नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पहले तीन कक्षों में तीन जुलाई से कुछ बदलाव होने जा रहे हैं. नई तकनीक और सॉफ्टवेयर से सुसज्जित, तीन कक्ष सोमवार से कागज़ रहित अदालतों के रूप में काम करेंगे, जब शीर्ष अदालत 45 दिनों की ग्रीष्मकालीन छुट्टी के बाद सुनवाई फिर से शुरू करेगी.
कोर्ट रूम 1 की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ करते हैं, कोर्ट रूम 2 का नेतृत्व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और कोर्ट रूम 3 का नेतृत्व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना करते हैं.
सोमवार को जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ पीठ का गठन करेंगे, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया न्यायमूर्ति कौल के साथ और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी न्यायमूर्ति खन्ना के साथ बैठेंगे.
इनमें से किसी भी अदालत कक्ष में पीठासीन न्यायाधीश फिजिकल फाइलों को नहीं देखेंगे. उनमें से प्रत्येक या तो अपने लैपटॉप या आईपैड पर काम करेगा जिसमें उनके सामने सूचीबद्ध सभी मामलों की डिजिटल जानकारी होंगी.
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “आमतौर पर सभी न्यायाधीशों के लिए फिजिकल केस फाइलें तैयार की जाती हैं और फिर उन्हें हर दिन सुबह संबंधित अदालत कक्ष में भेजा जाता है. हालांकि, सोमवार से, इन तीन अदालत कक्षों में कोई भी फिजिकल फाइल नहीं भेजी जाएगी और उनमें बैठने वाले न्यायाधीशों को मामले की फाइलों को डिजिटल रूप से पढ़ना होगा.”
सूत्रों के मुताबिक, यह सीजेआई चंद्रचूड़ का प्रस्ताव था कि पहले इन तीन कोर्ट रूम को पेपरलेस किया जाए और फिर धीरे-धीरे इसे दूसरों तक बढ़ाया जाए. यह दूसरी बार है जब अदालत ने पेपरलेस होने की महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है.
मार्च 2017 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे.एस. के खेहर ने डिजिटल होने की प्रक्रिया शुरू की थी. पूर्व सीजेआई खेहर ने 200 दिनों में शीर्ष अदालत को पेपरलेस बनाने की कल्पना की थी, यह देखते हुए कि भारी मामलों की फाइलों के लिए बहुत अधिक भंडारण स्थान की आवश्यकता होती है, जिसके लिए संस्थान को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.
हालांकि, तकनीकी खामियों के कारण परियोजना को बीच में ही रोक दिया गया था.
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न्यायाधीशों की लाइब्रेरी
इन तीन अदालत कक्षों में देखा गया एक और बड़ा बदलाव उन अलमारियों की अनुपस्थिति है, जिनमें कभी न्यायाधीशों के लिए किताबें रखी जाती थीं. ये अलमारियां न्यायाधीशों के लाइब्रेरी का विस्तार थीं.
जब भी वकील अपने मामलों पर बहस करते समय उद्धरण या संदर्भ देते थे तो उनमें रखी किताबें बाहर निकाल ली जाती थीं. मैनुअल कहे जाने वाली ये किताबें सुप्रीम कोर्ट के पिछले महत्वपूर्ण फैसलों का रिकॉर्ड हैं, जिन्हें कानूनी बिरादरी द्वारा अपने मामलों के समर्थन में उद्धृत किया जाता है.
लेकिन ये सब अब इतिहास होगा. एक नए लाइब्रेरी सॉफ्टवेयर के साथ, ये उद्धरण या केस संदर्भ नई डिस्प्ले स्क्रीन पर फ्लैश होंगे जो इन कोर्ट हॉल में बैठे न्यायाधीशों के लिए स्थापित किए गए हैं.
इसे समझाते हुए, उक्त अधिकारी ने कहा, “प्रत्येक मामले में वकीलों द्वारा उद्धरणों या पहले के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की एक सूची प्रस्तुत की जाती है. इन्हें केस लॉ भी कहा जाता है, इन फैसलों को अधिवक्ताओं द्वारा अपने मामलों के समर्थन में संदर्भित किया जाता है. यह सूची प्रत्येक अदालत कक्ष में नियुक्त लाइब्रेरी के व्यक्ति को सुबह 10:30 बजे प्रदान की जाती है ताकि न्यायाधीशों के लिए किताबें तैयार रखी जा सकें.”
हालांकि, नए लाइब्रेरी सॉफ्टवेयर के साथ, यह प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक हो जाएगी. अधिकारी ने कहा कि अधिवक्ताओं को अब ऐसे उद्धरणों की सूची इलेक्ट्रॉनिक रूप से जमा करनी होगी, यानी एक दिन पहले. इसके बाद अदालत कक्ष में लाइब्रेरी के व्यक्ति को न्यायाधीशों के लिए स्थापित नई डिस्प्ले स्क्रीन पर मामले के कानूनों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से फीड करने में सक्षम बनाया जाएगा.
इसी प्रकार, ये फैसले वकीलों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से डिस्प्ले स्क्रीन पर भी प्रदर्शित किए जाएंगे जो उनके लिए उस तरफ लगाए गए हैं जहां से वे खड़े होकर बहस करते हैं.
हालांकि, इन अदालतों में न्यायाधीश डिजिटल मोड में काम करेंगे, लेकिन उनके सामने पेश होने वाले वकील अपनी पसंद के अनुसार विकल्प चुन सकते हैं.
एक अन्य अधिकारी ने कहा, “फिलहाल हम अधिवक्ताओं पर कोई निर्देश नहीं थोप रहे हैं. वे विकल्प चुनने के लिए स्वतंत्र हैं. यदि वे फिजिकल फाइलें ले जाना चाहते हैं, तो वे ले जा सकते हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से डिजिटल मोड में काम को प्रोत्साहित करेंगे.”
भले ही शीर्ष अदालत ने मामलों की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग की शुरुआत की है, वकील फिजिकल तरीके से फाइलों का काम करना जारी रखे हुए हैं. इसलिए, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री मामलों और नए दस्तावेज़ की ई-फाइलिंग को बढ़ावा देने के लिए वकीलों के साथ-साथ उनके क्लर्कों को भी ट्रेनिंग देने की नई कवायद करेगी.
अधिकारी ने कहा, “चाहे वह फिजिकल फाइलिंग हो या ई-फाइलिंग, हम सभी मामले के कागज़ात को डिजिटल बनाते हैं ताकि उन्हें इस तरह से प्रारूपित किया जा सके जो न्यायाधीशों के लिए सुलभ हो और वकीलों द्वारा हमें दिए गए पृष्ठांकन से मेल खाए. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि न्यायाधीश और वकील की फाइल के बीच पृष्ठों की संख्या में कोई विसंगति या अंतर न हो.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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