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Tuesday, 5 November, 2024
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वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में ‘संरचना’ का मामला, वैज्ञानिक सर्वे की मांग पर कोर्ट का फैसला आज

मस्जिद परिसर मिली एक संरचना को जहां हिंदू पक्ष "शिवलिंग" बता रहा है तो दूसरा पक्ष इसे "फव्वारा" होने का दावा कर रहा है.

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वाराणसी : वाराणसी की एक कोर्ट हिंदू पक्ष की तरफ दायर याचिका पर आज अपना फैसला सुनाएगी, याचिका में पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) द्वारा ‘वैज्ञानिक सर्वे’ की मांग की गई थी.

अदालत ने बीते शुक्रवार (14 जुलाई) को याचिका पर दलीलें सुनी हैं. इस साल मई में पांच महिलाओं ने याचिका दायर की थी, जिन्होंने पहले एक अन्य याचिका में मंदिर परिसर के अंदर “श्रृंगार गौरी स्थल” पर प्रार्थना करने की अनुमति मांगी थी.

मस्जिद परिसर में एक संरचना पाई गई है जिसे एक पक्ष “शिवलिंग” बता रहा है जबकि दूसरा पक्ष इसे “फव्वारा” होने का दावा कर रहा है.

हिंदू पक्ष की तरफ से एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने इससे पहले 14 जुलाई को कहा था, “हम कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखेंगे…माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 21 मई को हमारे पक्ष में फैसला दिया था…जिला अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखना जारी रखेंगे कि स्थल की एएसआई द्वारा जांच की जाए…कृपया कोर्ट के आदेश का इंतजार करें.”

इससे पहले 6 जुलाई को, ज्ञानवापी मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसका “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई करे, जिसमें पिछले साल एक वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण के दौरान वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाए गए “शिवलिंग” की कार्बन डेटिंग शामिल है.

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा था कि मामला 19 मई, 2023 को शीर्ष अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, जिसने निर्देशों के कार्यान्वयन को 6 जुलाई, 2023 तक के लिए टाल दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग पर रोक लगा दी थी, यह कहते हुए कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के निर्देशों के कार्यान्वयन को लेकर सुनवाई अगली तारीख तक स्थगित रहेगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में ‘शिवलिंग’ की वाराणसी जिला जज के निर्देश और निगरानी में वैज्ञानिक सर्वे कराने की इजाजत दी थी.

मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने ‘वैज्ञानिक सर्वे’ को यह कहते हुए टाल दिया था, “चूंकि विवादित आदेश के निहितार्थों की बारीकी से जांच की जानी चाहिए, आदेश से जुड़े निर्देशों का कार्यान्वयन अगली तारीख तक स्थगित रहेगा.”

पीठ ने “शिवलिंग” की उम्र निर्धारित करने के लिए एएसआई द्वारा वैज्ञानिक जांच को लेकर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की अपील पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया था.

ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने पीठ को बताया था कि कार्बन डेटिंग और सर्वे जल्द शुरू किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश होते हुए भारत के महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा था कि उस संरचना को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए जिसे एक पक्ष “शिवलिंग” होने का दावा करता है और दूसरा इसे फव्वारा बता रहा.

मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश होते हुए एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि एएसआई के विशेषज्ञ पहले ही बता चुके हैं कि ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.

सर्वे के दौरान एक ढांचे को जिसे हिंदू पक्ष ‘शिवलिंग’ और मुस्लिम पक्ष की तरफ से ‘फव्वारा’ होने का दावा किया जा रहा है, जो पिछले साल 16 मई को कोर्ट के आदेश पर सर्वे के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद परिसर में पाया गया था.

उच्च न्यायालय ने 12 मई को वाराणसी जिला न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसने 14 अक्टूबर, 2022 को “शिवलिंग” के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग की अपील खारिज कर दी थी.

हाईकोर्ट ने हिंदू उपासकों द्वारा “शिवलिंग” की वैज्ञानिक जांच कराने की मांग पर, वाराणसी जिला जज को कानून के मुताबिक आगे बढ़ने का निर्देश दिया था.

याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी और तीन अन्य ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.


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