नई दिल्ली: मोदी सरकार पूरे भारत में ग्रामीण सड़क कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दे रही है, लेकिन प्रगति धीमी रही है.
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की प्रगति रिपोर्ट के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित सात राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, पिछले वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों में ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए प्रमुख प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत अपने लक्ष्य का 20 प्रतिशत भी हासिल करने में विफल रहे.
अन्य सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में केरल, झारखंड, नागालैंड और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह थे. दूसरा कम प्रदर्शन करने वाला राज्य छत्तीसगढ़ था, जो अप्रैल-दिसंबर 2022 की अवधि के लिए अपने लक्ष्य का ठीक 20 प्रतिशत तक पहुंच गया.
इस वर्ष अप्रैल में जारी MoSPI की बीस सूत्रीय कार्यक्रम-2006 की प्रगति रिपोर्ट में 80 प्रतिशत से कम लक्ष्य पूरा करने वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की प्रगति को “खराब” के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
कुल मिलाकर, 24 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस श्रेणी में आए, जिनमें गुजरात, असम, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे कई राज्य शामिल हैं जहां भाजपा सत्ता में है या सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है.
इसके विपरीत, रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश और ओडिशा की प्रगति को “बहुत अच्छा” आंका गया, इन राज्यों ने निर्धारित लक्ष्य का क्रमशः 93 प्रतिशत और 90 प्रतिशत पूरा किया. लद्दाख में भी सकारात्मक परिणाम दिखे, इस दौरान स्वीकृत कार्य का 84 प्रतिशत पूरा किया गया.
इन कुछ उज्ज्वल बिंदुओं के बावजूद, रिपोर्ट में पीएमजीएसवाई की समग्र प्रगति को “खराब” करार दिया गया है. अप्रैल और दिसंबर 2022 के बीच टारगेट का केवल 53 प्रतिशत हासिल किया गया, ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 18,808 किमी लंबी सड़क का निर्माण किया गया, जो इस अवधि के लिए निर्धारित लक्ष्य 35,385 किमी से कम है. पिछले वित्तीय वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण का वार्षिक लक्ष्य 47,171 किमी निर्धारित किया गया था.
ग्रामीण विकास मंत्रालय, जिसके तहत पीएमजीएसवाई आती है, के एक प्रवक्ता द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2022-23 में 29,753 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया गया, जो लक्ष्य का 63 प्रतिशत है.
प्रवक्ता ने कहा कि 2014 से इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 3.53 लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है.
मंत्रालय ने अभी तक अधूरे लक्ष्य और देरी के कारणों के बारे में दिप्रिंट के सवालों का जवाब नहीं दिया है. प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
धीमी प्रगति वाले राज्य
MoSPI रिपोर्ट से पता चलता है कि कई राज्यों ने अप्रैल-दिसंबर 2022 में अपने लक्ष्य का 20 प्रतिशत या उससे कम हासिल किया.
इन संघर्षों के बीच, चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ ने अपने लक्ष्य का 20 प्रतिशत हासिल कर लिया, वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों में 2,157 किलोमीटर के लक्ष्य में से 431 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया.
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इस अवधि में अपने लक्ष्य का 20 प्रतिशत से कम हासिल करने वाले अन्य राज्य थे नागालैंड (19 प्रतिशत), झारखंड (18 प्रतिशत), केरल (17 प्रतिशत), और फिर, अंतिम दो स्थानों पर, महाराष्ट्र (15 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (12 प्रतिशत). केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने अपने लक्ष्य का 8 प्रतिशत पूरा किया.
पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के मामले में, अप्रैल और दिसंबर 2022 के बीच क्रमशः 1,200 किमी और 1,500 किमी ग्रामीण सड़कें बनाने का लक्ष्य था.
हालांकि, रिपोर्ट से पता चलता है कि उस अवधि के दौरान पश्चिम बंगाल में केवल 112 किमी और महाराष्ट्र में 228 किमी सड़क बनाई गई थी.
पीएमजीएसवाई की ऑनलाइन निगरानी के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में पश्चिम बंगाल में 1,770 किमी ग्रामीण सड़कों में से केवल 464 किमी का निर्माण किया गया था.
महाराष्ट्र के लिए, वित्त वर्ष 2022-23 में 2,000 किमी सड़कों में से 1,132 किमी का निर्माण किया गया.
काम की धीमी गति का कारण बताते हुए, महाराष्ट्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मानसून के लंबे समय तक प्रगति में बाधा डालने की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, “अप्रैल से दिसंबर 2022 में जून से सितंबर तक मानसून का मौसम शामिल है, जो महाराष्ट्र में 2022 में अक्टूबर तक बढ़ गया. लंबे समय तक मानसून के कारण कार्य की प्रगति बरकरार नहीं रखी जा सकी.”
उन्होंने कहा, “चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में, लक्ष्य 1,770 किमी निर्धारित किया गया है, और अब तक 465 किमी पूरा किया जा चुका है. राज्य ने दिए गए लक्ष्य को हासिल करने की योजना बनाई है,”
अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि 2,565 किमी की कुल लंबाई वाली 816 सड़कों और 17 पुलों पर काम चल रहा है. इसके अलावा, उन्होंने कहा, राज्य को 2,559 किलोमीटर की लंबाई वाली अन्य 413 सड़कों के निर्माण की मंजूरी मिली है, जो वर्तमान में निविदा चरण (Tendering Stage) में है.
अधिकारी ने कहा, ”ये काम जुलाई 2023 में दिए जाएंगे और जल्द ही शुरू किए जाएंगे.”
‘सामाजिक और आर्थिक विकास का माध्यम’
दिसंबर 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तहत शुरू की गई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एक महत्वपूर्ण योजना है जिसका उद्देश्य मैदानी इलाकों में 500 या उससे अधिक और पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्य, रेगिस्तानी क्षेत्र, आदिवासी क्षेत्र और अन्य सुदूर क्षेत्र में 250 या उससे अधिक की आबादी वाली ग्रामीण बस्तियों को कनेक्टिविटी प्रदान करने में राज्यों की सहायता करना है.
अपनी स्थापना के बाद से, इस योजना में नए सिरे से पुनरावृत्ति और इसके दायरे का विस्तार देखा गया है
2013 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने पीएमजीएसवाई-द्वितीय लॉन्च किया क्योंकि मौजूदा ग्रामीण सड़क नेटवर्क के एक साथ लाने की आवश्यकता महसूस की गई थी ताकि इस मार्च में संसद में पेश की गई ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर स्थायी समिति की एक रिपोर्ट के शब्दों में कहें तो, “न केवल परिवहन सेवाओं के प्रदाता के रूप में, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के साधन के रूप में भी इसकी दक्षता में सुधार हो सके.”
यह पहल विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चयनित मार्गों और प्रमुख ग्रामीण संपर्कों (एमआरएल) को एकजुट करने और उसे अपग्रेड करने पर केंद्रित है, जिसमें 50,000 किलोमीटर सड़कों को अपग्रेड करने का लक्ष्य है, जैसा कि 2023-24 की अनुदान रिपोर्ट की मांग में बताया गया है.
फिर, 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तहत, पीएमजीएसवाई-III की शुरुआत की गई, जिसमें 1,25,000 किमी के मार्गों और प्रमुख ग्रामीण संपर्कों के समेकन पर जोर दिया गया. इन अपग्रेडेड सड़कों का उद्देश्य बस्तियों को ग्रामीण कृषि बाजार (ग्राम), उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और अस्पतालों जैसी आवश्यक सुविधाओं से जोड़ना है.
नक्सली इलाकों में सड़क संपर्क
2016 में, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क कनेक्टिविटी परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूईए) को पीएमजीएसवाई के तहत एक अलग वर्टिकल के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसमें 100 या अधिक की आबादी वाली बस्तियों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण और अपग्रेडेशन पर ध्यान केंद्रित किया गया था.
आरसीपीएलडब्ल्यूईए के तहत नौ राज्यों, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में लगभग 12,100 किलोमीटर लंबी सड़क को मंजूरी दी गई है.
इस साल 28 मार्च को लोकसभा में एक प्रश्न पर ग्रामीण विकास मंत्रालय के जवाब के अनुसार, आरसीपीएलडब्ल्यूईए के तहत कुल 7,177 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया था – जो कि टारगेट का लगभग 59 प्रतिशत था.
इस मार्च में एक अन्य लोकसभा प्रश्न के उत्तर में, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने संसद को बताया कि वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों के भीतर 100-249 जनसंख्या श्रेणी में स्वीकृत कुल 6,253 बस्तियों में से 5,999 बस्तियों को 7 मार्च 2022 तक पहले ही जोड़ा जा चुका है.
केवल 254 बस्तियों को अभी तक जोड़ा जाना बाकी है, जो दर्शाता है कि वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों के भीतर 100-249 जनसंख्या श्रेणी में 96 प्रतिशत बस्तियों को कनेक्टिविटी प्रदान की गई है.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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