नई दिल्ली: बजरंगबली पर सिर्फ भारत का अधिकार नहीं रहा है. थाइलैंड में शुरू हुई एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप का मैस्कॉट और कोई नहीं अपने हनुमान जी हैं.
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में चल रही यह चैंपियनशिप 12 से 16 जुलाई तक खेली जाएगी.
हनुमान का मैस्कॉट क्यों
एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप के अनुसार, मैस्कॉट या शुभंकर के रूप में भगवान हनुमान को चुनना खिलाड़ियों के कौशल, समर्पण और टीम वर्क जैसे विभिन्न गुणों एवं योग्यताओं का प्रतीक हैं.
हनुमान भगवान राम की सेवा में गति, शक्ति, साहस और बुद्धि सहित असाधारण क्षमताओं का प्रदर्शन करते हैं. हनुमान की सबसे बड़ी क्षमता एवं शक्ति उनकी दृढ़ निष्ठा और भक्ति है.
वेबसाइट में आगे कहा कि, “25वीं एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 का लोगो खेलों में भाग लेने वाले एथलीटों की कौशल, टीम वर्क, एथलेटिकिज्म, समर्पण और खेल कौशल के प्रदर्शन को दर्शाता है.”
भारत ही ऐसा देश नहीं है जहां रामायण एवं महाभारत जैसी पौराणिक कथाएं प्रचलित है. बता दें कि रामायण कई अन्य दक्षिणपूर्व देशों में भी बहुत ज्यादा लोकप्रिय है और वहां विभिन्न भगवानों की पूजा भी की जाती है. थाईलैंड में रामायण का एक थाई संस्करण भी है, जिसे ‘रामाकेन’ कहा जाता है.
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मैस्कॉट/ शुभंकर
एशियाई खेलों प्रयोग होने वाले शुभंकर आमतौर पर काल्पनिक पात्र होते हैं. मैस्कॉट उस क्षेत्र के मूल निवासी, जानवर या मानव आकृतियां होती हैं जो उस स्थान की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां एशियाई खेल हो रहे होते हैं.
एशियाई खेलों को युवा दर्शकों तक पहुंचाने लिए अक्सर शुभंकर का उपयोग किया जाता है, और इसका मकसद दर्शकों को अपनी और आकर्षित करना है.
बता दें कि 1982 के एशियाई खेलों में प्रयोग होने वाला अप्पू यानि हाथी पहला शुभंकर था. मैस्कॉट भाग लेने वाले एथलीटों के विभिन्न आवश्यक लक्षणों का प्रतीक माना जाता है.
थाईलैंड की रामाकेन वहां के राष्ट्रीय महाकाव्यों में से एक है, जिसका अर्थ ‘राम की महिमा’ है. थाईलैंड की रामायण भी भारत जितनी ही प्रसिद्ध है एवं इससे वहां के लोगों में हिन्दू धर्म की एक अलग झलक देखने को मिलती है.
थाईलैंड और हिन्दू धर्म
प्राचीन मिथकों के अनुसार, थाईलैंड में लोगों का मानना है कि रामाकेन में जादुई गुण हैं. इसलिए, जो कोई भी इसे सात दिनों और रातों तक पढ़ता है, वह स्वर्ग को तीन दिनों और रातों में वर्षा की आज्ञा दे सकता है.
कई थाई विद्वानों का मानना है कि रामाकेन एक ऐसी कहानी है विशेष ज्ञान वाले लोग ही समझ सकते हैं और इसके वास्तविक संदेश को समझ सकते हैं. यह राम की निर्वाण (सीता) की आध्यात्मिक खोज की कहानी है.
दीवाली जितनी धूम धाम और श्रद्धा से भारत में मनाई जाती है उतने ही धूम धाम से थाईलैंड में भी मनाई जाती है लेकिन थोड़े अलग ढंग से. थाईलैंड में दीवाली ‘लोई क्रथॉन्ग’ के नाम से मनाई जाती है.
रामाकेन का वर्तमान संस्करण 18वीं शताब्दी में लिखा गया था. जबकि रामायण भगवान राम और उनके गुणों की कहानी थी, थाई संस्करण में राक्षस राजा तोसाकांत के बारे में ज्यादा बताया गया है.
बैंकॉक के पास अयुत्या शहर का नाम राम की जन्मस्थान अयोध्या के नाम से ही मेल खाता है. इसके अलावा, हिंदू-बौद्ध देवताओं की पूजा कई थाई लोगों द्वारा की जाती है, जैसे प्रसिद्ध ब्रह्मा, गणेश, इंद्र और शिव भगवान.
बता दें कि थाईलैंड में भगवान गणेश को भाग्य और सफलता के देवता और बाधाओं को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है. थाईलैंड एक बहुसंख्यक हिंदू राष्ट्र है, इसकी संस्कृति, वास्तुकला और विरासत हिंदू प्रभावों से परिपूर्ण है.
अपनी मेज़बानी के दौरान हनुमान को एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप के मैस्कॉट के रूप में चुनना थाईलैंड में हिन्दू धर्म के प्रभाव और श्रद्धा को दिखाता है.
बता दें कि भारतीय टीम पांच दिन के एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए शनिवार को दिल्ली और बेंगलुरु से रवाना हुई थी.
बता दें कि चैंपियनशिप का यह 24वां संस्करण और 50वीं वर्षगांठ है. इसमें मैस्कॉट का निर्णय ऑर्गेनाइजिंग कमेटी द्वारा ली जाती है.
बता दें कि यह चैंपियनशिप हर दो साल में एक बार आयोजित की जाती है. लेकिन 2021 में कोरोना महामारी के कारण मेजबान चीन इसे आयोजित नहीं कर पाया था.
बुधवार से शुरू हुई पांच दिवसीय चैंपियनशिप की मेजबानी थाईलैंड द्वारा की जा रही है और इसमें आठ अन्य देशों – भारत, हांगकांग, जापान, कोरिया गणराज्य, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, चीन और सिंगापुर ने भाग लिया है.
बैंकॉक में आयोजित 2023 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ज्योति याराजी ने महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में भारत के लिए पहला स्वर्ण जीता.
चैंपियनशिप में एक सामरिक दौड़ में अजय कुमार सरोज ने पुरुषों की 1500 मीटर में स्वर्ण पदक जीता. वहीं ऐश्वर्या मिश्रा ने महिलाओं की 400 मीटर में कांस्य पदक जीता है.
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