नई दिल्ली: जयेश कुलकर्णी एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी और पेट्रोल तथा डीजल की बढ़ती कीमतों को रोकने में केंद्र की “असमर्थता” से गुस्से में हैं. उनका मानना है कि नरेंद्र मोदी सरकार कई मोर्चों पर “विफल” रही है.
कुलकर्णी, जो महाराष्ट्र में एक व्यवसाय चलाते हैं, दावा करते हैं कि उनका राजनीति से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए एक असामान्य मार्ग अपनाया है- केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) पर शिकायत करना.
पिछले एक वर्ष में कुलकर्णी ने इस पोर्टल पर 5,426 से अधिक शिकायतें दर्ज की हैं, औसतन प्रति दिन 15. जो एक अलग उद्देश्य पूरा करता है, केंद्र और राज्य सरकारों के तहत काम करने वाले अधिकारियों द्वारा विभिन्न सार्वजनिक सेवाओं के वितरण के संबंध में शिकायतों को संबोधित करना.
कुलकर्णी CPGRAMS का सहारा लेने वाले अकेले नहीं हैं, जो नागरिकों को राज्य सरकारों की शाखाओं से भी जोड़ता है और चौबीसों घंटे खुला रहता है.
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के रहने वाले आनंद ठाकुर एक निजी ट्रांसपोर्टर के साथ अपने विवाद को लेकर शिकायत दर्ज करवाने पोर्टल पर आ रहे हैं और रोजाना औसतन 100 शिकायतें दर्ज कर रहे हैं. कोलकाता के एक सेवानिवृत्त केंद्र सरकार के कर्मचारी अतीन मैती भी इन्हीं में शामिल हैं, जो अपने पेंशन को लेकर परेशान हैं.
CPGRAMS पर अपनी शिकायतों को प्रसारित करने वाले अन्य लोगों में सुदीप्तो डे, एक स्व-घोषित “भ्रष्टाचार-विरोधी” कार्यकर्ता शामिल हैं, जो पश्चिम बंगाल में “अवैध घुसपैठ” से लेकर “मानव तस्करी” तक के मुद्दों के खिलाफ लड़ने का दावा करते हैं. तेलंगाना के युवा श्रीकांत राव दानपुनेनी, जो 5 लाख रुपये वापस लेने के लिए की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें कथित तौर पर विदेश में शिक्षा के लिए भुगतान करते समय धोखा दिया गया था.
पोर्टल चलाने वाले प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने CPGRAMS पर इन सभी व्यक्तियों की पहचान “आदतन शिकायतकर्ता” के रूप में की है.
3 जून को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक दस्तावेज़ में डीएआरपीजी ने कहा कि बीते कई सालों से इन लोगों के द्वारा की गई हजारों शिकायतों के कारण दूसरी शिकायतों पर काम नहीं हो सका और वह अंदर ही दबे रह गए. CPGRAMS ने अब घोषणा की है कि एक व्यक्ति प्रति माह अधिकतम 10 शिकायत ही फाइल कर सकता है.
डीएआरपीजी सचिव वी. श्रीनिवास ने वेबसाइट पर अपलोड किए गए दस्तावेज़ में लिखा है, “DARPG की डेटा स्ट्रैटेजी यूनिट (DSU) ने “आदतन शिकायतकर्ताओं” की पहचान की है जिन्होंने हजारों शिकायतें और अपील दायर की हैं. उनकी शिकायतों की वजह से सिस्टम का दम घुट रहा है. ये शिकायतें वास्तविक शिकायतों की पहचान करने में शिकायत निवारण अधिकारियों के लिए कठिनाइयां पैदा करती हैं.”
उन्होंने कहा कि आनंद ठाकुर और अतीन मैती ने सामूहिक रूप से 1 जनवरी 2022 से अब तक कुल 53,514 शिकायतें दर्ज की हैं.
दस्तावेज में जोड़ा गया है, “श्री आनंद ठाकुर ने 37,315 शिकायतें दर्ज की हैं, जो किसी एक व्यक्ति द्वारा किया गया अधिकतम शिकायत है. इसके बाद दूसरे स्थान पर श्री अतिन मैती हैं जिन्होंने 16,199 शिकायतें दर्ज की हैं (1 जनवरी 2022 से लेकर अबतक). आदतन शिकायतकर्ताओं की पहचान के बाद, दर्ज की जाने वाली शिकायतों की संख्या एक नागरिक द्वारा CPGRAMS पर प्रति माह 10 तक सीमित कर दिया गया है.”
श्रीनिवास ने दिप्रिंट को बताया कि बार-बार होने वाली और तुच्छ प्रकृति की शिकायतें वास्तविक शिकायतों को हल करने में एक बड़ी बाधा के रूप में काम करती हैं क्योंकि अधिकारियों को अनावश्यक शिकायतों को हटाने के लिए काफी मेहनत का सामना करना पड़ता है.
उन्होंने कहा, “हमने अब एक ‘शिकायत निवारण आकलन और सूचकांक’ लॉन्च किया है, जो मंत्रालयों और विभागों को शिकायतों के समाधान पर उनके प्रदर्शन के अनुसार रैंक देता है, और यह व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम होगा.”
डीएआरपीजी रिकॉर्ड के मुताबिक, मई में CPGRAMS पर दायर शिकायतों का मासिक निपटान लगातार 10वें महीने एक लाख को पार कर गया. साथ ही, सभी मंत्रालयों में औसत शिकायत निवारण समय लगभग 18 दिन पाया गया.
डीएआरपीजी ने यह भी बताया कि लंबित शिकायतों की संख्या तेजी से घटी है. यह 31 मई 2023 तक 58,127 पर आ गई है, जो “केंद्रीय सचिवालय में अब तक का सबसे कम रिकॉर्ड है”.
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अतीन मैती का मामला
डीएआरपीजी के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि “अभ्यस्त शिकायतकर्ताओं” में से एक अपनी पेंशन को लेकर परेशान अतिन मैती की शिकायत सही लग रही है. हालांकि, उन्होंने कहा कि “उनकी फाइल बंद कर दी गई है”.
अधिकारी ने कहा, “अधिकारियों ने यह कहते हुए उनकी शिकायत को बंद कर दिया कि उनकी ‘शिकायत की प्रकृति दोहराव वाली है, इसलिए आगे कोई कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है’. इस तरह की शिकायतें आती रहती हैं.”
दिप्रिंट से बात करते हुए 68 वर्षीय मैती ने कहा कि वह 2015 में भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा सेवा के लेखा अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे.
उन्होंने कहा, “मैं 1979 में सेवा में शामिल हुआ था. कुछ वर्षों तक पश्चिम बंगाल सरकार के अधीन काम करने के बाद, मैं केंद्र में चला गया. तदनुसार, मेरी समूह बीमा पॉलिसी की सदस्यता को 6 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 20 रुपये और बाद में 40 रुपये करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नतीजतन, मेरी पेंशन प्रभावित हुई.”
मैती, जो अपने परिवार के साथ रहते हैं, कहते हैं कि रिटायर होने के बाद उन्होंने अपने पेंशन लाभ को प्राप्त करने के लिए लड़ने का फैसला किया.
उन्होंने कहा कि डीएआरपीजी अधिकारियों द्वारा उन्हें दिए गए उत्तरों में से एक में कहा गया था कि “एक शिकायत आपके मुद्दे के निवारण के लिए पर्याप्त है. आपसे अनुरोध है कि एक ही विषय वस्तु पर कई शिकायतें दर्ज न करें”.
उन्होंने कहा, “मेरा परिवार मुझसे इस मुद्दे को छोड़ने के लिए कह रहा है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि उन्हें (अधिकारियों को) जाने देना चाहिए.’
उन्होंने कहा, “न्याय के बजाय लोगों द्वारा मुझे पोर्टल के साथ अपने अनुभव को लेकर कॉल आते रहते हैं.”
CPGRAMS पर दायर की जा सकने वाली शिकायतों की संख्या पर मासिक कैप लगाने के सरकार के कदम से नाराज होने के बावजूद, मैती हार नहीं मानने के लिए दृढ़ संकल्पित है.
उन्होंने कहा, “मैंने देखा है कि प्रधान मंत्री कार्यालय पोर्टल अभी भी 10 से अधिक शिकायतों को स्वीकार कर रहा है. मुझे लगता है कि वे भी जल्द ही यह नई प्रक्रिया को बदल देंगे.”
‘मुझे विश्वास है, कोई कहीं ध्यान देगा’
सरकार से एक और “आदतन शिकायतकर्ता” 41 वर्षीय सुदीप्तो डे हैं, जो ‘एंटी-करप्शन फेडरेशन ऑफ इंडिया’ के पदाधिकारी होने का दावा करते हैं, ने दिप्रिंट से कहा, “हमारे चारों ओर बहुत सारे अन्याय हैं. मैंने पोर्टल के माध्यम से पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ, मानव तस्करी और बम बनाने के कारखानों के संबंध में शिकायतें दर्ज की हैं. मुझे विश्वास है कि जब हम ये शिकायतें दर्ज करेंगे, तो कहीं न कहीं कोई ध्यान देगा.”
यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसी राजनीतिक दल से जुड़े हैं, उन्होंने कहा: “मैं भाजपा का समर्थक हूं. कम से कम वे देश के लिए काम तो कर रहे हैं.”
किसी व्यक्ति द्वारा पोर्टल पर दायर की जा सकने वाली शिकायतों की सीमा पर, डी ने कहा, “यह एक उचित कदम नहीं था”.
इसी तरह के एक सवाल के जवाब में, व्यवसायी कुलकर्णी ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें लगता है कि सरकार ने लोगों को टोपी पहनाई है क्योंकि “उसके पास मेरे सवालों का जवाब नहीं है”.
तेलंगाना के 31 वर्षीय दानपुनेनी ने कहा कि कथित धोखाधड़ी के बारे में अब तक उन्होंने करीब 8,000 शिकायतें दर्ज कराई हैं.
उन्होंने कहा, “मैं अपने माता-पिता के साथ तेलंगाना के एक गांव में रहता हूँ. वे किसान हैं. 2009 में, मैंने पढ़ाई के लिए एक कोर्स करने के लिए न्यूजीलैंड स्थित एक शैक्षणिक संस्थान को 5 लाख रुपये का भुगतान किया था. वहां पहुंचने के बाद मैंने पाया कि मेरे साथ धोखा हुआ है. तब से, मैं CPGRAMS के माध्यम से बार-बार विदेश मंत्रालय के पास शिकायत दर्ज कराकर पैसे वापस पाने की कोशिश कर रहा हूं.”
आनंद ठाकुर ने इस विषय पर प्रश्नों को लेकर किए गए कॉल्स और मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया है. हालांकि, दिप्रिंट को पता चला है कि उनकी शिकायतें – जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “भगवान” के रूप में संबोधित करते हैं – एक निजी ट्रांसपोर्टर के खिलाफ हैं जिसने कथित तौर पर उनके परिवार को धोखा दिया है.
ठाकुर ने इस विषय पर सरकार के लगभग हर विभाग में शिकायत दर्ज कराई है.
(संपादन: ऋषभ राज)
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