पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी पार्टियों को जोड़ने की मुहिम उनके अपने राज्य में ही कमजोर पड़ती दिख रही है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने अपने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया है. आज सुबह संतोष सुमन ने अपना इस्तीफा सौंपा. जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा बिहार में महागठबंधन का हिस्सा है.
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी पार्टियों को जोड़ने के लिए 23 जून को पटना में एक रैली बुला रहे हैं जिसमें अधिकतर विपक्षी पार्टियों के नेताओं के शामिल होने की संभावना है.
‘लोकसभा चुनाव से पहले झटका’
लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के मुख्यमंत्री विपक्षी पार्टियों को जोड़ने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. जब से जदयू बीजेपी से अलग हुई है उसके बाद से ही मुख्यमंत्री देश के कई विपक्षी नेताओं से मिल चुके हैं. बता दें कि यह बैठक पहले 12 जून को होने वाली थी लेकिन कई नेताओं के बाहर होने के कारण इसे टाल दिया गया. 23 जून को विपक्षी पार्टियों की बैठक में जीतन राम मांझी को आमंत्रित नहीं किया गया था.
इस्तीफे की बात को लेकर संतोष सुमन ने मीडिया से कहा कि जदयू हमारे ऊपर पार्टी के विलय का दबाव बना रही थी जो हमें मंजूर नहीं था. उन्होंने कहा, “जदयू हमारी पार्टी का विलय चाहती थी. हमें जदयू में विलय नहीं करना है. हम संघर्ष करेंगे. हमें अपनी पार्टी के अस्तित्व को बनाए रखेंगे. हम अकेले संघर्ष करेंगे. नीतीश कुमार लगातार हमसे पार्टी के विलय को लेकर बात करते रहते हैं लेकिन हमने मना कर दिया है.”
क्या बीजेपी के साथ जाएंगे?
बीजेपी के साथ जाने के सवाल पर जीतन राम मांझी और उनके बेटे संतोष सुमन ने अभी चुप्पी साध रखी है. सुमन ने कहा, “बीजेपी के साथ जाएंगे या नहीं ये दूसरी बात है. हम अभी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. हम नीतीश कुमार के लिए अपनी पार्टी की कुर्बानी नहीं दे सकते. हम महागठबंधन में रहना चाहते हैं और कोशिश रहेगी की महागठबंधन के साथ ही रहे. लेकिन अगर वो सीट नहीं देंगे तो हम अपना रास्ता देखेंगे.”
उन्होंने कहा, “हमारी पांच सीटों पर तैयारी है. लेकिन अभी तक कोई बात नहीं हुई है. मैंने पांच सीट मांगी नहीं बस इतना कहा कि तैयारी पूरी है. लेकिन इसको लेकर कुछ भी बात नहीं हुई.”
बीते दिनों हम पार्टी की कोर कमेटी की बैठक हुई थी जिसमें पार्टी नेताओं ने कहा था हम पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. हालांकि पार्टी नेताओं का कहना था कि वहा पांच सीट कौन सी होगी यह पार्टी अध्यक्ष तय करेंगे.
इस बैठक में पार्टी ने पटना में नवंबर में एक बड़ी रैली करने का फैसला किया था. चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि यह हम द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले एक शक्ति प्रदर्शन है.
इससे पहले अप्रैल में जीतन राम मांझी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे. अमित शाह से मिलने के बाद मांझी ने कहा था कि वह बिहार में नीतीश सरकार की कुछ नीतियों का विरोध करेंगे.
2015 में नीतीश कुमार से अलग होने के बाद मांझी ने खुद की पार्टी बनाई थी और पिछले 8 साल में तीन बार पलटी मार चुके हैं.
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