नई दिल्ली: केदारनाथ धाम मंदिर के गर्भगृह में सोना चढ़ाने को लेकर चल रहे विवाद में उत्तराखंड के पूर्व मंत्री और कांग्रेस अनुशासन समिति के अध्यक्ष नवप्रभात ने कहा कि जो जानकारी सामने आ रही है, वह मंदिर को दान में मिले सोने की मात्रा की जांच कराने की ओर इशारा कर रही है.
नवप्रभात ने कहा, ”केदारनाथ में एक दानकर्ता द्वारा सोना दान करने को लेकर कुछ चर्चाएं उठी हैं और लोगों द्वारा संदेह व्यक्त किया जा रहा है. मैंने कुछ ऐसे लोगों से भी बात की है जो इस प्रबंधन समिति से जुड़े रहे हैं और इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.”
पूर्व मंत्री ने कहा कि सभी धर्मों में परंपरा रही है कि लोग मंदिरों में पैसा दान करते हैं और उसी से पूजा स्थल बनते हैं, लेकिन यहां सवाल यह है कि हमारी बद्रीनाथ-केदारनाथ प्रबंधन समिति इसे स्पष्ट क्यों नहीं कर रही है.
उन्होंने कहा कि दान में कितना सोना मिला, साथ ही तांबे में सोना क्यों मिलाया गया, ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि एक सवाल यह भी उठता है कि जो चांदी का पत्ता वहां लगा था, उसमें पैसा किसके खाते में जमा हुआ था.
उन्होंने बताया कि सिर्फ केदारनाथ ही नहीं बल्कि बद्रीनाथ में भी ऐसा होने की जानकारी मिल रही है. ये सभी संदेह जांच कराने की ओर इशारा कर रहे हैं.
पूर्व मंत्री नवप्रभात ने कहा कि चारों धामों में जो काम हो रहा है वह सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की देखरेख में हो रहा है, यहां तक कि यहां एक ऐसे अधिकारी की नियुक्ति की गई है जो पहले भी प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े रहे हैं.
उन्होंने कहा, “ऐसे में यह और भी जरूरी हो जाता है कि उस प्रकरण की सही जानकारी लोगों तक पहुंचे. चारों धामों से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है, इसलिए प्राप्त दान और सारी संपत्ति का स्पष्ट हिसाब-किताब लोगों के सामने आना चाहिए, जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों.”
इसके साथ ही पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से जो कुछ भी सामने आ रहा है, उससे लगता है कि कहीं न कहीं कोई घोटाला है, अगर जांच होगी तो सामने आ जाएगा कि वह दान में घोटाला कर रहे हैं या इनकम टैक्स में. इन मंदिरों की आड़ में सर्टिफिकेट हासिल किए जा रहे हैं, इसलिए इनकी जांच करना बहुत जरूरी है.
इससे पहले 19 जून को श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा था कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की जलेरी पर सोने की परत चढ़ाई गई है और इसके ऊपर एक पारदर्शी ऐक्रेलिक परत भी लगाई गई है ताकि सोना क्षतिग्रस्त न हो.
बीकेटीसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन दावों का खंडन किया कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की सोने की परत पीतल की है. उन्होंने ऐसी रिपोर्टों को “साजिश” करार दिया था.
अजय ने कहा था कि मंदिर के गर्भगृह की सोने की परत एक दानदाता द्वारा कराई गई थी. समिति ने कहा कि दानदाता ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को सोने से मढ़ने की इच्छा व्यक्त की थी और दानदाता की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रस्ताव की जांच के बाद अनुमति दे दी गई.
सोना चढ़ाने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया था. सोना चढ़ाने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया.
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