राजपूत दोनों समुदायों के नेताओं के साथ बैठक कर सकते हैं.

शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने शनिवार को दिप्रिंट को बताया, ‘मुख्यमंत्री ने दोनों समुदायों के नेताओं को अपने आवास पर बुलाया है. बैठक जल्द ही होने की संभावना है.”

विरोध में पार्टी छोड़ने वाले पदाधिकारियों में भाजपा के कैथल जिला अध्यक्ष संदीप राणा भी शामिल थे, जिन्होंने रविवार को दिप्रिंट को बताया कि वह और उनके समर्थक 19 जुलाई को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उनके ऊपर लाठी चार्ज किया.

उन्होंने कहा, ”हमने कभी यह मांग नहीं की कि पट्टिका पर गुर्जर की जगह राजपूत लिखा जाए. लेकिन हम चाहते थे कि मिहिर भोज के नाम के पहले हिंदू सम्राट लिखा जाए. जब तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष या मुख्यमंत्री हमारी शिकायतों का समाधान नहीं कर देते, हम अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे.”

राजपूत समुदाय के सदस्यों के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओ.पी. धनखड़ ने शुक्रवार को दिप्रिंट से कहा था कि “महापुरुषों की पहचान उनकी जाति से नहीं की जाती है”.

उन्होंने कहा, “हम शहीद भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस या चंद्रशेखर आज़ाद की जाति नहीं पूछते हैं. वे राष्ट्र के हैं. इसी प्रकार मिहिर भोज पूरे देश के हैं. इन राष्ट्रीय नायकों को विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए,”

हालांकि, राज्य भाजपा प्रवक्ता और राजपूत नेता सूरज पाल अमू ने कहा कि स्थिति को टाला जा सकता था. उन्होंने शनिवार को दिप्रिंट को बताया, “मेरे लिए, एक राष्ट्रीय नायक की जाति पर विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है. आदर्श रूप से, सड़कों और चौकों पर प्रतिमाएं स्थापित नहीं की जानी चाहिए. अगर ऐसा करना ज़रूरी भी था, तो भी हमारे समुदाय को विश्वास में लिया जा सकता था,”

अमू ने दावा किया कि प्रतिमा के अनावरण से एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस लाठीचार्ज में उनके समुदाय के कई सदस्य घायल हो गए. “मिहिर भोज का मामला पहले से ही मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ द्वारा सुना जा रहा है. हमारी पार्टी के गुर्जर नेताओं के लिए बेहतर होता कि वे अदालत के फैसले का इंतजार करते.”

इस बीच, गुर्जर समुदाय के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने अपना नाम न बताने की शर्त पर दावा किया कि मिहिर भोज को 1982 तक राज्य में स्कूली पाठ्यपुस्तकों में “गुर्जर सम्राट” के रूप में वर्णित किया गया था. उन्होंने कहा कि पहले अनावरण की गई प्रतिमाओं में भी उन्हें “गुर्जर सम्राट” कहा गया है.


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“राजपूत समुदाय से संबंधित जनरल वी.के. सिंह जैसे कई नेता भी मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण कर चुके हैं और सभी ने उन्हें गुर्जर सम्राट बताया है. इसमें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी शामिल हैं.”

कहा जाता है कि 50 वर्षों से अधिक समय तक उत्तर भारत के कुछ हिस्सों पर शासन करने वाले मिहिर भोज का साम्राज्य पश्चिम में मुल्तान से लेकर पूर्व में बंगाल तक और उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कर्नाटक तक फैला हुआ था.

हालांकि, पिछले कुछ समय से उनकी वंशावली को लेकर बहस जारी है. राजपूत समुदाय का तर्क है कि वह प्रतिहार-राजपूत राजवंश से थे, और गुर्जर शब्द का गुर्जर समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह वर्तमान दक्षिणी राजस्थान और उत्तरी गुजरात के उस क्षेत्र के संदर्भ में है जो उस वक्त उनके साम्राज्य का हिस्सा था.

कौन हैं मिहिर भोज?

9वीं शताब्दी के राजा मिहिर भोज की एक प्रतिमा पहली बार उस वक्त दो समुदायों के बीच विवाद का कारण बन गई जब इसे 8 सितंबर 2021 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ‘सम्राट मिहिर भोज’ शिलालेख के साथ स्थापित किया गया था. बाद में नाम के साथ गुर्जर शब्द जोड़ा गया, जिसका राजपूतों ने विरोध किया. मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

बाद में उसी महीने में 22 सितंबर को, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा के दादरी में मिहिर भोज की एक प्रतिमा का अनावरण किया, जिससे एक बार फिर विवाद पैदा हो गया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी 2019 में दिल्ली में 9वीं सदी के राजा मिहिर भोज की एक प्रतिमा का अनावरण किया. गाजीपुर में NH-24 पर एक पुल और राष्ट्रीय राजधानी में एक सड़क का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है. उत्तराखंड के तत्कालीन सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी 2019 में हरिद्वार में मिहिर भोज की एक प्रतिमा का अनावरण किया था.

ताजा विवाद गुरुवार को हरियाणा के कैथल शहर में ढांड रोड पर स्थानीय भाजपा विधायक लीला राम गुर्जर द्वारा अनावरण की गई मिहिर भोज की प्रतिमा से उपजा है. इसका अनावरण राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री चौधरी कंवर पाल गुर्जर द्वारा किया जाना था. हालांकि, अनावरण से एक दिन पहले, राजपूत समुदाय के लोगों ने शिलालेख में मिहिर भोज को “हिंदू सम्राट” नहीं बल्कि “गुर्जर सम्राट” कहे जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

कैथल में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया और कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया गया. राजपूत नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं. स्थिति तनावपूर्ण होने के कारण, शिक्षा मंत्री इस अवसर पर उपस्थित नहीं हो पाए और उनकी जगह विधायक लीला राम गुर्जर ने प्रतिमा का अनावरण किया.

बाद में स्थानीय मीडिया आउटलेट्स ने विधायक के हवाले से कहा, “मिहिर भोज गुर्जर समुदाय के पूर्वज थे. हमने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया. इससे पूरा गुर्जर समाज खुश है. किसी भी विवाद का कोई कारण नहीं है.”

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए बीजेपी विधायक लीला राम गुर्जर से संपर्क किया, लेकिन उनकी तरफ से कॉल का कोई जवाब नहीं मिला.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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