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Friday, 22 November, 2024
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बीफ विवाद: भीड़ द्वारा पीटे गए मुस्लिम शख्स ने कहा, ‘हमें रातभर लॉकअप में रखा गया’

असम पुलिस ने दावा किया कि अली को पुलिस स्टेशन केवल 'सुरक्षा कारणों' से लाया गया था. उसे लॉकअप में बंद नहीं किया गया.

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नई दिल्ली: असम के बिस्वनाथ चाराली में पिछले सप्ताह कथित रूप से बीफ बेचने के कारण भीड़ द्वारा हिंसा का शिकार हुए मुस्लिम शख्स ने कहा कि उस रात उसे अस्पताल ले जाने की बजाय पूरी रात लॉकअप में रखा गया.

दिप्रिंट से फोन पर बातचीत में शौकत अली और उसके परिवार वालों ने कहा कि उसे घटना के करीब 17 घंटे बाद यानी अगले दिन अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस बीच उसे पुलिस लॉकअप में रखा गया था. हालांकि, पुलिस ने कहा कि अली को स्टेशन के पास केवल सुरक्षा कारणों से पकड़ा गया था. उसे लॉकअप में बंद नहीं किया गया.

7 अप्रैल को बिस्वनाथ चाराली इलाके के नागरिक अली को एक भीड़ ने केवल इसलिए हमला कर दिया. क्योंकि वो कथित रूप से बीफ बेच रहा था. भीड़ ने कथित रूप से उसे पोर्क खाने के लिए मजबूर किया. जिसे इस्लाम के अनुयायियों द्वारा हराम माना जाता है. यही नहीं उसकी राष्ट्रीयता पर भी सवाल खड़े किए गए और उससे पूछा गया कि क्या वो बांग्लादेशी है या क्या उसका नाम राष्ट्रीय रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) में शामिल है. उस हमले का एक विडियो वायरल हुआ है और पुलिस ने चार संदिग्ध हमलावरों को गिरफ्तार किया है.

पीड़ितों ने क्या दावा किया है

अली के अनुसार शाम चार बजे हमला हुआ था. उसने दिप्रिंट को बताया, ‘जब ये घटना हुई थी तब लोग मुझे बुरी तरह से पीट रहे थे. सीआरपीएफ के सुरक्षा बलों ने बीच में रोका और मुझे पुलिस स्टेशन ले गए.’

‘उसके बाद उन्होंने कुछ कागजी काम किया और मुझे मेडिकल परीक्षण के लिए ले गए. उसके बाद वे मुझे स्टेशन ले आए और पूरी रात मुझे लॉकअप में रखा. मेरे साथ लॉकअप में एक-दो लोग और भी थे. मैं बहुत बुरी तरह घायल था, इसलिए मुझे कुछ याद नहीं.’ अली ने दिप्रिंट से कहा, ‘इसके बाद अगले दिन सुबह 11 बजे उन्होंने मुझे जाने दिया और तब जाकर मैं अस्पताल में भर्ती हो पाया.’ उसके परिवार वालों ने पुलिस से गुजारिश की थी कि उसे जल्द से जल्द छोड़ दें, लेकिन उसे जाने नहीं दिया गया.

अली के भाई अब्दुल रहमान ने कहा, ‘हम पुलिस स्टेशन गए. मेडिकल परीक्षण के बाद अस्पताल ले जाने की जगह हमें लॉकअप में ले जाया गया.’ उसने आगे कहा, ‘हमने पुलिस से गुजारिश की कि हमें जाने दें लेकिन उन्होंने हमारी एक न सुनी.’ रहमान ने कहा, ‘हर किसी ने केवल यह पूछा कि हमले के बाद क्या हुआ. लेकिन किसी ने यह नहीं पूछा कि पुलिस स्टेशन में क्या हुआ. इसलिए हमने उस पर बात नहीं की.’

अली को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में ले जाने से पहले, बिस्वनाथ चाराली में इलाज कराया गया था. जहां उन्होंने कुछ दिन बिताए थे. वह अब अपने गृहनगर में वापस आ गए हैं. लेकिन उनका कहना है कि वो ‘बहुत दर्द में है और उन्हें कान की चोट के कारण बात करने में दिक्कत हो रही है.’

परिवार का कहना है कि जब वे इस मामले में प्रगति से संतुष्ट हैं. हालांकि वे अली को मिले प्रारंभिक उपचार को लेकर नाराज हैं. वे कहते हैं, ‘वीडियो क्लिप के वायरल होने के बाद ही उसे छोड़ दिया गया.’

अली के चचेरे भाई फहाद-उर-रहमान ने कहा, ‘अब पुलिस अच्छा काम कर रही है. उन्होंने गिरफ्तारी भी की है. लेकिन, उन्होंने उसे तुरंत चिकित्सा देने के बजाय पूरी रात उसे बंद क्यों रखा’? उसने कोई अपराध नहीं किया.

उन्होंने बताया कि उसने हमला करने वाले कुछ लड़कों को भी देखा. जब वह हिरासत में था तब वे लड़के पुलिस से बात करने के लिए स्टेशन भी आए थे.

वे आगे कहते हैं, ‘लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय, यह शौकत अली था जिसे लॉक-अप के अंदर रखा गया. उन्हें अगली सुबह लगभग 11 बजे रिहा किया गया. जब क्लिप के वायरल होने के बाद ही पुलिस को लगा कि शायद यह एक बड़ा मुद्दा है.’

पुलिस ने कहा, ‘आरोप बेबुनियाद है’

पुलिस ने अली के परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों को ‘पूरी तरीके से बेबुनियाद’ बताया है.

दिप्रिंट से फोन पर बातचीत करते हुए बिस्वनाथ चाराली के एसपी ने कहा, ‘हम उसे स्टेशन लाए थे और रात भर केवल सुरक्षा कारणों के कारण रखा गया था.’ उन्होंने आगे कहा, ‘उसके घर के बाहर भीड़ खड़ी थी और उसका बाहर जाना सुरक्षित नहीं था.’ हालांकि, अली के परिवार ने इस तथ्य पर सवाल उठाए हैं. अगर उन्हें केवल सुरक्षा के कारण स्टेशन ले जाया गया होता तो उन्हें तुरंत अस्पताल में एडमिट कराकर सुरक्षा प्रदान करानी चाहिए थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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