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Saturday, 16 November, 2024
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‘पिछड़े’ मुसलमानों पर नज़र, ‘सामुदायिक आइकन’ कलाम की बरसी पर BJP शुरू करेगी पसमांदा यात्रा

भाजपा ‘पिछड़े’ मुसलमानों के लिए अपने संपर्क अभियान के लिए ‘पसमांदा आइकन’एपीजे अब्दुल कलाम की विरासत का सहारा ले रही है. पार्टी नेताओं का कहना है कि लक्ष्य लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी वोट शेयर हासिल करना है.

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नई दिल्ली: भारत के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को पसमांदा मुसलमानों के लिए एक प्रतीक बताते हुए, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समुदाय तक पहुंचने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने के वास्ते उनकी विरासत का लाभ उठा रही है.

“पसमांदा स्नेह संवाद यात्रा” 27 जुलाई को कलाम की पुण्यतिथि पर शुरू होगी और 15 अक्टूबर को उनके जन्मदिन पर समाप्त होगी. यात्रा की टैगलाइन है “सम्मान से उत्थान की ओर”.

राष्ट्रीय भाजपा अल्पसंख्यक प्रमुख जमाल सिद्दीकी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका विकास चाहते हैं. वे भेदभाव नहीं करते. पसमांदा समाज (समुदाय) को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया है, लेकिन किसी ने वास्तव में उनके लिए काम नहीं किया है.”

उन्होंने आगे दावा किया कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग का सदस्य होने के नाते मोदी को पसमांदा भी कहा जा सकता है, एक समुदाय जो ओबीसी श्रेणी में भी आता है.

सिद्दीकी ने कहा, “नरेंद्र मोदी जी भी पसमांदा समुदाय से आते हैं. तथ्य यह है कि हमारे पास पसमांदा पीएम है, यह गर्व की बात है और उनके निर्देश पर, हमने समुदाय तक पहुंचने और उन्हें उनके लिए सभी कल्याणकारी कार्यक्रमों की जानकारी देने का फैसला किया है.”

‘पसमांदा’ शब्द मुस्लिम समुदाय के सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्ग को संदर्भित करता है. कथित तौर पर पसमांदा भारत की मुस्लिम आबादी का लगभग 80-85 प्रतिशत हैं.


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‘50 फीसदी वोट शेयर योजना का हिस्सा’

2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पिछड़े मुसलमानों तक पहुंचने के लिए बीजेपी ने पसमांदा यात्रा की योजना बनाई है.

पीएम मोदी कई मौकों पर पसमांदा मुसलमानों के बारे में बात कर चुके हैं और पार्टी कैडर से उन तक पहुंचने के लिए भी कह चुके हैं.

पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “यह अगले लोकसभा चुनाव की योजना का हिस्सा है. हम 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर हासिल करने की योजना बना रहे हैं और इसे नए समुदायों के बीच पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ाकर ही हासिल किया जा सकता है. पिछड़े मुसलमान एक ऐसा समुदाय हैं.”

दिल्ली से शुरू होकर यह यात्रा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड और अन्य राज्यों से होकर गुज़रेगी.

सिद्दीकी के मुताबिक, यह यात्रा पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने के लिए पार्टी का पहला आधिकारिक कार्यक्रम है. उन्होंने बताया कि पार्टी ने यात्रा को कलाम के साथ जोड़ने का फैसला किया क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति समुदाय के लिए एक प्रतीक थे जिन्होंने राष्ट्र के लिए अथक प्रयास किए.

उन्होंने कहा, “हम पसमांदा समुदाय को एक आइकन देना चाहते हैं ताकि हमारे लोग गुमराह न हों. अतीत में, नेहरू, मायावती, ममता, मुलायम से लेकर राजीव गांधी तक नेताओं ने खुद को समुदाय के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित करने की कोशिश की है, लेकिन हकीकत में उन्होंने कभी लोगों के लिए काम नहीं किया.”

सिद्दीकी ने आगे कहा, “हमारे अपने प्रतीक हैं — भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम जिनका पूरा देश और दुनिया सम्मान करती है. जिस तरह वे एक राष्ट्रवादी थे जिन्होंने देश के लिए काम किया, हम भी चाहते हैं कि युवा पसमांदा देश के लिए काम करें. यही कारण है कि हमने उनकी पुण्यतिथि पर यात्रा शुरू करने का फैसला किया.”

मोदी ने पहले अपनी पार्टी के सहयोगियों को गैर-हिंदुओं जैसे पसमांदा मुसलमानों के बीच विभिन्न वंचित वर्गों तक पहुंचने की सलाह दी थी, जो विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं के लाभार्थियों में से हैं.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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