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Wednesday, 20 November, 2024
होमराजनीतिअब, कुलदीप बिश्नोई ने JJP के साथ गठबंधन में बाधा बनी लोकसभा सीट हिसार से BJP का टिकट मांगा है

अब, कुलदीप बिश्नोई ने JJP के साथ गठबंधन में बाधा बनी लोकसभा सीट हिसार से BJP का टिकट मांगा है

हिसार का प्रतिनिधित्व वर्तमान में भाजपा के बृजेंद्र सिंह कर रहे हैं, जिन्होंने 2019 में जेजेपी के दुष्यंत चौटाला और फिर कांग्रेस के साथ रहे कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य को हराकर सीट जीती थी.

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चंडीगढ़: हरियाणा के वरिष्ठ राजनेता कुलदीप बिश्नोई, जो अगस्त 2022 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए, ने शुक्रवार को अगले साल के चुनाव में हिसार संसदीय सीट से नामांकन के लिए अपनी किस्मत आजमाई.

अपने परिवार के गढ़ आदमपुर के गांवों के दौरे के दौरान, जिसका प्रतिनिधित्व उनके बेटे भव्य बिश्नोई कर रहे थे, बिश्नोई ने घोषणा की कि अगर पार्टी अनुमति देती है तो वह हिसार से चुनाव लड़ेंगे – जिसका आदमपुर एक हिस्सा है.

हिसार का प्रतिनिधित्व वर्तमान में भाजपा के बृजेंद्र सिंह कर रहे हैं, जिन्होंने 2019 में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दुष्यंत चौटाला और कांग्रेस के भव्य बिश्नोई को हराकर सीट जीती थी.

अब, जेजेपी भाजपा के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, हालांकि 2024 के लिए गठबंधन को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है. गठबंधन की बातचीत में बाधा डालने वाले प्रमुख कारकों में हिसार एक माना जाता है .

बृजेंद्र सिंह और उनके पिता, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने हिसार के साथ-साथ बीरेंद्र सिंह की पारंपरिक विधानसभा सीट, उचाना कलां (जिसे दुष्यंत ने बीरेंद्र सिंह की पत्नी पूर्व विधायक प्रेमलता को 2019 में हराकर जीता था) पर दुष्यंत के दावे के कारण भाजपा-जेजेपी गठबंधन जारी रखने का विरोध किया है.

ये तीनों प्रमुख राजनीतिक परिवारों से आते हैं और हिसार का मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है.
दिप्रिंट द्वारा उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने पर, बिश्नोई ने हिसार से 2024 का संसदीय चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जाहिर की है.

उन्होंने कहा, “हिसार संसदीय सीट मेरे परिवार के लिए विशेष है क्योंकि हमारा पारंपरिक आदमपुर विधानसभा क्षेत्र 2009 के आम चुनावों के बाद से इसका हिस्सा है, परिसीमन एक्सरसाइज के बाद यह पहला चुनाव है.”

बिश्नोई ने कहा, परिसीमन के बाद हिसार संसदीय सीट के लिए हुए चार चुनावों (2009, 2011 उपचुनाव, 2014 और 2019) में से, मेरे परिवार के सदस्यों ने सभी चुनाव लड़े और दो बार जीते – मेरे पिता (हरियाणा के पूर्व सीएम) चौधरी भजन लाल 2009 में जीते और मैं जीता. 2011 में उनकी मृत्यु के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा. परिसीमन से पहले, हमारा आदमपुर निर्वाचन क्षेत्र भिवानी संसदीय सीट का हिस्सा था और मैंने 2004 में वह भी जीता था.”

बिश्नोई ने कहा कि चौधरी भजन लाल के समय से ही हिसार के लोग उनके परिवार के सदस्यों की तरह रहे हैं और “वे चाहते हैं कि मैं इस सीट से चुनाव लड़ूं.”

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह पूरी तरह से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर है. बिश्नोई ने कहा, ”मौका मिला तो मैं यह सीट भारी अंतर से जीतूंगा.”

बिश्नोई की घोषणा 28 जून को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी मुलाकात के ठीक बाद आई है, जहां उन्होंने बिश्नोई समुदाय के लिए ओबीसी दर्जे की मांग करते हुए एक पत्र सौंपा था.

बिश्नोई द्वारा पोस्ट किए गए एक ट्वीट के अनुसार, दोनों के बीच हरियाणा और राजस्थान पर “विस्तृत चर्चा” हुई, जहां दोनों चुनाव होने वाले हैं.

राजस्थान विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने हैं और कहा जा रहा है कि बिश्नोई समुदाय राज्य की 200 सीटों में से 20 से 22 सीटों को प्रभावित करता है.

बिश्नोई समुदाय का सबसे पवित्र मंदिर मुकाम भी राजस्थान के बीकानेर-जोधपुर राजमार्ग के किनारे स्थित है. भजन लाल को हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में बिश्नोई समुदाय का सबसे सम्मानित नेता माना जाता है. कुलदीप बिश्नोई अपने पिता की मृत्यु के बाद से ‘अखिल भारतीय बिश्नोई सभा’ के संरक्षक हैं.

भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा द्वारा शुक्रवार को की गई संगठनात्मक नियुक्तियों में, पार्टी ने राजस्थान चुनाव के लिए बिश्नोई को ‘सह-प्रभारी’ के रूप में नामित किया. प्रह्लाद जोशी को ‘प्रभारी’ और नितिन पटेल को दूसरे ‘सहप्रभारी’ का नाम दिया गया.

बिश्नोई ने बाद में एक ट्वीट में पीएम मोदी, शाह और नड्डा को धन्यवाद दिया.

राजनीतिक दिग्गजों के परिवार

हिसार सीट से 2019 के तीन उम्मीदवार – बृजेंद्र सिंह, दुष्यंत चौटाला और भव्य बिश्नोई – सभी प्रमुख राजनीतिक परिवारों से आते हैं.

बृजेंद्र सिंह, जिन्होंने 2019 का चुनाव लड़ने के लिए आईएएस से इस्तीफा दे दिया, चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं, जो आजादी से पहले के नेता छोटू राम के पोते हैं, जिन्हें आज तक का सबसे बड़ा जाट नेता माना जाता है.
बीरेंद्र सिंह हरियाणा के साथ-साथ केंद्र में भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं.

हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पूर्व डिप्टी पीएम चौधरी देवीलाल के परपोते हैं, जो हरियाणा के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक हैं. देवीलाल 1977 और 1987 में हरियाणा के सीएम बने और 1989 में डिप्टी पीएम बने. शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी ठहराए गए उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला भी पूर्व सीएम रहे हैं.

कुलदीप बिश्नोई के पिता भजन लाल 1979 से 1985 तक और फिर 1991 से 1996 तक हरियाणा के सीएम रहे. भजन लाल ने 1968 में पहली बार आदमपुर विधानसभा सीट जीती और तब से परिवार ने अब तक के सभी 13 चुनावों में लगातार इस निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की है.

भजन लाल ने 1968 से 2000 तक लगातार सात चुनाव जीते. कुलदीप बिश्नोई ने 2005, 2009, 2014 और 2019 में चार बार जीत हासिल की, उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई ने 2012 के उपचुनाव में सीट जीतीं, जबकि बिश्नोई के बेटे भव्य ने 2022 के उपचुनाव में जीत हासिल की. बिश्नोई द्वारा कांग्रेस छोड़ने से पहले सीट खाली करने के बाद आयोजित किया गया.

बिश्नोई का पिछला गठबंधन BJP से था

जब हरियाणा में 2005 के विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस ने भजन लाल के दावे को नजर अंदाज करते हुए भूपिंदर सिंह हुड्डा को सीएम नामित किया, तो बिश्नोई ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और अपने पिता के साथ हरियाणा जनहित कांग्रेस (एचजेसी) बना ली. यह तब हुआ जब उनके बड़े भाई चंद्रमोहन हुड्डा कैबिनेट में डिप्टी सीएम थे.

2009 के विधानसभा चुनावों में, उनकी पार्टी ने छह सीटें जीतीं, लेकिन पांच उम्मीदवार हुडा सरकार को समर्थन देने के लिए कांग्रेस में शामिल हो गए. 2014 के चुनावों से पहले, भाजपा ने हजकां के साथ गठबंधन किया था और बिश्नोई गठबंधन के लिए सीएम चेहरा थे. हालांकि, 2014 के संसदीय चुनावों में HJC एक भी सीट जीतने में विफल रहने के बाद गठबंधन समाप्त हो गया.

बिश्नोई और रेणुका एचजेसी के दो विधायक थे जो 2014 में जीते थे. हालांकि, बिश्नोई ने 2016 में अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया.

(अनुवाद: पूजा मेहरोत्रा)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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