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Wednesday, 20 November, 2024
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दुनिया में टमाटर की चर्चा- 400% बढ़े दाम, Delhi-NCR में इसे 80 रु. किलो में बेचेगी सरकार

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में टमाटर के दाम जनवरी के बाद 5 गुना बढ़े हैं. टमाटर न केवल आम आदमी की थाली से बाहर हुआ है, बल्कि एक बड़ी फास्ट फूड कंपनी ने भी इसे अपने मेन्यु से हटा लिया है.

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नई दिल्ली : टमाटर के बढ़ते दाम ने केंद्र की मोदी सरकार की टेंशन बढा दी है. सरकार ने दिल्ली-एनसीआर में इसे अब 80 रुपये किलो के भाव पर बेचने का फैसला किया है. अभी तक सरकार यहां इसे 90 रुपये किलो में बेच रही थी. वहीं इसके दाम 2 महीने से कम समय में 400 फीसदी बढ़ गये हैं. इससे यह दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है.

इसके अलावा लखनऊ में भी उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कम दाम पर टमाटर बेचा जा रहा है, जिसे खरीदने के लिए लोगों की भीड़ जमा दिखी.

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक यह अब मेन्यु से बाहर हो गया है. इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है.

गौरतलब है कि टमाटर कीमतों ने जहां इसे आम आदमी की थाली से गायब कर दिया वहीं अमेरिकी फास्ट फूड की दिग्गज कंपनी मैकडॉनल्ड ने भी इसे अपने मेन्यु से इसे हटा लिया है.

दिप्रिंट के निखिल रामपाल की ओर सामने लाए गए एक आंकड़े के मुताबिक इस सब्जी की कीमत 2 महीने से भी कम समय में 400 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है. उपभोक्ता मामलों के विभाग के मूल्य निगरानी विंग के आंकड़ों के अनुसार, 31 मई को टमाटर की औसत कीमत 25 रुपये प्रति किलो थी. लेकिन जून के अंत तक, इसकी कीमतें लगभग दोगुनी होकर 50 रुपये प्रति किलो हो गईं, और 5 जुलाई तक 90 रुपये प्रति किलो और एक हफ्ते बाद 110 रुपये तक पहुंच गईं. वास्तव में बठिंडा जैसे शहरों में कीमत 203 रुपये प्रति किलोग्राम तक थी. अगर सुनील शेट्टी की बातों पर विश्वास किया जाए तो सेलिब्रिटी भी कम टमाटर खा रहे हैं.

सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में मोबाइल वैन के जरिये रियायती 90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर टमाटर की बिक्री शुरू की थी. शनिवार को कुछ अन्य शहरों में सरकार ने रियायती दरों पर टमाटर की बिक्री शुरू की थी.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘सरकार के हस्तक्षेप के बाद टमाटर की थोक कीमतों में कमी आई है. सरकार ने देश में कई स्थानों पर 90 रुपये की रियायती दर पर टमाटर की बिक्री शुरू की थी.’’

बयान में कहा गया है कि देश में 500 से अधिक स्थानों से मिली सूचनाओं के आधार पर सरकार ने स्थिति का आकलन किया है. अब सरकार ने रविवार 16 जुलाई से 80 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर टमाटर की बिक्री करने का फैसला किया है.


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टमाटर दुनिया में बना चर्चा का विषय

टमाटर की बढ़ती कीमतें विदेशों में भी सुर्खियां बनी हुई हैं. सीएनएन ने बताया कि यह जरूरी सब्जी अब मेन्यु से बाहर हो गई है.

चैनल ने भारत के उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों दिए हैं, जिसके मुताबिक इस सप्ताह राजधानी दिल्ली में एक किलोग्राम (2.2 पाउंड) टमाटर की कीमत 138 रुपये ($1.68) है, जो जनवरी में 27 रुपये से ($0.33) से पांच गुना ज्यादा है.

सीएनएन की रिपोर्ट की मुताबिक दिल्ली की गृहणी आशा, जिन्होंने अपने नाम का टाइटल न बताने की शर्त पर कहा, “टमाटर के दाम में इजाफे ने उसके सात सदस्यों वाले परिवार को बुरी तरह प्रभावित किया है. वह अपने लगभग हर खाने में टमाटर का इस्तेमाल करती हैं.”

उन्होंने कहा, “टमाटर की कीमतों में इजाफे का हम पर बड़ा असर हो रहा है.” “यह अविश्वसनीय है.”

“टमाटर हमारे शाकाहारी भोजन का एक अभिन्न हिस्सा है… (लेकिन) पिछले कुछ दिनों से, मैं जो कुछ भी पका रही हूं,  इसको (टमाटर) लेकर सचेत हूं, क्योंकि यह बहुत महंगा है.”

मैकडॉनल्ड ने भी अपने मेन्यु से हटाया

रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ आशा जैसे लोग ही नहीं अमेरिका की दिग्गज फूड कंपनी ने भी इसे अपने मेन्यु से हटा लिया है. उसने इसकी वजह कीमत और सप्लाई को बताया है.

कनॉट प्लाजा रेस्तरां, जो भारत के उत्तर और पूर्व में मैकडॉनल्ड्स फ्रेंचाइजी का प्रबंधन संभालात है, ने प्रभावित रेस्तरां के बाहर साइन बोर्ड लगा दिया कि उन्हें उन्हें “पर्याप्त मात्रा में टमाटर नहीं मिल पा रहा है, जो हमारी विश्वस्तरीय कड़ी गुणवत्ता जांच को पास करने वाला हो.”

बाहर लगीं नोटिस की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर व्यापाक तौर पर वायरल हो रही हैं, जिनमें आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा भी शामिल हैं.

उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, ‘टमाटर ₹100 प्रति किलो पार कर चुका है. आशा करता हूं निर्मला जी इस बार ये नहीं बोलेंगी कि – “मैं टमाटर नहीं खाती जी”.

चड्ढा ने मैकडॉनल्ड का जिक्र करते हुए लिखा है, “यहां तक ​​कि मैकडॉनल्ड भी अब टमाटर नहीं खरीद सकता.” “चाहे हमारे घर हों या रेस्तरां, महंगाई नियंत्रण से बाहर होने के कारण, सरकार ने ख़ुशी के भोजन को दुखद भोजन में बदल दिया है.”

कस्टमर्स का स्वाद बिगड़ा

फास्ट फूड श्रृंखला मैकडॉनल्ड ने गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए देश के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में अधिकांश दुकानों में अपने भोजन बनाने में टमाटर का इस्तेमाल बंद कर दिया है. दिल्ली में मैकडॉनल्ड्स के एक कस्टमर ने कहा है, ”मैकडॉनल्ड्स के फैसले से स्वाद पर असर पड़ेगा, लेकिन महंगाई के कारण ऐसा हो सकता है.”

जलवायु परिवर्तन को बताया बड़ा फैक्टर

जलवायु परिवर्तन इसका एक प्रमुख कारण माना जा रहा है. इससे भारत समेत एशिया में चरम मौसम देखा जा रहा, जिसका असर टमाटर जैसी तमाम फसलों पर पड़ा है.

टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन में पोस्ट डॉक्टरेट एसोसिएट जॉक्लिन बोइटो ने कहा, टमाटर की मौजूदा कमी के पीछे एक कारक जलवायु परिवर्तन से जुड़ा चरम मौसम है.

हाल के सप्ताहों में भीषण तापमान ने भारत और एशिया के अन्य हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया है. कई दशकों से रिपोर्ट करने वाली दो जलवायु ट्रैकिंग एजेंसियों के आंकड़ों के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर, पिछले सप्ताह अब तक का सबसे गर्म तापमान दर्ज किया गया.

भारत अक्सर मई और जून की गर्मियों के दौरान हीटवेव का सामना करता है, लेकिन हाल के वर्षों में, ये समय से पहले हुआ और अधिक लंबे समय तक चला.

पिछले अप्रैल में, भारत में लू का प्रकोप देखा गया, जिसके कारण देश की राजधानी नई दिल्ली में तापमान लगातार सात दिनों तक 40 डिग्री सेल्सियस (104 फ़ारेनहाइट) से ऊपर चला गया. कुछ राज्यों में, गर्मी के कारण स्कूल बंद करने पड़े, फसलों को नुकसान हुआ और ऊर्जा आपूर्ति पर दबाव पड़ा, क्योंकि अधिकारियों ने लोगों को घर के अंदर रहने और हाइड्रेटेड रहने की चेतावनी दी थी.

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अनुसार, भारत जलवायु संकट से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में से एक है, जिससे देशभर में 1.4 अरब लोग प्रभावित हो सकते हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि इसके केसकैडिंग (व्यापक) प्रभाव विनाशकारी होंगे.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा अप्रैल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में हीटवेव्स भारत की कृषि, अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों पर “अभूतपूर्व बोझ” डाल रही हैं, जिसके कारण भारत के विकास लक्ष्यों तक पहुंचने के प्रयास रुक गए हैं.

भारत के वेजिटेबल ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीराम गाडवे ने कहा कि इस साल अप्रैल से जून तक लगातार गर्मी के कारण टमाटर के पौधों में इस अवधि तक फूल नहीं आए, जिससे फसल की पैदावार प्रभावित हुई.

उन्होंने कहा, “इससे इसके विकास पर असर पड़ा और यही कारण है कि इस साल टमाटर की पैदावार 70% प्रभावित हुई.”


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