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Saturday, 23 November, 2024
होमदेशदिल्ली के सिविल लाइन्स इलाके में किसी के लिए कहर तो किसी के लिए उपहार लेकर आई यमुना की बाढ़

दिल्ली के सिविल लाइन्स इलाके में किसी के लिए कहर तो किसी के लिए उपहार लेकर आई यमुना की बाढ़

बिजली और पीने का पानी नहीं होने के कारण लोग अपने घरों को ताला लगाकर आलीशान होटल जैसे मैडन और श्याम विला में रहने चले गए थे और 17 जुलाई को ही वापिस लौटे हैं.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी के उफान पर होने और कई इलाकों के जलमग्न हो जाने से जहां, एक तरफ तो विपदा जैसा माहौल रहा, वहीं कुछ लोगों के लिए ये पानी जाते-जाते कुछ खास तोहफे छोड़ गया.

दिल्ली के पॉश इलाकों में शुमार सिविल लाइन्स का जब दिप्रिंट ने दौरा किया तो पाया कि राज नारायण रोड पर घरों से पानी निकलने के बाद यमुना घरों और यहां के बेसमेंट में तरह-तरह की मछलियां छोड़ गई. यह तकरीबन 15 किलो से अधिक हैं. मज़ेदार बात ये है कि जहां, निवासी पानी से खराब हुए सामान से दुखी दिखे, वहीं, उनके घरेलू सहायकों को यमुना ने जो मछलियों का उपहार दिया है उसे वो नमक मिर्च लगाकर तरह-तरह से पका कर खाने की जुगत में लगे हैं.

लोगों ने मछलियों की तस्वीरें खीचीं वीडियो बनाए और घरेलू सहायकों ने बताया कि कैसे 15 फुट के पानी में उन्होंने जाल बिछाकर उन्हें पकड़ा.

सिविल लाइन्स इलाके में बाढ़ के पानी के बाद पकड़ी गई मछलियां | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
सिविल लाइन्स इलाके में बाढ़ के पानी के बाद पकड़ी गई मछलियां | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

बंगला नंबर 11 के घरेलू सहायकों ने हल्दी-तेल लगी मछलियों की भरी हुई प्लेट फ्रिज से निकालते हुए कहा, ‘‘ये देखिए आज तेल लगाकर रखा है, कल रात भर साफ किया था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादा दिन पानी में रहा न, इसलिए और स्वच्छ हो गई और स्वाद बढ़ गया है.’’

ये पूछे जाने पर कि इन्हें खाने से बीमारी नहीं होगी उन्होंने कहा, ‘‘नहीं ये सेहत के लिए अच्छी होती हैं.’’

बंगला नंबर सात के घरेलू सहायकों ने मछली को हल्दी-तेल लगाकर मैरिनेट करने के लिए रखा है | फोटो: फाल्गुनी शर्मा/दिप्रिंट
बंगला नंबर सात के घरेलू सहायकों ने मछली को हल्दी-तेल लगाकर मैरिनेट करने के लिए रखा है | फोटो: फाल्गुनी शर्मा/दिप्रिंट

बता दें कि मछलियां तिलपिया और कैट फिश हैं, जिनका बाज़ार में रेट 200 रुपये प्रति किलो के आसपास है.

1857 में अंग्रेज़ी शासन के दौरान बसे इस इलाके में वैसे तो पानी हर साल रिंग रोड की तरफ से दस्तक देता है, लेकिन ऐसा मंज़र 2010 के बाद और उससे पहले 1978 के बाद से देखने को मिला जब लोगों के सामान पानी में तैरने लग गए थे.

पानी के बढ़ने के कारण लोग अपने घरों को ताला लगाकर आलीशान होटल जैसे मैडन और श्याम विला में रहने चले गए थे और 17 जुलाई को वापिस लौटे हैं. हालांकि, जो लोग यहां थे उन्होंने दुखी मन से कहा कि यहां बिजली और पीने का पानी कुछ नहीं था.

नितिन अपार्टमेंट के निवासी सुनील माहेश्वरी ने कहा, ‘‘आपको क्या मालूम सिविल लाइन्स सीलमपुर बन गया था. हमारा सामान पानी में बहने लगा था.’’


यह भी पढ़ें: G20 को लेकर यमुना की सफाई चल रही है लेकिन क्या दिल्लीवासियों का मिल रहा है सहयोग?


‘नदी अपना रास्ता ढूंढ लेती है’

गौरतलब है कि दिल्ली में 13 जुलाई से जारी भारी बारिश, पहाड़ी इलाकों से आये पानी के कारण राष्ट्रीय राजधानी के लाल किला, आईटीओ, यमुना बाज़ार, गीता कॉलोनी, कनॉट प्लेस, सिविल लाइन्स राजघाट आदि इलाकों में पानी भर गया और बाढ़ जैसी स्थिति बनने लगी थी.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई के केवल 11 दिनों के भीतर, दिल्ली में इस महीने 300 मिमी से अधिक बारिश हो चुकी है, जो पिछले 15 वर्षों में तीसरी सबसे अधिक बारिश वाली जुलाई है.

बंगला नंबर सात के मालिक और आर्किटेक्ट प्रताप नारायण ने दिप्रिंट से कहा, ‘‘बहादुर शाह ज़फर के समय यमुना इन्हीं इलाकों से बहती थी. पानी सूखते-सूखते यहां घर बसने लग गए.’’

इतिहासकारों और पर्यारवणविदों का मानना है कि नदी अपना रास्ता खुद तलाश लेती है और यमुना ने 2010 के बाद से 2023 में 13 साल बाद लाल किले की दीवार को छुआ है.

एक तरफ कुछ लोग इसे मानव निर्मित आपदा और सरकार की नाकामयाबी कह रहे हैं, वहीं, कुछ का कहना है कि पहली बार एमसीडी ने इतनी तेज़ी से काम किया है और बारिश रुकने के बाद पानी दो दिन में निकल गया.

सिविल लाइन्स के निवासियों ने बताया कि आईटीओ के बैराज के गेट बंद होने और सीवरेज साफ नहीं होने से पानी घरों में घुस गया. माहेश्वरी ने कहा, ‘‘अगर केजरीवाल ने आईटीओ बैराज के गेट समय रहते खोल दिए होते, तो ये पानी हमारे घरों में नहीं आता. ये सरकार की नाकामयाबी है.’’

नारायण ने कहा, ‘‘कांग्रेस और बीजेपी जिनके पास इतने साल एमसीडी रही, उन्होंने ठीक से काम नहीं किया. हालांकि, इस बार एमसीडी ने बहुत जल्द पानी को साफ करवा दिया.’’

वहीं, अन्य निवासी विवेक खंडेलवाल और संजीव गुप्ता ने बताया कि उन लोगों का क्रमशः 35 और 45 लाख रुपये का नुकसान हो गया. दोनों ने अपने घरों का सारा फर्नीचर निकाल कर बाहर फेंक दिया था.

अपने हाथ में पकड़े बिजली के स्विच बोर्ड की तरफ इशारा करते हुए खंडेलवाल ने कहा, ‘‘घर में पढ़ने-लिखने वाले बच्चे हैं और यहां बिजली नहीं थी, हम कहां जाएं बताइए.’’

दिप्रिंट ने जब गुप्ता के घर का दौरा किया तो, वह अभी भी पानी से भरा था और वहां बदबू फैली हुई थी और मक्खियां भिनभना रही थीं. इमोशनल हालात में वो अपने घर का सामान निकालने में व्यस्त थे और खुद भी साफ-सफाई करवा रहे थे.

उनकी मां ने कहा, ‘‘हमने घर 2021 में बनवाया था और आज इसके ऐसे हाल हैं कि एक पानी का गिलास भी साबुत नहीं बचा है.’’ संजीव ने कहा, ‘‘हम क्या क्लेम कर सकते हैं….कुछ भी नहीं.’’

संजीव गुप्ता के घर का सामान जो पानी में खराब हो गया | फाल्गुनी शर्मा/दिप्रिंट
संजीव गुप्ता के घर का सामान जो पानी में खराब हो गया | फाल्गुनी शर्मा/दिप्रिंट

सिविल लाइन्स में दिल्ली विधानसभा, सीएम का आवास और राज्य सरकार के कईं मंत्रियों के घर हैं और वहां से कुछ ही दूरी पर यमुना बहती है. इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सचिव रहे पीएन धर का घर भी राज नारायण रोड पर स्थित है, जहां कुछ दिन पहले 15-15 फुट तक यमुना नदी के लहरे थीं.

‘‘40 लाख रुपये के सामान के दो लाख रुपये दिए हैं कबाड़ी से अभी दाम लगवा कर आया हूं.’’ माहेश्वरी का इलेक्ट्रॉनिक के सामान का काम है और उनका पूरा गोदाम डूब गया है.

उनकी बेटी मेघा ने बताया, ‘‘13 जुलाई की सुबह 6 बजे पानी आया और 8 बजे तक बिजली नहीं काटी गई.’’

निवासियों ने बताया कि बार-बार फोन किए जाने पर बिजली काटी गई और लोग जितना सामान बचा सकते थे उन्होंने बचा लिया. रुंधते गले से मेघा ने कहा, ‘‘मेरे बेटे को मैं कैसे बताऊं कि उसके सारे खिलौने पानी में चले गए. उसके कपड़े और हमारा रसोई का सामान पानी में तैर रहा था.’’

इलाके के निवासी गले तक के पानी में यहां से बाहर निकले थे और रविवार को जब लौटे तो सड़क पर गाद कीचड़, मरे हुए चूहे मेंढ़क और मछलियां पड़े थे.

उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की बोट्स भी तीन-तीन घंटे बाद पहुंची और घरों से पानी निकालने और सफाई के लिए लोगों ने अपने खर्चे किए हैं.

सिविल लाइन्स में इन एलीट क्लास के घर बहुत आलीशान नहीं हैं, लेकिन उनमें साजो-सामान लाखों के हैं, जो इस बारिश में लगभग तहस-नहस हो गए हैं. बेला रोड पर कईं लोगों ने अपने घरों के मंहगे-मंहगे सजावट के सामान जो कि कीचड़ से सने हुए थे, को बाहर रखा हुआ था.

एक निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘‘ये सामान अमेरिका से लाए थे हम, अब ये यमुना के खादर इलाके का लग रहा है. हमने इसलिए इसे बाहर निकाल दिया है.’’


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