चेन्नई: एक पॉजिटिव और एक दयालु व्यक्ति, जो अपनी वर्दी के प्रति जुनूनी था- सी. विजयकुमार को चाहने वाले उन्हें इसी तरह से याद कर रहे हैं.
कोयंबटूर रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक विजयकुमार ने शुक्रवार को कोयंबटूर के रेस कोर्स स्थित कैंप कार्यालय में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. 2009 बैच के इस आईपीएस अधिकारी ने 6 जनवरी को कोयंबटूर के डीआईजी के रूप में पदभार संभाला था.
पुलिस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि विजयकुमार सुबह करीब 6:45 बजे मॉर्निंग वॉक से लौटे और उन्होंने अपने निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) से अपनी पिस्तौल देने को कहा. पांच मिनट बाद, उन्होंने कथित तौर पर अपने सिर में गोली मार ली.
कानून एवं व्यवस्था (एलएंडओ) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) ए अरुण ने कोयंबटूर में मीडिया को बताया कि विजयकुमार ओसीडी और अवसाद से पीड़ित थे और उनका इलाज चल रहा था.
उन्होंने कहा, “मैंने आज उनके डॉक्टर से बात की. उन्होंने चार दिन पहले अपने डॉक्टर से बात की थी और डॉक्टर ने उनकी दवाएं बदल दी थीं.” एडीजीपी ने यह भी स्पष्ट किया कि विजयकुमार की कथित आत्महत्या के पीछे कोई काम से संबंधित या परिवार से जुड़ा मुद्दा नहीं था और मामले की जांच जारी है.
हालांकि, विजयकुमार के दोस्तों और सहकर्मियों ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया कि वह अवसाद से ग्रस्त थे. उनके दोस्त और साथ काम करने वाले उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद करते हैं जिसने “तनाव को तनाव दिया” और हमेशा सहजता से काम किया.
इस बीच, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, जो गृह विभाग के मुखिया भी हैं, ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा, “पुलिस अधिकारी विजयकुमार की असामयिक मृत्यु की खबर सुनकर स्तब्ध और दुखी हूं. उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक सहित विभिन्न पदों पर अच्छी सेवा की है. उनका निधन एक दुखद घटना है. तमिलनाडु पुलिस विभाग इस नुकसान को पूरा नहीं कर सकता. उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं.”
हालांकि, राज्य में विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने अधिकारी की कथित आत्महत्या पर संदेह जताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है.
अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी ने ट्वीट कर कहा, “विजयकुमार, जो अपनी सुबह की सैर पर निकले थे, ने अपने अंगरक्षक की पिस्तौल ली और खुद को गोली मार ली. यह काफी संदेह पैदा कर रहा है. मैं सरकार से आत्महत्या की सीबीआई जांच कराने का आग्रह करता हूं.”
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के.अन्नामलाई ने भी कहा कि एक शीर्ष पुलिस अधिकारी की आत्महत्या को सरकार को हल्के में नहीं लेना चाहिए.
उन्होंने ट्वीट किया, “भाजपा की ओर से, मैं तमिलनाडु सरकार से अनुरोध करता हूं कि इस आत्महत्या की पृष्ठभूमि क्या है, इसकी गंभीरता से जांच करें और कार्रवाई करें.”
‘अपना जीवन पूरी तरह जीना चाहता था’
दिप्रिंट से बात करते हुए, विजयकुमार के बचपन के दोस्त सेंथिल कुमार ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि 47 वर्षीय पुलिस अधिकारी अपने जीवन से तंग था और इसको लिए किसी डॉक्टर से दिखा रहा था.
सेंथिल ने कहा, “वह बहुत दयालु थे. किसी भी जरूरतमंद की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि वे एक ही मंत्र के साथ जीवन जीते थे- आराम करो और आगे क्या होगा इसके बारे में सोचो.”
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री रखने वाले विजयकुमार को पुलिस में शामिल होने का शौक था.
47 वर्षीय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट पर आईपीएस अधिकारी बनने की अपनी यात्रा के बारे में बताया था. उन्होंने खुलासा किया था कि वह 1999 में ग्रुप IV तमिलनाडु लोक सेवा आयोग (टीएनपीएससी) परीक्षा में अपने पहले प्रयास में असफल रहे थे.
इसके बाद उन्होंने ग्रुप II टीएनपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की और 2000 में हिंदू धार्मिक धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग में ऑडिट इंस्पेक्टर के रूप में शामिल हो गए.
उन्होंने 2002 में ग्रुप I टीएनपीएससी परीक्षा भी पास की और पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) बन गए. लेकिन वह यहीं नहीं रुके. वह आईपीएस अधिकारी बनने की उम्मीद में छह साल तक संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा देते रहे.
विजयकुमार अंततः सिविल सेवा में अपने सातवें और आखिरी प्रयास में आईपीएस अधिकारी बन गए. अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “छह वर्ष मैंने डीएसपी के रूप में काम किया, मुझे इरोड, तिरुवल्लूर, सीबी-सीआईडी, चेन्नई आयुक्त कार्यालय, अवाडी सहित छह स्थानों पर ट्रांसफर किया गया. इसका कारण सिविल सेवा परीक्षा है.”
एम. करुणानिधि, एक सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक (एसपी), जो विजयकुमार को चेन्नई से जानते हैं जहां वह सहायक आयुक्त पुलिस (एसीपी) के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे, ने दिप्रिंट को बताया कि विजयकुमार एक “नरम, संवेदनशील और मददगार व्यक्ति थे.”
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करुणानिधि ने यह भी बताया कि एक आईपीएस अधिकारी बनाम तमिलनाडु पुलिस सेवा (टीपीएस) अधिकारी के साथ किए गए व्यवहार से विजयकुमार कैसे प्रभावित हुए.
उन्होंने कहा, “ऐसा कई बार होता है जब टीपीएस अधिकारियों को उतना महत्व नहीं दिया जाता है. विजयकुमार ने यही देखते हुए आईपीएस क्रैक किया. हालांकि, उन्होंने कभी भी अपने आईपीएस रैंक का दिखावा नहीं किया.”
विजयकुमार की पॉजिटिविटी का अंदाजा उनके उसी पोस्ट से भी लगाया जा सकता है जो उन्होंने आईपीएस परीक्षा पास करने के बाद लिखा था. इसमें उन्होंने लिखा, “हमारे लिए यह काफी है. कभी समझौता न करें. भागते रहें. सफलता आपका पीछा करेगी!”
कोमल हृदय वाला एक फिटनेस प्रेमी
पूर्व डीजीपी डॉ. एम. रवि ने विजयकुमार को “फिटनेस प्रेमी और बॉडीबिल्डर” बताया. उन्होंने कहा कि जब विजयकुमार 2005 से 2007 तक संयुक्त पुलिस आयुक्त थे, तब वे सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए उनका मार्गदर्शन लेते थे.
रवि कहते हैं, “विजयकुमार एक मेहनती, ईमानदार और स्पष्टवादी अधिकारी थे. वह पुलिस बल के प्रति बहुत भावुक थे. वह कभी भी तनावग्रस्त नहीं हुए और उनका रवैया ऐसा था कि वह तनाव को तनाव देंगे.”
20 वर्षों से अधिक की पुलिस सेवा में, जिनमें से 14 वर्ष एक आईपीएस अधिकारी के रूप में, विजयकुमार केवल तमिलनाडु के लोगों की सेवा पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे.
विजयकुमार ने फेसबुक पोस्ट में कहा था, “मुख्यमंत्री से विशेष अनुमति मिलने के बाद, मैं प्रशिक्षण के लिए एक साल की छुट्टी पर चला गया. अगर मुझे तमिलनाडु में तैनात नहीं किया जाता, तो मैं आईपीएस पोस्टिंग छोड़ने और डीएसपी के रूप में फिर से शामिल होने के लिए तैयार था.”
उनके सहयोगियों के अनुसार, विजयकुमार एक “लोगों के लिए काम करने वाले अधिकारी” थे जो अपने अंदर काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रति बहुत उदार थे.
रवि ने कहा, “वह किसी भी बात को लेकर किसी को सजा नहीं देते थे. वह ऐसे व्यक्ति थे जो खुद को सुधारने का अवसर देते थे.”
आईपीएस अधिकारी बनने के बाद अपने कार्यकाल के दौरान, विजयकुमार ने कांचीपुरम, कुड्डालोर, नागापट्टिनम और तिरुवरुर जिलों में पुलिस अधीक्षक और बाद में चेन्नई के अन्ना नगर के डीसीपी के रूप में अपनी सेवाएं दी.
उन्होंने जिन हाई-प्रोफाइल मामलों को संभाला है उनमें तूतीकोरिन सथानकुलम पिता-पुत्र की हिरासत में यातना से मौत का मामला शामिल है. जब वह एसपी (सीबी-सीआईडी) थे तब वह मामले में जांच अधिकारी थे. विजयकुमार ने मामले की जांच के लिए 12 स्पेशल टीमों का नेतृत्व किया था और मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ में अंतिम रिपोर्ट (चार्जशीट) दायर की थी.
वह कुड्डालोर और नागापट्टिनम में बाढ़ के दौरान भी सक्रिय थे और उनके सोशल मीडिया पेज जिलों में पुनर्वास कार्य के लिए उनके और उनकी टीम द्वारा किए गए काम के बारे में बताते हैं.
(संपादन: ऋषभ राज)
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