scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावपीडीपी कार्यकर्ताओं का बंदूक लहराने वाला विडियो, कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीतिक तस्वीर दिखाता है

पीडीपी कार्यकर्ताओं का बंदूक लहराने वाला विडियो, कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीतिक तस्वीर दिखाता है

जम्मू-कश्मीर में यह धारणा बढ़ती जा रही हैं कि मुख्यधारा की पार्टियां तंगहाली में हैं - वे उग्रवादियों का महिमामंडन नहीं कर रही हैं, लेकिन उनकी निंदा भी नहीं कर रही हैं.

Text Size:

श्रीनगर: बडगाम की एक रैली में पीडीपी कार्यकर्ताओं द्वारा खिलौने वाली बंदूकें लहराने का एक विडियो सामने आया है. इसमें वे पार्टी के हरे रंग का झंडा लपेटे हुए दिखाई दे रहे हैं. इस वीडियो के आने के बाद कश्मीर में वर्तमान चुनाव के संदर्भ में मुख्यधारा में शामिल राजनीतिक दलों के कट्टरपंथीकरण पर एक नई बहस शुरू हो गई है.

जिन लोगों ने यहां ये वीडियो देखा है उनका कहना है कि पीडीपी कार्यकर्ता कश्मीरी आतंकवादियों के नक्शेकदम पर चल रहे थे. जिन्हें अक्सर विद्रोहियों के अंतिम संस्कार के जुलूसों में बंदूक लहराते देखा गया है.

दिप्रिंट से बात करने वाले कुछ पीडीपी के जानकार और राजनेताओं ने वीडियो को महज एक प्रदर्शन बताया, जोकि विद्रोहियों के लिए सहानुभूति का संकेत है जबकि अन्य इसे चुनाव से पहले सिर्फ एक राजनीतिक नौटंकी करार देते हैं.

बेशक, यहां जो लोग मानते हैं कि एक सार्वजनिक रैली में खिलौने वाली बंदूक लहराने वाली व्यक्ति की छवि काफी हद तक कश्मीर में मुख्यधारा की राजनीति के संकटग्रस्त राज्य की छवि को दर्शाता है.

बदलती शब्दावली

इस चुनाव में राजनीतिक अभियान विद्रोहियों को न तो बहुत उत्साहित करती है, न ही खुले तौर पर उनका विरोध करती है. यह भले हिंसा का महिमामंडन नहीं करता है लेकिन उग्रवादियों के विरोध में चल रहे अभियान में मारे जा रहे आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखता है.

मुख्यधारा की राजनीतिक करने वाली पार्टियों द्वारा जारी बयान और रैलियों में हो रही हलचल से संकेत मिलता है कि मुख्यधारा के राजनीतिक दल, जो राज्य में चुनावी राजनीति की वकालत करते हैं, इस दृष्टिकोण से सहज हैं.
हालांकि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के मीडिया सलाहकार सुहैल बुखारी ने कहा कि पीडीपी का रुख शुरू से ही स्पष्ट है. और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ गठबंधन करने के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं आया है.

बुखारी ने कहा, ‘हम जो कुछ भी कह रहे हैं, वह हमारे पहले कहे गए कथन से बिल्कुल अलग नहीं है. उदाहरण के तौर पर वो प्रारूप जिसके तहत हमने भाजपा के साथ गठबंधन किया था.

मार्च में अपने एक भाषण में, मुफ्ती ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ‘असली मुजाहिदीन (पवित्र योद्धा)’ के रूप में गुणगान किया था. नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) भी इस मामले में कोई कम नहीं है. एक वरिष्ठ नेकां नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व कानून मंत्री, अली सागर ने कहा कि यह उनकी पार्टी के कार्यकर्ता थे जो ‘असली मुजाहिदीन’ थे.

नेकां के प्रवक्ता इमरान डार ने बाद में इस बात का स्पष्टीकरण दिया कि सागर के शब्दों को कांटेक्स्ट के बाहर समझा गया. डार ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि मुख्यधारा की पार्टियों की ‘राजनीतिक भाषा’ में कोई बदलाव नहीं हुआ है, भले ही उनके नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर के लोगों को धमकी दे रहे हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि पिछले कुछ महीनों में स्थानीय दलों ज्यादा आक्रामक हो गए हैं, डार ने असहमति जताते हुए कहा, ‘अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जो आक्रामक हो गया है तो वह प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने अपनी सभी रैलियों में नेकां पर हमला किया है.’

मुख्य धारा की उपेक्षा

कश्मीर के राजनीतिक विशेषज्ञ, प्रोफेसर डॉ नूर अहमद बाबा ने कहा कि न केवल अलगाववादी राजनीति, बल्कि मुख्यधारा की राजनीति  भी हाशिए पर है, इससे पहले ऐसी घटनाएं घाटी में कभी नहीं देखी गई थीं.

बाबा ने कहा, ‘मुख्यधारा के राजनेताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मुहावरों के लिए जगह कम होती जा रही है. इससे पहले, स्व-शासन, स्वायत्तता और एक निश्चित प्रकार के राष्ट्रवाद पर चर्चा की गुंजाइश थी, जिसे भारतीय संविधान के भीतर समायोजित किया जा सकता था लेकिन वह सब खत्म हो गया है. यहां के मुख्यधारा के राजनेताओं द्वारा किया गया आसान और अंतिम उपाय है.’

भाजपा नेता और श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र के लिए लोकसभा उम्मीदवार खालिद जहांगीर का कहना है कि मुख्यधारा का स्थान घाटी में सिकुड़ गया है.

जहांगीर ने कहा, ‘सच्चाई यह है कि पीडीपी और नेकां दोनों के नेता लोगों के बीच जाने से डरते हैं. लोगों में बहुत गुस्सा है और पीडीपी और नेकां अभी भी इस तरह के बयान देकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. वे महसूस नहीं करते हैं कि कश्मीर के लोग इस तरह के बयानों से जुड़े नहीं हैं, वे रोटी, कपड़ा और मकान चाहते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments